क्रूड और रिफाइंड पाम ऑयल आयत के बीच के शुल्क अंतर को 15 फीसदी करने की एसईए ने की मांग, घरेलू उद्योग हो रहा प्रभावित

रिफाइंड पाम ऑयल के आयात में वृद्धि से घरेलू रिफाइनर प्रभावित हो रहे हैं। इसे देखते हुए खाद्य तेल उद्योग के संगठन एसईए ने मांग की है कि सरकार को क्रूड और रिफाइंड पाम ऑयल के बीच के आयात शुल्क अंतर को 7.5 फीसदी से बढ़ाकर 15 फीसदी करना चाहिए। इससे रिफाइंड तेल के आयात में कमी आएगी।

रिफाइंड पाम ऑयल के आयात में वृद्धि से घरेलू रिफाइनर प्रभावित हो रहे हैं। इसे देखते हुए खाद्य तेल उद्योग के संगठन एसईए ने मांग की है कि सरकार को क्रूड और रिफाइंड पाम ऑयल के बीच के आयात शुल्क अंतर को 7.5 फीसदी से बढ़ाकर 15 फीसदी करना चाहिए। इससे रिफाइंड तेल के आयात में कमी आएगी।

भारत खाद्य तेलों का प्रमुख आयातक है। मलेशिया और इंडोनेशिया से पाम ऑयल का आयात होता है, जबकि अर्जेंटीना और ब्राजील से सोयाबीन तेल का आयात किया जाता है। पाम ऑयल में आरबीडी पामोलीन का आयात तेल मार्केटिंग वर्ष (नवंबर से अक्टूबर) 2022-23 में बढ़कर 21.1 लाख टन हो गया, जो पिछले वर्ष 18.4 लाख टन था। वहीं क्रूड पाम ऑयल (सीपीओ) का आयात बढ़कर 75.9 लाख टन पर पहुंचगया, जो एक साल पहले की अवधि में 54.9 लाख टन था।

खाद्य तेल उत्पादकों के संगठन सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के प्रेसीडेंट अजय झुनझुनवाला ने एसईए सदस्यों को लिखे एक पत्र में कहा है कि भारतीय वनस्पति तेल (खाद्य और गैर-खाद्य तेल) रिफाइनिंग उद्योग चुनौतियों का सामना कर रहा है। 3 लाख करोड़ रुपये (35 अरब अमेरिकी डॉलर) के आकार वाला घरेलू खाद्य तेल उद्योग काफी महत्व रखता है। पिछले 12 वर्षों में इंडोनेशिया और मलेशिया ने अपने रिफाइनिंग उद्योग की सुरक्षा के लिए रिफाइंड तेल की तुलना में सीपीओ पर अधिक निर्यात शुल्क लगाया है। इससे रिफाइंड तेल सस्ता हो गया है जिससे भारतीय रिफाइनिंग क्षमता अनावश्यक और अप्रयुक्त हो गई है।

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झुनझुनवाला ने कहा, "भारत में सीपीओ और रिफाइंड पाम ऑयल के बीच आयात शुल्क अंतर को घटाकर 7.5 फीसदी कर दिया गया है। यह घरेलू वेजिटेबल रिफाइनिंग इंडस्ट्री पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है। एसईए अध्यक्ष ने कहा, "इसे देखते हुए एसईए ने एक बार फिर सरकार से क्रूड और रिफाइंड पाम ऑयल के बीच शुल्क अंतर को 7.5 फीसदी से बढ़ाकर 15 फीसदी करने की अपील की है।" तेल वर्ष 2022-23 के दौरान वेजिटेबल ऑयल का आयात सर्वोच्च स्तर पर पहुंच कर 167.1 लाख टन हो गया है। इसमें खाद्य तेल का आयात रिकॉर्ड 164.7 लाख टन रहा है। कुल खाद्य तेलों के आयात में पाम ऑयल की हिस्सेदारी 60 फीसदी है।

उन्होंने कहा कि निर्यातक देशों द्वारा क्रूड ऑयल पर ज्यादा निर्यात शुल्क लगाने के कारण आरबीडी पामोलीन की कीमतें सीपीओ से कम हैं। यह स्थिति घरेलू रिफाइनिंग उद्योग के  लिए खतरा पैदा कर रही है। घरेलू रिफाइनिंग उद्योग अब सिर्फ पैकर्स के रूप में काम कर रहा है। झुनझुनवाला ने कहा कि यह स्थिति अवांछनीय है क्योंकि इससे बैंकों की गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) में वृद्धि हो सकती है। साथ ही उद्योग और मूल्य श्रृंखला में बेरोजगारी बढ़ सकती है। उन्होंने राइसब्रान के निर्यात पर प्रतिबंध पर भी चिंता जताई है।