नाबार्ड और समुन्नति द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित पांचवें किसान उत्पादक संगठन (FPO) सम्मेलन 2025 में किसान समूहों को मजबूत बनाने और उन्हें उद्यम के लिए तैयार, सुदृढ़ संस्थानों में बदलने के उद्देश्य से कई ऐतिहासिक पहलों का अनावरण किया गया। हाल ही नई दिल्ली में आयोजित इस कार्यक्रम में 2,500 से अधिक प्रतिनिधि शामिल हुए, जिनमें 1,000 से अधिक एफपीओ प्रतिनिधि, नीति निर्माता, कृषि-तकनीक इनोवेटर और वित्तीय संस्थान शामिल थे।
सम्मेलन में भारत के विकसित होते कृषि पारिस्थितिकी तंत्र को प्रदर्शित किया गया, जहां सहयोग, नवाचार और समावेशिता का संगम राष्ट्रीय विकास में उद्यमियों और प्रमुख हितधारकों के रूप में किसानों की भूमिका को पुनर्परिभाषित करने के लिए हो रहा है।
सामूहिक दृष्टिकोण के लिए एक मंच
सम्मेलन की शुरुआत समुन्नति के संस्थापक और सीईओ अनिल कुमार एसजी ने की, जिन्होंने भारतीय कृषि की खरबों डॉलर की क्षमता को उजागर करने के लिए मजबूत बहु-हितधारक साझेदारी का आह्वान किया। एक वीडियो संदेश में, केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एफपीओ को "ग्रामीण समृद्धि के इंजन" के रूप में सशक्त बनाने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता की पुष्टि की।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि नीति आयोग के सदस्य प्रो. रमेश चंद ने किसान उत्पादक संगठनों को सक्षम बनाकर भारतीय कृषि में बदलाव लाने के रणनीतिक दृष्टिकोण को रेखांकित किया। उन्होंने ग्रामीण बाजारों के उभरते परिदृश्य, जलवायु-अनुकूल खेती की आवश्यकता और नीतिगत ढांचों में किसान समूहों के महत्व पर प्रकाश डाला।
समुन्नति फाउंडेशन के चेयरमैन प्रवेश शर्मा ने एफपीओ पारिस्थितिकी तंत्र की शक्तिशाली गति पर जोर दिया। उन्होंने प्रतिनिधियों को एक ऐसे भविष्य की कल्पना करने के लिए आमंत्रित किया जहां सामूहिक उद्यम, नवाचार और बाजार संपर्क देश के लाखों छोटे किसानों का उत्थान करें। नाबार्ड के उप प्रबंध निदेशक ए.के. सूद ने एफपीओ को टिकाऊ बनाने के लिए नीति-समर्थित वित्तीय साधनों और डिजिटल गवर्नेंस के महत्व पर प्रकाश डाला।
सम्मेलन में जारी की गई गई रिपोर्ट
इस आयोजन का एक बड़ा आकर्षण NAFPO द्वारा "स्टेट ऑफ द सेक्टर रिपोर्ट - FPOs 2025" का विमोचन था, जिसमें देश भर में 44,000 से अधिक पंजीकृत किसान उत्पादक कंपनियों (FPCs) का चित्रण किया गया। इस रिपोर्ट में FPOs के लिए पहला ईज ऑफ डूइंग बिजनेस (EODBF) सूचकांक प्रस्तुत किया गया, जो विभिन्न राज्यों की तुलनात्मक जानकारी प्रदान करता है।
"भारतीय FPOs के लिए एक सक्षम पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण" पर एक रिपोर्ट का विमोचन भी किया गया। यह समुन्नति और बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन (BMGF) की पहल है। इस रिपोर्ट ने प्रदर्शित किया कि कैसे वित्त, बाजार, तकनीक और सलाहकार सेवाओं तक एकीकृत पहुंच FPOs को लचीली, निवेशक-तैयार संस्थाओं में बदल सकती है। यह प्रभावी रूप से भारतीय कृषि में एक नए परिसंपत्ति वर्ग का निर्माण कर सकती है।
समुन्नति ने एफपीओ स्केलएक्स की भी घोषणा की, जो 300 एफपीओ को 100 करोड़ के उद्यमों में विकसित करने का एक महत्वाकांक्षी कार्यक्रम है। ऐसे संस्थानों को "यूनिकॉर्न एफपीओ" नाम दिया गया है। इस पहल का उद्देश्य एफपीओ को कृषि मूल्य श्रृंखला में पैमाने, स्थिरता और बाजार नेतृत्व के आधार के रूप में स्थापित करना है।
किसानों के लिए वित्तीय सुरक्षा और समावेशन
सम्मेलन के एक सत्र में राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) को किसानों तक विस्तारित करने पर चर्चा की गई। एनपीएस ट्रस्ट की सीईओ सुपर्णा टंडन ने पेंशन को "दूसरी फसल" बताया, जो ग्रामीण परिवारों के लिए दीर्घकालिक आय स्थिरता और सम्मान सुनिश्चित करती है। नाबार्ड, भारतीय स्टेट बैंक और मध्य भारत एफपीओ कंसोर्टियम के विशेषज्ञों ने एफपीओ नेटवर्क के माध्यम से नामांकन को सरल बनाने और पेंशन साक्षरता बढ़ाने की रणनीतियों को साझा किया, जिससे एनपीएस को वित्तीय और सामाजिक सुरक्षा जाल के रूप में स्थापित किया जा सके।
महिला किसानों के नेतृत्व पर विशेष सत्र
"द फ्यूचर शी ग्रोज" सत्र में महिला नेतृत्व केंद्र में रहा, जिसमें जलवायु-अनुकूल कृषि और स्थानीय खाद्य प्रणाली में इनोवेशन को आगे बढ़ाने वाली महिलाओं के प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत किए गए। एनएएफपीओ (NAFPO), फ्रंटियर मार्केट्स (Frontier Markets) और सीआईएनआई (CInI) के वक्ताओं ने इस बात पर प्रकाश डाला कि ज्ञान, वित्त और डिजिटल उपकरणों तक पहुंच के साथ महिलाओं को सशक्त बनाना कैसे सामुदायिक लचीलापन को मजबूत करता है।
कॉर्टेवा एग्रीसाइंस और समुन्नति फाउंडेशन द्वारा दो नए ग्रामीण ब्रांड—नारी और ट्राइबो—का शुभारंभ एक प्रमुख आकर्षण रहा। नारी महिला किसानों की उद्यमिता को उजागर करता है, जबकि ट्राइबो सांस्कृतिक विरासत और सतत आजीविका के प्रतीक के तहत महुआ लड्डू जैसी आदिवासी उपज को बढ़ावा देता है।
जलवायु-अनुकूल और डिजिटल इनोवेशन को बढ़ावा
सम्मेलन के विभिन्न सत्रों में कृषि के आधुनिकीकरण में प्रौद्योगिकी की केंद्रीयता को रेखांकित किया गया। टेरी के एग्रीवोल्टेक्स सत्र में सौर ऊर्जा उत्पादन को खेती के साथ जोड़कर एक दोहरे उपयोग वाला मॉडल प्रस्तुत किया गया, जिसमें नवीकरणीय ऊर्जा को एक “तीसरी फसल” के रूप में स्थापित किया गया जो आय और संसाधन दक्षता को बढ़ाती है।
इसी तरह डिजिटल ग्रीन, ग्रामीण फाउंडेशन और रे वन कंसल्टिंग द्वारा आयोजित चर्चाओं में एआई-संचालित प्रिसीजन खेती, उपग्रह से निगरानी और मौसम-आधारित सलाह को प्रदर्शित किया गया, जो उत्पादकता बढ़ाते हुए इनपुट लागत को कम करते हैं।
आरती इंडस्ट्रीज द्वारा समुन्नति के सहयोग से विकसित यूनिफाइड कृषि इंटरफेस (यूकेआई) की शुरुआत एक और तकनीकी उपलब्धि थी। ओपन डिजिटल आर्किटेक्चर पर आधारित यूकेआई किसानों को एक ही इंटरऑपरेबल प्लेटफॉर्म पर कई कृषि सेवाओं—इनपुट, ऋण, सलाह और लॉजिस्टिक्स की सुविधा देता है।
बीमा, वित्त और वैल्यू चेन इनोवेशन
जोखिम प्रबंधन एक अन्य प्रमुख फोकस क्षेत्र था। एसबीआई जनरल और ईटी इनसाइट्स द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित पैरामीट्रिक बीमा पर सत्र में मौसम या बाजार के झटकों से प्रभावित किसानों को त्वरित और पारदर्शी भुगतान प्रदान करने वाले स्केलेबल मॉडल प्रदर्शित किए गए। इसके उदाहरणों में नगालैंड का मानसून बीमा और महिला किसानों के लिए सेवा (SEWA) का हीट कवर शामिल था, जो दर्शाता है कि कैसे सूचकांक-आधारित बीमा आजीविका की रक्षा कर सकता है।
बागवानी फाइनेंस, लचीली मूल्य श्रृंखला और जैव विविधता संरक्षण पर पैनल ने समावेशिता और स्केल सुनिश्चित करने के लिए मिश्रित पूंजी, डिजिटल एकीकरण और पारिस्थितिकी तंत्र साझेदारी के महत्व पर प्रकाश डाला। कोरोमंडल इंटरनेशनल, आईटीसी और श्रीनिवास फार्म्स जैसे उद्योग जगत के दिग्गजों ने बताया कि कैसे एफपीओ के साथ सहयोग कृषि-मूल्य श्रृंखलाओं में दक्षता, स्थिरता और नवाचार को बढ़ावा दे रहा है।
मध्य भारत कंसोर्टियम के योगेश द्विवेदी और नॉर्दर्न फार्मर मेगा एफपीओ के पुनीत सिंह थिंड जैसे नेताओं की जमीनी स्तर की सफलता की कहानियों ने दर्शाया कि कैसे मजबूत शासन, बाजार संपर्क और डिजिटल तकनीक अपनाने से छोटे किसान सशक्त हो रहे हैं।
कंबोडियाई प्रतिनिधिमंडल की उपस्थिति और गेट्स फाउंडेशन की अंतर्दृष्टि ने एक वैश्विक परिप्रेक्ष्य प्रदान किया, जिसने विकासशील देशों में सामूहिक, टिकाऊ कृषि के एक मॉडल के रूप में भारत की बढ़ती भूमिका को रेखांकित किया गया।
कार्यक्रम का समापन करते हुए समुन्नति और नाबार्ड ने निरंतर इनोवेशन, क्षमता निर्माण और नीतिगत चर्चा के माध्यम से भविष्य के लिए तैयार एफपीओ पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की। विभिन्न राज्यों के उत्पादों और इनोवेशन को प्रदर्शित करने वाले एफपीओ मंडप ने किसान उद्यमिता की जीवंतता और ग्रामीण भारत को आगे बढ़ाने वाली सहयोग की भावना को प्रतिबिंबित किया।