पिछले सप्ताह भारत और ब्रिटेन के बीच हुआ व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौता (CETA) खास तौर से कृषि क्षेत्र के लिए व्यापक रूप से फायदेमंद माना जा रहा है। कृषि के साथ प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों के निर्यात में भी उल्लेखनीय वृद्धि होने की उम्मीद की जा रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस ऐतिहासिक समझौते से भारतीय किसानों, खाद्य प्रसंस्करणकर्ताओं और समुद्री उत्पाद निर्यातकों के लिए अभूतपूर्व अवसर खुलेंगे।
भारतीय किसानों को अब ब्रिटेन के विशाल 37.5 अरब डॉलर के कृषि बाजार में प्राथमिकता प्राप्त होगी। CETA के तहत 95% कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों पर अब कोई शुल्क नहीं लगेगा। पहले इन पर कुछ मामलों में 70% तक शुल्क लगता था। यह बदलाव ब्रिटेन में भारतीय उत्पादों को अधिक प्रतिस्पर्धी बनाएगा।
शून्य शुल्क वाले प्रमुख कृषि उत्पादों में शामिल हैं:
फल और सब्ज़ियां: इससे महाराष्ट्र (अंगूर, प्याज) और केरल (मसाले) जैसे राज्यों के किसानों को लाभ होगा, क्योंकि ताजे और प्रसंस्कृत भारतीय फल और सब्जियां ब्रिटेन में अधिक सुलभ होंगी।
अनाज: पंजाब, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और दिल्ली से बासमती सहित विभिन्न प्रकार के भारतीय चावल की ब्रिटेन में आसान पहुंच सुनिश्चित होगी।
मसाले: तमिलनाडु और केरल से हल्दी, काली मिर्च और इलायची अब ब्रिटेन बाज़ार में अधिक प्रतिस्पर्धी होंगी। ब्रिटेन पहले से ही भारतीय मसालों का बड़ा आयातक है, जो अब और बढ़ेगा।
चाय और कॉफी: भारतीय चाय और कॉफी, जैसे दार्जिलिंग चाय और आंध्र प्रदेश की अराकू कॉफी को शून्य शुल्क का लाभ मिलेगा जिससे इनकी प्रतिस्पर्धा क्षमता बढ़ेगी।
इस व्यापक बाजार पहुंच से अगले तीन वर्षों में भारत के कृषि निर्यात में 20% से अधिक की वृद्धि का अनुमान है। यह 2030 तक 100 अरब डॉलर के कृषि निर्यात लक्ष्य में महत्वपूर्ण योगदान देगी।
प्रोसेस्ड फूड सेक्टर को मिलेगा बड़ा लाभ
प्रोसेस्ड फूड क्षेत्र इस समझौते का सबसे बड़ा लाभार्थी होगा, जिसमें 99.7% टैरिफ लाइन पर शुल्क 70% से घटाकर शून्य कर दिया गया है। इसमें तैयार खाद्य पदार्थ, आम का पल्प और अचार, दालें और पैक किए गए खाद्य उत्पाद शामिल हैं। इससे भारत में खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों में वृद्धि होगी, रोजगार सृजन होगा और ग्रामीण समुदायों को वैश्विक मूल्य श्रृंखला से जोड़ा जा सकेगा।
भारत के डेयरी क्षेत्र की पूरी सुरक्षा
महत्वपूर्ण बात यह है कि CETA को इस तरह डिज़ाइन किया गया है कि वह भारत के संवेदनशील कृषि क्षेत्रों जैसे कि डेयरी उत्पाद, सेब, खाद्य तेल और जई को पूरी तरह सुरक्षा प्रदान करता है। इन श्रेणियों पर भारत ने कोई शुल्क रियायत नहीं दी है, जिससे देश के किसानों और उत्पादकों के हित सुरक्षित रहेंगे।
समुद्री उत्पादों को मिलेगा नया विस्तार
भारत के समुद्री उत्पाद निर्यातकों को भी बड़ा लाभ मिलेगा। पहले समुद्री उत्पादों पर ब्रिटेन में अधिकतम 20% शुल्क लगता था (झींगा और टूना पर 4.2% से 8.5%), जो अब शून्य हो जाएगा। इससे भारत के समुद्री खाद्य उद्योग को ब्रिटेन के 5.4 अरब डॉलर के बाजार में बड़ी पहुंच मिलेगी। इसका सीधा लाभ आंध्र प्रदेश, ओडिशा, केरल और तमिलनाडु जैसे तटीय राज्यों के मछुआरों को मिलेगा।
व्यापक लाभ और किसानों की समृद्धि
विशेषज्ञों ने भी इस समझौते के व्यापक प्रभावों की बात कही है। डेलॉय इंडिया के पार्टनर अनिल तलरेजा ने इसे “ऐतिहासिक क्षण” बताया, जो व्यापार को मजबूत करेगा, निवेश को बढ़ावा देगा और उभरते क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ाएगा। CMS INDUSLAW के पार्टनर शशि मैथ्यूज ने कहा कि शुल्कों में तेज़ी से कटौती से दीर्घकालिक रणनीतिक साझेदारी का मार्ग प्रशस्त होगा।
व्यापार संवर्धन परिषद (TPCI) ने FTA को ऐतिहासिक आर्थिक उपलब्धि बताया। परिषद के अध्यक्ष मोहित सिंघला ने कहा, “यह समझौता ब्रिटेन के बाज़ार में भारतीय वस्तुओं को 99% तक शुल्क-मुक्त पहुंच देता है, जिससे निर्यात क्षमता बढ़ेगी। इसमें एक ऐतिहासिक प्रावधान भी शामिल है कि पहली बार किसी व्यापार समझौते में ब्रिटेन में कार्यरत भारतीय पेशेवरों को पहले तीन वर्षों के लिए कर में छूट मिलेगी।” उन्होंने यह भी कहा कि यह समझौता भारत को वैश्विक ब्रांड के रूप में स्थापित करने और निर्यात को दोगुना करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो ग्रामीण समृद्धि को भी आगे बढ़ाएगा।