अमेरिकी सेब पर 20 फीसदी सीमा शुल्क घटाने से घरेलू किसानों को घाटा होना तय

केंद्र सरकार ने अमेरिका से आयातित सेब पर लागू 20 फीसदी रिटेलिएटरी शुल्क समाप्त करने का फैसला लिया है। यह फैसला कुछ भारतीय स्टील और अल्यूमिनियम उत्पादों की अमेरिकी बाजार में पहुंच बढ़ाने के बदले किया गया है। पहले से ही सेब के आयात से नुकसान झेल रहे भारतीय सेब किसानों के लिए यह कदम मुश्किलें बढ़ाने वाला है। वह भी तब जब भारत में सेब की फसल आने वाली है।

केंद्र सरकार ने अमेरिका से आयातित सेब पर लागू 20 फीसदी रिटेलिएटरी शुल्क समाप्त करने का फैसला लिया है। यह फैसला कुछ भारतीय स्टील और अल्यूमिनियम उत्पादों की अमेरिकी बाजार में पहुंच बढ़ाने के बदले किया गया है। पहले से ही सेब के आयात से नुकसान झेल रहे भारतीय सेब किसानों के लिए यह कदम मुश्किलें बढ़ाने वाला है। वह भी तब जब भारत में सेब की फसल आने वाली है।

अमेरिका की नई फसल अगस्त से नवंबर के बीच आती है। भारतीय सेब की फसल सितंबर में शुरू हो जाती है। ऐसे में यह फैसला भारतीय सेब किसानों के बेहतर कीमत हासिल करने के मौके का नुकसान करने वाला साबित हो सकता है। भारत सालाना करीब चार लाख टन सेब का आयात करता है। देश का उत्पादन करीब 24 लाख टन है। ऐसे में आयातित सेब की मात्रा घरेलू कीमतों को सीधे प्रभावित करने में सक्षम है। हाल के बरसों में आयातित सेब की अधिक मात्रा तुर्की से आ रही है, उसके बाद ईरान से आयात बढ़ा है। ताजा आंकड़ों के मुताबिक तुर्की से 1.2 लाख टन सेब का आयात भारत में किया गया, जबकि ईरान से आयातित सेब की मात्रा 90 हजार टन रही है। चीन भी भारत को सेब का बड़ा निर्यातक रहा है लेकिन वहां के सेब में एक खास फंगस के चलते आयात 2017 में बंद कर दिया गया था।

भारत में सेब के आयात पर 50 फीसदी शुल्क लागू है लेकिन अमेरिका से आयात होने वाले सेब पर 20 फीसदी का अतिरिक्त रिटेलिएटरी शुल्क लागू था जो अब समाप्त हो गया है। भारत सरकार ने अमेरिकी सेब पर यह अतिरिक्त शुल्क 15 जून, 2019 को लगाया था। अब अन्य देशों से आयातित सेब पर लगने वाले 50 फीसदी सीमा शुल्क के बराबर शुल्क ही अमेरिकी सेब के आयात पर लगेगा। इसके साथ ही पिछले दिनों भारत सरकार ने सेब के आयात के लिए 50 रुपये प्रति किलो की न्यूनतम आयात कीमत तय की थी। इस कीमत में इंश्योरेंस और फ्रेट भी शामिल है। वैसे बाजार में बड़ी रिटेल चेन के स्टोरों पर बेहतर गुणवत्ता वाले सेब की कीमत 260 से 300 रुपये प्रति किलो के आसपास चल रही है। जाहिर सी बात है कि सरकार द्वारा अमेरिकी सेब पर अतिरिक्त आयात शुल्क समाप्त करने के चलते वहां से आयात में तेजी आएगी।

अमेरिका से आयात होने वाले सेब का स्तर 2018-19 में 1.28 लाख टन तक पहुंच गया था लेकिन अतिरिक्त शुल्क के चलते 2022-23 में इसका आयात 5000 टन से भी नीचे चला गया था। अमेरिका से आयात घटने का मतलब देश में सेब का आयात कम होना नहीं रहा, बल्कि इसका फायदा तुर्की और ईरान ने उठाया और वहां से भारत को सेब का निर्यात बढ़ गया। तुर्की के सेब का एक बड़ा हिस्सा पहले रूस को निर्यात होता था लेकिन पहले कोरोना और अब रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते वहां का निर्यात प्रभावित हुआ है। ऐसे में भारत उसके लिए एक बेहतर बाजार के रूप में उभरा है।

अमेरिका, तुर्की और ईरान के अलावा चिली, इटली और न्यूजीलैंड से भी भारत में सेब आयात हो रहा है। पिछले कुछ साल में चिली ने भारत में अपना बाजार बढ़ाने की कोशिशें तेज की हैं। प्रोचिले ब्रांड के तहत वह यहां पर अपना बाजार बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। पिछले दिनों ही चिली सरकार के निर्यात प्रोत्साहन विभाग ने भारतीय बाजार में अपने कृषि उत्पादों की पहुंच बढ़ाने के लिए दिल्ली और मुंबई में कार्यक्रम किए थे।