देश को एक स्पष्ट कृषि नीति की सख्त जरूरत हैः अजय वीर जाखड़

अमेरिका और चीन जैसे देश हर 4 से 5 साल में अपनी कृषि नीतियां बदल देते हैं लेकिन हमारे देश की कोई कृषि नीति नहीं है। बारिश होने पर नीति बदल जाती है तो अकाल पड़ने पर भी नीति बदल दी जाती है। इसलिए देश को एक स्पष्ट कृषि नीति की सख्त जरूरत है जो

भारत कृषक समाज के अध्यक्ष अजय वीर जाखड़ ने नई दिल्ली में आयोजित रूरल वॉयस एग्रीकल्चर कॉन्क्लेव एंड नेडाक अवार्ड्स 2021 को संबोधित करते हुए कहा कि  किसान नेता और भारत के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह का जन्मदिन किसान दिवस के रूप में मनाया जाता है और इसी दिन रूरल वॉयस की स्थापना भी की गई थी। उन्होंने कहा कि चरण सिंह कभी भी किसी जाट कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए। यही नहीं बडौत के जाट कॉलेज का नाम भी उन्होंने बदलवा दिया था। 
जाखड़ ने कहा कि चरण सिंह ने खुद को किसी विशेष जाति तक कभी सीमित नहीं रखा। अगर किसानों की स्थिति को बेहतर बनाना है तो हमें उनकी इस बात को ध्यान में रखना होगा। उन्होंने कहा कि इस वर्ष किसान आंदोलन इसलिए सफल रहा क्योंकि यह जाति और धर्म से ऊपर था।
जाखड़ ने कहा कि अमेरिका और चीन जैसे देश हर 4 से 5 साल में अपनी कृषि नीतियां बदल देते हैं लेकिन हमारे देश की कोई कृषि नीति नहीं है। बारिश होने पर नीति बदल जाती है तो अकाल पड़ने पर भी नीति बदल दी जाती है। इसलिए देश को एक स्पष्ट कृषि नीति की सख्त जरूरत है। अर्नेस्ट एंड यंग और ग्रांट थॉरेंटन जैसे विदेशी सलाहकारों की नीतियां देश के किसानों और कृषि क्षे्त्र की मदद नहीं कर पाएंगी। इन संस्थाओं से परामर्श तो लिया जा सकता है किंतु उन्हें नीति निर्धारक नहीं बनाया जा सकता है।
किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) का उदाहरण देते हुए जाखड़ ने कहा कि एफपीओ नीति दो साल पहले आई थी। अब देखना होगा कि आगामी 5 सालों में यह नीति कितनी सफल होती है। केवल किसी नीति को लागू करने से उसकी सफलता सुनिश्चित नहीं हो सकती।
जाखड़ ने एक पोषण विशेषज्ञ और एक मार्केटिंग विशेषज्ञ की कहानी सुनाई। वह दोनों नेक इरादे वाले अच्छे इंसान थे। पोषण विशेषज्ञ उच्च गुणवत्ता वाला पशु चारा बना सकता है मान लें इनमें से एक विशेषज्ञ केंद्र सरकार और दूसरी राज्य सरकार है। यदि इन दोनों ने मिलकर एक मवेशी का चारा बनाया जो हॉट केक की तरह बिक सकता था जिससे मवेशियों को भी फायदा पहुंच सकता था। अच्छे विपणन के कारण पहले ही दिन पूरा चारा बिक गया लेकिन एक महीने बाद भी दोबारा मांग नहीं आई। जाखड़ ने कहा किसानों की स्थिति इस कहानी के मवेशियों की तरह हो गई है।
जाखड़ ने कहा कि इसी तरह नीतियां आती है और जाती हैं लेकिन इससे किसानों को बहुत कम फायदा हो पाता है। यदि सरकार किसानों का सचमुच कल्याण चाहती है तो किसानों के लिए नीति बनाने से पहले उनके हितों को सामने लाने की जरूरत है तभी आप उन्हें इन नीतियों का लाभ दे पाएंगे।