महाराष्ट्र में बच्चू कडू के नेतृत्व में किसानों का कर्जमाफी आंदोलन, सरकार से आज अहम बैठक

किसानों की प्रमुख मांगों में संपूर्ण कर्जमाफी के साथ-साथ भारी बारिश से बर्बाद फसलों का मुआवजा, उपज के लिए एमएसपी की गारंटी आदि मांगें शामिल हैं।

महाराष्ट्र के नागपुर में प्रहार जनशक्ति पार्टी के नेता बच्चू कडू के नेतृत्व में किसानों का कर्जमाफी आंदोलन जोर पकड़ रहा है। बुधवार को हजारों किसानों ने नागपुर-वर्धा राष्ट्रीय राजमार्ग (NH-44) जाम कर दिया और और सरकार से तत्काल संपूर्ण कर्जमाफी की मांग की है। इस आंदोलन को पूर्व सांसद राजू शेट्टी और अन्य किसान नेताओं का भी समर्थन प्राप्त है।

कडू की अगुवाई में चल रहे ‘महाअल्गार मार्च’ की शुरुआत सोमवार को अमरावती जिले के चांदूरबाजार से हुई थी। हाईकोर्ट ने अखबारों में छपी खबरों का स्वत: संज्ञान लिया कि आंदोलन के कारण राष्ट्रीय राजमार्ग-44 पर करीब 20 किलोमीटर तक ट्रैफिक जाम लग गया है जिससे एम्बुलेंस और पुलिस वाहन भी नहीं निकल पा रहे हैं।

बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने प्रदर्शनकारियों को बुधवार शाम 6 बजे तक हाइवे खाली करने का निर्देश दिया था। आंदोलनकारी अपनी गिरफ्तारी देने को भी तैयार थे। इस बीच, सरकार की तरफ से किसान नेताओं को मुंबई आकर मुख्यमंत्री से बात करने का प्रस्ताव दिया गया। आखिरकार बच्चू कडू  हाईवे से हटकर पास के मैदान में जाने के लिए तैयार हुए। हालांकि कडू ने साफ किया कि आंदोलन खत्म नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि अगर गुरुवार की बैठक में समाधान नहीं निकला, तो 31 अक्टूबर को रेल रोको आंदोलन किया जाएगा।

किसानों की मांगें

किसानों की प्रमुख मांगों में संपूर्ण कर्जमाफी के साथ-साथ भारी बारिश से बर्बाद फसलों का मुआवजा, किसानों की उपज के लिए एमएसपी की गारंटी आदि मांगें शामिल हैं। आंदोलन में राज्य के विभिन्न जिलों से किसान बड़ी संख्या में शामिल हुए हैं।

सीएम फडणवीस की अपील

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा है कि सरकार फिलहाल भारी बारिश से प्रभावित किसानों को राहत देने पर ध्यान केंद्रित कर रही है।  लेकिन वे कर्जमाफी के खिलाफ नहीं हैं। उन्होंने किसान नेताओं से अपील की थी कि बातचीत का रास्ता अपनाना चाहिए।

आज अहम बैठक

इस बीच, सरकार और आंदोलनकारी नेताओं के बीच आज मुंबई में अहम बैठक होने जा रही है। इस बैठक में कर्जमाफी की संभावित तारीख और अन्य राहत उपायों पर चर्चा होने की उम्मीद है। यदि बैठक में संतोषजनक निर्णय नहीं हुआ तो आंदोलन और तीव्र हो सकता है।

राजनीतिक रूप से यह आंदोलन सरकार के लिए चुनौती बन सकता है क्योंकि चुनाव से पहले सत्तारूढ़ गठबंधन ने किसानों की कर्जमाफी का वादा किया था। अब किसान उसी वादे की याद दिला रहे हैं।