जुलाई में खुदरा महंगाई 8 साल के निचले स्तर पर, सब्जियों व दालों में मंदी से किसानों को नुकसान

महंगाई में कमी आम जनता के लिए राहत की खबर है, लेकिन खाद्य महंगाई दर का लगातार दूसरे महीने निगेटिव होना, खाद्य वस्तुओं में भारी गिरावट का नतीजा है। सब्जियों व दालों की कीमतों में भारी गिरावट से किसानों को नुकसान उठाना पड़ है।

खाद्य वस्तुओं की कीमतों में गिरावट के चलते जुलाई में खुदरा महंगाई दर घटकर 8 साल के निचलते स्तर 1.55 प्रतिशत पर आ गई। यह जून, 2017 के बाद सबसे कम खुदरा महंगाई है। गत जून में खुदरा महंगाई 2.1% और एक साल पहले जुलाई, 2024 में 3.6% थी। इससे पहले इतनी कम खुदरा महंगाई दर जून, 2017 में 1.46 फीसदी रही थी।

मंगलवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, "उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) पर आधारित खुदरा मुद्रास्फीति जुलाई 2025 में सालाना आधार पर तेजी से घटकर 1.55 प्रतिशत हो गई, जो जून 2017 के बाद का सबसे निचला स्तर है। यह गिरावट मुख्य रूप से अनुकूल आधार प्रभाव और दालों,सब्जियों, अनाज, अंडों, चीनी और मिठाइयों के साथ-साथ परिवहन व संचार सेवाओं की कीमतों में व्यापक गिरावट के कारण है।"

उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचकांक (CFPI) पर आधारित खाद्य मुद्रास्फीति जुलाई में घटकर -1.76 प्रतिशत पर आ गई, जबकि जून में यह -1.01 प्रतिशत थी। यह जनवरी 2019 के बाद से खाद्य मुद्रास्फीति का सबसे निचला स्तर है जो किसानों के लिए चिंताजनक है|

सब्जियों व दालों की कीमतों में बड़ी गिरावट 

सब्जियों की खुदरा महंगाई घटकर -20.69 फीसदी और दालों की -13.76 फीसदी रह गई। सालाना आधार पर अरहर की कीमतों में 28 फीसदी तथा आलू, प्याज व टमाटर की कीमतों में 34 फीसदी से अधिक गिरावट दर्ज की गई है। सब्जियों व दालों की कीमतों में भारी गिरावट के चलते फलों पर 14.42 फीसदी और ऑयल एंड फैट्स पर 19.24 फीसदी महंगाई के बाद भी खाद्य महंगाई दर -1.76 रही है। मीट व फिश की खुदरा महंगाई -0.61 और मसालों की -3.07 फीसदी है। दूध व उत्पादों पर 2.74 फीसदी और अनाज व उत्पादों पर 3 फीसदी महंगाई है।

क्षेत्रवार, आवास महंगाई जुलाई में 3.17 प्रतिशत रही, जो जून के 3.18 प्रतिशत के आसपास है। शिक्षा महंगाई जुलाई में घटकर 4.00 प्रतिशत हो गई, जो एक महीने पहले 4.37 प्रतिशत थी। हालांकि, स्वास्थ्य महंगाई जून के 4.38 प्रतिशत से थोड़ी बढ़कर 4.57 प्रतिशत हो गई।

क्षेत्रीय असमानताएं 

जुलाई के आंकड़े राज्य-स्तरीय असमानताओं को भी दर्शाते हैं। केरल में 8.9% महंगाई रही, जबकि असम, बिहार, तेलंगाना और ओडिशा में महंगाई दर निगेटिव में रही है। ग्रामीण भारत में खुदरा महंगाई दर (1.18%) शहरी क्षेत्रों (2.05%) से कम रही, लेकिन दोनों में खाद्य कीमतों में काफी गिरावट आई।

आम जनता को राहत, किसानों की आफत 

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) का लक्ष्य खुदरा महंगाई को 4% (+/- 2%) के दायरे में रखना है। पिछले 6 महीने से खुदरा महंगाई 4 प्रतिशत से कम बनी हुई है। महंगाई में कमी आम जनता के लिए राहत की खबर है, लेकिन खाद्य महंगाई दर का लगातार दूसरे महीने निगेटिव होना, खाद्य वस्तुओं में भारी गिरावट का नतीजा है। सब्जियों और दालों की कीमतों में भारी गिरावट से किसानों को नुकसान उठाना पड़ है।  

पिछले दिनों रबीआई  ने अपनी मौद्रिक नीति समिति की बैठक में रेपो रेट में कोई परिवर्तन नहीं किया था। हालांकि, मुद्रास्फीति 2 प्रतिशत से नीचे पहुंचने पर अगली बैठक में इसमें परिवर्तन की उम्मीद की जा रही है। वित्त वर्ष 2025-26 में औसत खुदरा महंगाई 3.0–3.2% रहने का अनुमान है।