पहली तिमाही में कृषि निर्यात 7% बढ़कर 5.9 अरब डॉलर पहुंचा, चावल निर्यात में 3.5% वृद्धि

भारत का कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य निर्यात अप्रैल-जून 2025 में 7% से अधिक बढ़कर 5.96 अरब डॉलर हो गया। इसका श्रेय चावल, बफेलो मीट और फलों एवं सब्जियों को जाता है। अकेले चावल के निर्यात से 2.9 अरब डॉलर की प्राप्ति हुई। बफेलो मीट के निर्यात में 17% की वृद्धि हुई।

भारत के कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य निर्यात ने वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही में गति पकड़ी है। अप्रैल और जून 2025 के बीच 7% की वृद्धि के साथ निर्यात 5.96 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। यह उछाल चावल, बफेलो मीट और ताजे फल-सब्जियों की मजबूत विदेशी मांग के कारण आया है।

अप्रैल-जून की अवधि में, बासमती और गैर-बासमती दोनों किस्मों सहित चावल की खेप 2.9 अरब डॉलर से अधिक की रही। पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में इसमें 3.5% की वृद्धि हुई है। पूरे वित्त वर्ष 2024-25 में चावल का निर्यात रिकॉर्ड 12.47 अरब डॉलर तक पहुंच चुका था। वित्त वर्ष 2023-24 की तुलना में इसमें 20% की वृद्धि हुई।

उद्योग के जानकार इसे वैश्विक चावल बाजार में भारत के प्रभुत्व की पुष्टि के रूप में देखते हैं। म्यांमार और पाकिस्तान जैसे अन्य प्रमुख आपूर्तिकर्ताओं के स्टॉक में कमी के कारण वैश्विक खरीदार भारत की ओर रुख कर रहे हैं। भारत अब वैश्विक चावल व्यापार के 40% से ज्यादा हिस्से को नियंत्रित करता है। 

पिछले सितंबर में हुए एक बड़े नीतिगत बदलाव ने भी इसमें अहम भूमिका निभाई है। सरकार ने बंपर फसल और बेहतर स्टॉक की उम्मीद में, एक साल पहले लगाए गए निर्यात प्रतिबंधों को वापस लेना शुरू कर दिया था। अब न्यूनतम निर्यात मूल्य सहित सभी प्रतिबंध हट जाने के बाद चावल की निर्यात मांग फिर से बढ़ रही है।

चावल के अलावा, अन्य कृषि-वस्तुओं में भी उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। बफेलो मीट, डेयरी और पोल्ट्री उत्पादों का निर्यात वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही में 17% से ज़्यादा बढ़कर 1.18 अरब डॉलर तक पहुंच गया। इसी तरह, फलों और सब्जियों का निर्यात भी इसी अवधि में 13% बढ़कर 95 करोड़ डॉलर तक पहुंच गया।

विशेष रूप से बफेलो मीट वैश्विक बाज़ारों में लगातार लोकप्रिय हो रहा है। कम वसा वाली गुणवत्ता और पोषण मूल्य वाला यह मांस वियतनाम, मलेशिया, मिस्र, इराक, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात जैसे देशों में लोकप्रिय हो रहा है।