कृषि भूमि से पेड़ काटने के मॉडल नियम तैयार, सत्यापन एजेंसियों के दखल से बढ़ सकता है लाइसेंस राज
कृषि वानिकी को बढ़ाने देने के मकसद से तैयार किए गये मॉडल रूल्स में सत्यापन एजेंसियों सरीखे प्रावधान किसानों पर लाइसेंस राज का बोझ बढ़ा सकते हैं।

केंद्र सरकार ने कृषि भूमि से पेड़ों की कटाई के लिए मॉडल रूल्स तैयार किए हैं। इसके पीछे सरकार का मकसद एग्रो-फॉरेस्ट्री यानी कृषि-वानिकी को बढ़ावा देकर किसानों की आय और वनों के बाहर वृक्ष आवरण को बढ़ाना है। लेकिन इसमें कई प्रावधान ऐसे हैं जो किसानों पर प्रक्रियाओं और लाइसेंस राज का बोझ बढ़ा सकते हैं। क्योंकि इन नियमों के लागू होने पर वृक्षारोपण से लेकर पेड़ काटने तक हर कदम पर किसानों को सरकारी निगरानी का सामना करना पड़ेगा। प्लांटेशन के रजिस्ट्रेशन और पेड़ कटाई के लाइसेंस की ऑनलाइन प्रक्रिया का पालन करना भी सभी किसानों के लिए आसान नहीं होगा।
केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने “कृषि भूमि पर पेड़ों की कटाई के मॉडल रूल्स” के बारे में राज्य सरकारों को एक पत्र भेजा है। पत्र के मुताबिक, भारत सरकार एग्रो-फॉरेस्ट्री को बढ़ावा दे रही है, जो किसानों की आमदनी बढ़ाने, जलवायु परिवर्तन से निपटने और टिंबर आयात को कम में मददगार है। लेकिन कृषि भूमि पर पेड़ों की कटाई के नियमों में स्पष्टता और एकरूपता न होने के कारण कृषि वानिकी में बाधाओं का सामना करना पड़ता है। मॉडल रूल्स का उद्देश्य कृषि वानिकी को आसान बनाना तथा अनावश्यक प्रक्रियागत बाधाओं को दूर कर किसानों को खेती के साथ पेड़ उगाने के लिए प्रोत्साहित करना है।
इस बाबत गत 21 अप्रैल और 19 मई को राज्यों के साथ हुए विचार-विमर्श के बाद केंद्र सरकार ने ये मॉडल रूल्स तैयार किए हैं। मंत्रालय ने राज्य सरकारों से इन नियमों पर विचार कर इन्हें अपनाने का आग्रह किया है।
मॉडल रूल्स के अनुसार, वुड-बेस्ड इंडस्ट्रीज (स्थापना और विनियमन) दिशानिर्देश, 2016 के तहत गठित राज्य स्तरीय समिति (SLC) ही इन नियमों के लिए भी कार्य करेगी। अब इसमें राजस्व और कृषि विभाग के अधिकारी भी शामिल होंगे। यह समिति कृषि वानिकी को बढ़ावा देने तथा कृषि भूमि पर पेड़ों की कटाई व ढुलाई के नियमों को सरल बनाने के बारे में राज्य सरकार को सुझाव देगी।
प्लांटेशन का कराना होगा रजिस्ट्रेशन
मॉडल नियमों के तहत किसानों को अपने प्लांटेशन की जानकारी नेशनल टिंबर मैनेजमेंट सिस्टम (NTMS) में दर्ज करानी होगी। इसमें भूमि के स्वामित्व और जमीन की लोकेशन आदि जानकारियां देनी होगी।
नेशनल टिम्बर मैनेजमेंट सिस्टम (NTMS)
नए नियमों के अनुसार, किसानों को प्लांटेशन का ब्यौरा नेशनल टिंबर मैनेजमेंट सिस्टम पोर्टल पर देना होगा। इसमें पेड़ों की किस्म, संख्या, वृक्षारोपण की तिथि और औसत ऊंचाई आदि की जानकारी दर्ज करनी होगी। साथ ही पेड़ की फोटो जियो टैगिंग के साथ KML फाइल फॉर्मेट में देनी होगी। प्लांटेशन के इस ब्यौरे की निगरानी वन विभाग, कृषि विभाग और पंचायत राज विभाग के अधिकारियों द्वारा की जाएगी।
सत्यापन एजेंसियों की नियुक्ति
कृषि भूमि से पेड़ कटाई की निगरानी के लिए वैरिफाइंग एजेंसियों की नियुक्त की जाएंगी। इन एजेंसियों के पास वन प्रबंधन और एग्रो-फॉरेस्ट्री की विशेषज्ञता होनी चाहिए। फिलहाल स्पष्ट नहीं है कि क्या ये एजेंसियां सरकारी होगी या प्राइवेट? लेकिन कृषि भूमि से पेड़ काटने में सत्यापन एजेंसियों के दखल से किसानों पर लाइसेंस राज और भ्रष्टाचार का बोझ बढ़ सकता है।
कैसे जारी होगा पेड़ काटने का परमिट
10 से अधिक पेड़ वाली कृषि भूमि से पेड़ काटने के लिए किसानों को नेशनल टिंबर मैनेजमेंट सिस्टम में ऑनलाइन आवेदन करना होगा। इसके बाद अधिकृत एजेंसी खेत का निरीक्षण करेगी और उनकी रिपोर्ट के आधार पर पेड़ काटने की अनुमति दी जाएगी। एजेंसी सत्यापन रिपोर्ट जारी करने के बाद कटाई परमिट जारी करेगी।
10 से कम पेड़ों वाली कृषि भूमि से पेड़ काटने के लिए किसानों को पेड़ की फोटो एनटीएम पोर्टल पर अपलोड करनी होगी और पेड़ कटाई की तिथि बतानी होगी। ऐसे मामलों में पेड़ काटने के लिए एनओसी स्वत: पोर्टल के जरिए जारी की जाएगी।
इन एजेंसियों की निगरानी संबंधित डिविजनल फॉरेस्ट ऑफिसर (DFO) करेंगे। पर्यावरण मंत्रालय ने सभी राज्य सरकारों से आग्रह किया है कि वे इन मॉडल नियमों को अपनाएं, ताकि प्रक्रियागत बाधाओं को दूर कर कृषि वानिकी को बढ़ावा दिया जा सके।