पंजाब-हरियाणा में आधे हुए पराली जलाने के मामले, यूपी-एमपी में बढ़े
हरियाणा-पंजाब में पराली जलाने को दिल्ली में प्रदूषण के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार ठहराया जाता था। लेकिन इस साल इन राज्यों में पराली जलाने के मामलों में भारी कमी के बावजूद दिल्ली-एनसीआर में सांस लेना मुश्किल है।
इस वर्ष पंजाब व हरियाणा में पराली जलाने के मामलों में उल्लेखनीय कमी दर्ज की गई है। इसके बावजूद दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण का स्तर खतरनाक बना हुआ है।
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) द्वारा की जा रही मॉनिटरिंग के आंकड़ों के अनुसार, इस साल 15 सितंबर से 30 नंवबर के बीच पंजाब में पराली जलाने की 5114 घटनाएं दर्ज की गईं, जबकि पिछले साल यह संख्या 10,909 थी। वर्ष 2020 में पंजाब में पराली की आग के 83,002 मामले सामने आए थे। इस तरह पंजाब में पराली जलाने के मामलों में 90 फीसदी से ज्यादा कमी आए है।
हरियाणा में इस सीजन पराली की आग के केवल 662 मामले दर्ज किए आए, जो पिछले पांच वर्षों में सबसे कम हैं। पिछले वर्ष हरियाणा में 1,406 और 2021 में 6,987 मामले दर्ज किए गए थे। इन मामलों में कमी के पीछे पराली जलाने वाले किसानों की धरपकड़ और जुर्माने जैसी सख्त कार्रवाई के अलावा पराली प्रबंधन और वैकल्पिक उपयोग को प्रोत्साहन को वजह माना जा रहा है।
हरियाणा-पंजाब से इतर एमपी और यूपी में पराली जलाने की घटनाएं बढ़ रही हैं। इस सीजन मध्य प्रदेश से पराली जलाने के 17,067 मामले सामने आए, जबकि बीते साल यह आंकड़ा 16,360 था। यूपी में पराली की आग के मामले बढ़कर 7,290 हो गए, जो पिछले सीजन में 6,142 थे।
हरियाणा-पंजाब में पराली जलाने को दिल्ली में प्रदूषण के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता था। लेकिन इस साल इन राज्यों में पराली जलाने के मामलों में भारी कमी के बावजूद दिल्ली-एनसीआर में सांस लेना मुश्किल है। जबकि आंकड़े बताते हैं कि दिल्ली के प्रदूषण में पराली की आग का योगदान कम हुआ है। पूरे सीजन में केवल 8 दिन ऐसे रहे जब दिल्ली के प्रदूषण में पराली के धुएं का हिस्सा 10% से अधिक रहा। यानी दिल्ली के प्रदूषण के लिए सिर्फ पराली की आग ही नहीं बल्कि अन्य कारण भी जिम्मेदार हैं। इनमें कंस्ट्रक्शन की धूल और वाहनों का धुआं प्रमुख है।
विशेषज्ञों का मानना है कि सैटेलाइट से प्राप्त आंकड़ों में अंडर रिपोर्टिंग की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता है। लेकिन यह भी स्पष्ट है कि पहले की तुलना में हरियाणा-पंजाब में पराली जलाने के मामलों में कमी आई है। फिर भी दिल्ली में प्रदूषण का खतरनाक स्तर कई सवाल खड़े करता है।

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