मूंगफली किसानों को नुकसान से बचाने में मददगार होगी इक्रीसैट की जीनोमिक खोज
एक महत्वपूर्ण अध्ययन में बेमौसम बारिश की वजह से मूंगफली में कटाई से पहले अंकुरण को रोकने वाली किस्मों और खास जीन की पहचान की गई है।
मूंगफली की फसल में कटाई से पहले बारिश के कारण अंकुरण (प्री-हार्वेस्ट स्प्राउटिंग) शुरू हो जाता है, जिससे किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ता है। विश्व की लगभग 60% मूंगफली स्पैनिश किस्मों से आती है और इन किस्मों में यह समस्या अधिक देखने को मिलती है। इसके कारण उपज 10–20% तक घट जाती है और गंभीर स्थितियों में यह नुकसान 50% तक पहुंच सकता है।
एक हालिया अध्ययन में इंटरनेशनल क्रॉप्स रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर द सेमी-एरिड ट्रॉपिक्स (ICRISAT) और उसके सहयोगी संस्थानों ने इस समस्या का समाधान खोजने में महत्वपूर्ण सफलता प्राप्त की है। यह शोध दर्शाता है कि फ्रेश सीड डॉरमेंसी वाली मूंगफली किस्में कैसे विकसित की जा सकती हैं। यह एक प्राकृतिक “इनबिल्ट वेटिंग पीरियड” है, जो कटाई से पहले अंकुरण को रोकता है और उपज तथा गुणवत्ता की रक्षा करता है। यह गुण किसानों को बेमौसम बारिश से होने वाले नुकसान से बचाने में अत्यंत उपयोगी हो सकता है।
इस खोज के बारे में ICRISAT के महानिदेशक डॉ. हिमांशु पाठक ने कहा कि जलवायु अनिश्चितता कृषि के लिए लगातार चुनौती बनी हुई है। फ्रेश सीड डॉरमेंसी की जीनोमिक समझ ग्लोबल साउथ के करोड़ों छोटे किसानों के लिए मददगार सिद्ध हो सकती है। दुनिया भर के मूंगफली ब्रीडर्स को इन खोजों का उपयोग कर जलवायु-सहिष्णु किस्में विकसित करनी चाहिए।
आमतौर पर मूंगफली की फसल 90–120 दिनों में पक जाती है और किसानों को कटाई एवं सुखाई के लिए बहुत कम समय मिलता है। फसल तैयार होने के बाद पकने या सुखाने के दौरान जरा-सी भी बारिश हो जाए, तो प्री-हार्वेस्ट स्प्राउटिंग शुरू हो जाती है, जिससे उपज, गुणवत्ता और आय पर गंभीर प्रभाव पड़ता है।
वैज्ञानिकों ने ICRISAT जीनबैंक से मूंगफली के 184 बीज-सैंपल लिए और उनका अलग-अलग मौसमों में मूल्यांकन किया। इससे पता चला कि कुछ किस्में नमी में भी 30 दिनों तक अंकुरित नहीं हुईं, जबकि कुछ एक सप्ताह में ही अंकुरित हो गईं। वैज्ञानिकों ने 10–21 दिन की डॉरमेंसी वाली किस्मों का चयन किया, जो अंकुरण से बचाव और अगली फसल की समय पर बुवाई दोनों के लिए उपयुक्त हैं।
इन चयनित किस्मों की अनुवांशिक संरचना का विश्लेषण करने पर वैज्ञानिकों ने फ्रेश सीड डॉरमेंसी और प्री-हार्वेस्ट स्प्राउटिंग प्रतिरोध से जुड़े 9 हाई-कॉन्फिडेंस कैंडिडेट जीन की पहचान की। ये जीन बेहतर किस्में विकसित करने में मूल्यवान जानकारी प्रदान करते हैं।
ICRISAT के उप-महानिदेशक (अनुसंधान व नवाचार), डॉ. स्टैनफोर्ड ब्लेड ने कहा, “मूंगफली अर्ध-शुष्क क्षेत्रों की अर्थव्यवस्था की रीढ़ और वैश्विक तिलहन उत्पादन का आधार है। सीड डॉरमेंसी का अनुकूलन न केवल छोटे किसानों के लिए, बल्कि बदलते मौसम में भी गुणवत्तापूर्ण उत्पादन बनाए रखने और नुकसान कम करने के लिहाज से वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए परिवर्तनकारी साबित हो सकता है।”
यह शोध 2–3 सप्ताह की सीड डॉरमेंसी वाली नई मूंगफली किस्में विकसित करने का आधार बन सकता है, जो किसानों के लिए कटाई प्रक्रिया को आसान बनाएंगी।
मुख्य शोधकर्ता डॉ. मनीष पांडेय (प्रिंसिपल साइंटिस्ट, जीनोमिक्स एवं प्री-ब्रीडिंग, ICRISAT) ने बताया कि हालांकि उनका शोध मूंगफली पर केंद्रित है, लेकिन फ्रेश सीड डॉरमेंसी कई फसलों के लिए एक महत्वपूर्ण गुण है—विशेषकर मौसम की अनिश्चितता को देखते हुए। जीनोमिक स्तर पर समाधान सबसे किफायती और बड़े पैमाने पर लागू होने वाला तरीका है। उम्मीद है कि हमारे निष्कर्ष इस क्षेत्र में आगे के शोध को प्रेरित करेंगे।”
ICRISAT ने हाल के वर्षों में मूंगफली में गर्मी-सहिष्णुता, रोग-प्रतिरोधकता और ब्लैंचिंग गुणवत्ता पर भी महत्वपूर्ण जीनोमिक प्रगति हासिल की है। यह अध्ययन भारत के कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय रायचूर, अमेरिका के USDA–ARS क्रॉप जेनेटिक्स एंड ब्रीडिंग रिसर्च यूनिट, चीन के ऑयल क्रॉप्स रिसर्च इंस्टीट्यूट और ऑस्ट्रेलिया की मर्डोक यूनिवर्सिटी के सहयोग से किया गया। इस शोध को भारत सरकार (DBT) और बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन (BMGF) का भी सहयोग प्राप्त था।

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