बोंडा आदिवासी समुदाय से ग्रेजुएशन की पढ़ाई करने वाली पहली लड़की कर्मा मुदुली के बारे में जानें सबकुछ

कर्मा का एक वीडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुआ था जिसमें यह था कि वह गर्मी की छुट्टियों में मल्कानगिरी जिला मुख्यालय से लगभग 85 किमी दूर अपने घर आई थी और पढ़ाई का खर्च उठाने के लिए दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम कर रही थी। सोशल और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर उसकी खबर आने के बाद उसकी दुर्दशा पर सरकार का ध्यान गया। इसके बाद जल्दी ही उसे पढ़ाई के लिए राज्य सरकार से कुछ आर्थिक मदद मिल गई। मल्कानगिरी जिले के खैरपुट ब्लॉक के पडेईगुडा गांव की रहने वाली कर्मा इस समय रमा देवी महिला विश्वविद्यालय, भुवनेश्वर से स्नातक की पढ़ाई कर रही है। बोंडा आदिवासी समुदाय की वह पहली लड़की है जो स्नातक कर रही है।

बोंडा आदिवासी समुदाय से ग्रेजुएशन की पढ़ाई करने वाली पहली लड़की कर्मा मुदुली के बारे में जानें सबकुछ
कर्मा मुदुली।

ओडिशा के बोंडा आदिवासी समुदाय की एक लड़की न केवल अपने गृह राज्य में, बल्कि पूरे देश के लिए प्रेरणा-स्रोत बन रही है क्योंकि वह अपनी उच्च शिक्षा का खर्च उठाने के लिए मजदूर के रूप में चिलचिलाती धूप में कड़ी मेहनत करती है और सिविल सेवा परीक्षा में सफल होने का सपना देख रही है। 20 वर्षीय कर्मा मुदुली ओडिशा के पिछड़े मल्कानगिरी जिले के विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (पीवीटीजी) से है। वह गरीब माता-पिता की चार संतानों में से एक है जो दिहाड़ी मजदूरी भी करते हैं।

कर्मा के पिता बुडा मुदुली (60 वर्ष) छोटे किसान हैं और उसकी मां सुकरी (57 वर्ष) उनकी मदद करती हैं। कर्मा के बड़े भाई बीना ने आठवीं कक्षा तक पढ़ाई की है। वह आंध्र प्रदेश में राजमिस्त्री का काम करता है। दो छोटी बहनों में से 17 वर्षीय मंगुली को आर्थिक तंगी की वजह से अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ी, जबकि 12 वर्षीय सीमा कदमगुडा आश्रम स्कूल की कक्षा 7वीं की छात्रा है। यह ओडिशा सरकार के अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति विभाग द्वारा संचालित आवासीय विद्यालय है जो बुनियादी सुविधाओं से मरहूम एकांत पहाड़ी क्षेत्र में शिक्षा के इच्छुक युवाओं के लिए एकमात्र आशा की किरण है।

कर्मा का एक वीडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुआ था जिसमें यह था कि वह गर्मी की छुट्टियों में मल्कानगिरी जिला मुख्यालय से लगभग 85 किमी दूर अपने घर आई थी और पढ़ाई का खर्च उठाने के लिए दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम कर रही थी। सोशल और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर उसकी खबर आने के बाद उसकी दुर्दशा पर सरकार का ध्यान गया। इसके बाद जल्दी ही उसे पढ़ाई के लिए राज्य सरकार से कुछ आर्थिक मदद मिल गई। मल्कानगिरी जिले के खैरपुट ब्लॉक के पडेईगुडा गांव की रहने वाली कर्मा इस समय रमा देवी महिला विश्वविद्यालय, भुवनेश्वर से स्नातक की पढ़ाई कर रही है। बोंडा आदिवासी समुदाय की वह पहली लड़की है जो स्नातक कर रही है।

कर्मा ने अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति विभाग द्वारा संचालित गोविंदपल्ली के सरकारी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय से 12वीं पास की है। 12वीं की बोर्ड परीक्षा में कॉमर्स में 82.66 फीसदी अंक हासिल कर उसने जिले में टॉप किया और अपने समुदाय का गौरव बढ़ाया था। एसएसडी हायर सेकेंडरी स्कूल, गोविंदपल्ली का पिछले साल विज्ञान और वाणिज्य संकाय में उत्साहजनक परिणाम रहा था। कर्मा को कॉमर्स में 600 में से 496 अंक मिले थे। उसकी इस उपलब्धि के लिए स्कूल ने उसे सम्मानित किया था।

वह जिले में किसी परीक्षा में टॉप करने वाली पीवीटीजी समुदाय की पहली लड़की थी। यह उस जनजाति के लिए एक दुर्लभ मौका था जो शहरी दुनिया की चकाचौंध से दूर रहती है। 2011 की जनगणना के अनुसार, बोंडा आदिवासियों की साक्षरता दर मात्र छह फीसदी है। महिलाओं में तो यह और भी कम है।

रूरल वॉयस से बातचीत में कर्मा मुदुली ने कहा, "मुझे एक धर्मार्थ ट्रस्ट से पढ़ाई के लिए कुछ पैसे मिल रहे हैं, लेकिन यह अभी भी अपर्याप्त है क्योंकि रोजाना खर्च, हॉस्टल फीस, विश्वविद्यालय की फीस, अध्ययन सामग्री और अन्य के लिए हर महीने लगभग 3,000 रुपये की आवश्यकता होती है। मैंने गर्मी की छुट्टियों के दौरान काम करके कुछ पैसे कमाने को प्राथमिकता दी।'' मजबूत इच्छाशक्ति और आत्म-प्रेरणा से भरपूर कर्मा कहती है, “हमारे पास खेती लायक जमीन नहीं है, लेकिन मेरे पिता दूसरों के खेतों में खेती करते हैं और लगातार हमारी पढ़ाई का समर्थन करते हैं।” जिले के अधिकारियों ने कर्मा को आश्वासन दिया है कि वे उसके सभी खर्चों का ख्याल रखेंगे।

उसने बताया, "अधिकारियों ने मुझे बताया है कि सरकार मेरी पढ़ाई का खर्च मुख्यमंत्री राहत कोष से देगी। अब मैं पूरी तरह से अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करूंगी।" मल्कानगिरी जिला कल्याण अधिकारी (डीडब्ल्यूओ) प्रफुल्ल कुमार भुजबल के मुताबिक, कर्मा को 30,000 रुपये का चेक दिया गया है। उसे जल्द ही एक लैपटॉप भी दिया जाएगा। डीडब्ल्यूओ ने कहा कि कर्मा को 13,000 रुपये की सालाना छात्रवृत्ति (पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति) मिल रही था जिसमें छात्रावास के लिए 10,000 रुपये और स्कूल की फीस के लिए 3,000 रुपये शामिल थे। उसके परिवार को बोंडा विकास एजेंसी, मुदुलीपाड़ा से आजीविका सहायता भी मिल रही है, जबकि उसके माता-पिता एमबीपीवाई (मधु बाबू पेंशन योजना) योजना के तहत वृद्धावस्था पेंशन का लाभ उठा रहे हैं।

कर्मा की तरह उसके समुदाय की एक अन्य लड़की मल्कानगिरी के बीजू पटनायक कॉलेज की प्लस-III आर्ट्स की छात्रा सुमिता मुदुली भी मजदूर के रूप में काम कर रही थी। उसे भी अधिकारियों द्वारा छात्रवृत्ति का आश्वासन दिया गया है। कर्मा के लिए शिक्षा हमेशा प्राथमिकता रही है। उसने प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा खैरपुट के बडबेल हाई स्कूल से पूरी की और 2020 में हाई स्कूल सर्टिफिकेट परीक्षा में 57 फीसदी अंक हासिल करके जिले में दूसरे स्थान पर रही।

उसने बताया, "चूंकि मेरे परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी इसलिए शुरू में मैं उच्च शिक्षा हासिल करने को लेकर अनिच्छुक थी। मगर माता-पिता और अपने समुदाय की खातिर मैंने आगे बढ़ने का फैसला किया।" 12वीं की पढ़ाई के दौरान वह सुबह साढ़े 3 बजे उठकर पढ़ाई करती थी और शिक्षकों द्वारा दिए गए कार्यों को पूरा करती थी। हॉस्टल में दो साल रहने के दौरान वह रोजाना कम से कम 6-7 घंटे पढ़ती थी। कर्मा बताती है कि उसके पास कॉपियां खरीदने के पैसे नहीं होते थे इसलिए पेंसिल से लिखती थी और उसे मिटा का उस पर फिर से लिखती थी।

कर्मा कहती है, “मैं लेक्चरर बनना चाहती हूं ताकि मैं अपने क्षेत्र के युवाओं को शिक्षित करने में उनका मार्गदर्शन करने में मदद कर सकूं। मैं भी सिविल सेवा परीक्षा (यूपीएससी) देना चाहती हूं और उसमें सफल होना चाहती हूं।'' मल्कानगिरी के कलेक्टर विशाल सिंह ने उसे सम्मानित करते हुए कहा, "कर्मा अपने समुदाय के लिए एक रोल मॉडल, संभावना, आशा और परिवर्तन का प्रतीक है।"

Subscribe here to get interesting stuff and updates!