प्रतिभाशाली छात्र की बनाई सोलर ट्रैप तकनीक फसलों को बचाएगी कीटों से

सोलर इंसेक्ट ट्रैप से फसल में हानिकाऱक कीटों पर रोकथाम आसानी से की जा सकती है। इस एक ट्रैप के माध्यम से आप एक एकड़ में फसल को बचा सकते हैं। यह इको फ्रेंडली सोलर इन्सेक्ट ट्रैप है । इसमें फसल को कीटों से बचाने के लिए किसी भी प्रकार के केमिकल की जरूरत नही पड़ती है।

प्रतिभाशाली छात्र की बनाई सोलर ट्रैप तकनीक फसलों को बचाएगी कीटों से

जेपी सिंह

फसल को  हानिकारक कीटों से बचाने के लिए किसान भाई न जाने कितने उपाय करते हैं। इन कीटों से निपटने के लिए ज्यादातर किसान रासायनिक कीटनाशकों का इस्तेमाल करते हैं जिससे वातावरण भी प्रभावित होता है। कई बार तो किसानों को स्वास्थ्य के लिहाज से भी काफी परेशानियां उठानी पड़ती हैं। लेकिन जिस तरह से दुनिया भर में केमिकल और पेस्टीसाइड का अंधाधुध प्रयोग हो रहा है, उससे खेती और इंसान दोनों को बहुत नुकसान पहुंच रहा है। दुनिया भर में हुए शोधों में पता चला है कि कैंसर समेत कई बीमारियों के लिए कुछ हद तक ये कीटनाशक जिम्मेदार हैं। लेकिन इन समस्याओं से निजात पाने के लिए जिला चित्तौड़गढ़  गांव बिलोदा, राजस्थान के  विजय गाडरी,  जो बी.एससी. (कृषि) के छात्र हैं, ने  अपने पिता की बोई गई फसल को हानिकाऱक कीटों द्वारा नुकसान होती   देखकर  उसे बचाने के लिए सोलर ट्रैप मशीन बना डाली है ।

 एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 1950 में देश में जहां 2000 टन कीटनाशक की खपत थी वहीं अब ये बढ़कर 90 हज़ार टन पर पहुंच गई है । इसका परिणाम यह है कि भारत में पैदा होने वाले अनाज, सब्ज़ी, फलों व दूसरे कृषि उत्पादों में रासायनिक कीटनाशकों का इस्तेमाल किए बिना रोगों और कीटों का नियंत्रण कैसे किया जाय इस तकनीक पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है ताकि सायन के दुष्प्रभाव से बचा जा सके । हानिकारक कीटों से फसल को बचाना किसानों के लिए एक बड़ी चुनौती होती है क्योकि अक्सर किसान अपनी फसल में लगने वाले कीटों से परेशान रहते हैं, जिसके लिए तरह-तरह के  रासायनिक कीटनाशक का इस्तेमाल करते हैं। इससे फसल और मिट्टी की गुणवत्ता दोनो खराब होती हैं और इंसान के स्वास्थय के लिहाज से भी फसलों पर अधिक रसायन का इस्तेमाल करना सही नही है । लेकिन अब  विजय गाडरी द्वारा  बनाई गई  सोलर इन्सेक्ट ट्रैप मशीन से हानिकारक कीटों का बिना रसायन का इस्तेमाल किए नियंत्रण किया जा सकता है । वह बताते हैं कि इसको बनाने में लगभग 500 रुपये का खर्चा आता है । 

 ऐसे काम करता है ट्रैप

सोलर इंसेक्ट ट्रैप से फसल में हानिकाऱक कीटों पर रोकथाम आसानी से की जा सकती है। इस एक ट्रैप के माध्यम से आप एक एकड़ में फसल को बचा सकते हैं। यह इको फ्रेंडली सोलर इन्सेक्ट ट्रैप है । इसमें फसल को कीटों से बचाने के लिए किसी भी प्रकार के केमिकल की जरूरत  नही पड़ती है। विजय गाडरी बताते है कि, इस तरह के  सोलर इन्सेक्ट ट्रैप को बनाने में  सोलर प्लेट और सोलर चार्जेबल बैटरी ली, इसके बाद कीटों को आकर्षित करने के लिए अल्ट्रा वायोलेट एलईडी लैंप  की जरूरत  पड़ती है , और फिर इन तीनों चीजों को जोड़कर बना दिया जाता है  इको फ्रेंडली सोलर इन्सेक्ट ट्रैप। जो  किसी भी तरह के हानिकारक कीट को अपनी तरफ आकर्षित करके खत्म करने में सक्षम है। रात होते ही यह सोलर ट्रैप ऑटोमेटिक चालू हो जाते हैं और लगातार 5 से 6 घंटे चलते हैं । इस मशीन की सेल्फ लाइफ कम से कम पांच साल तक है और इसमें एक बार लगाने के बाद किसी भी तरह का खर्च नहीं आता है।

ऐसे करें इस्तेमाल

शाम के समय जब सूरज की रोशनी धीमी पड़ने लगती है और उसके 4 घंटे बाद तक फ़सल पर कीटों का प्रकोप सबसे ज्यादा होता है। और इसी समय सोलर इंसेक्ट ट्रैप अपना काम करना चालू कर देती हैं। सोलर इंसेक्ट ट्रैप में लगी एलईडी लाइटों के कारण कीट इसकी तरफ आकर्षित होते हैं। और इसके पास पहुंचते ही नीचे डाले गए केरोसिन या डीजल में गिरकर मर जाते हैं। विजय का कहना है कि इसे खेत मे शाम 6 बजे से रात 10 बजे तक लैंम्प जलाना  होता है  ताकि  हानिकारक  कीट आकर्षित होकर खत्म हो जाए |  उनके अनुसार  इस सोलर इंसेक्ट ट्रैप  से इल्ली, रिंगकटर, तना छेदक, फली छेदक, रस चूसक आदि हानिकारक कीटों का  नियंत्रण किया जा सकता है और जब फसल 20 से 25 दिन की हो  जाय तब इस मशीन का इस्तेमाल   किया जाता हैं|

छोटी लागत... बड़ा काम

विजय बताते हैं की किसानों को ये मशीन कम कीमत पर मिल  सकेगी। और किसान कम लागत वाली इस मशीन का फायदा उठाकर ज्यादा से ज्यादा लाभ ले सकेंगे।

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