गेहूं की नई फसल आने से ई-नीलामी का लक्ष्य रह गया अधूरा, एफसीआई ने 45 लाख टन के मुकाबले बेचा 34 लाख टन

नीलामी में कुल 33.77 लाख टन गेहूं की बिक्री हुई है, जबकि लक्ष्य 45 लाख टन का रखा गया था। 1 अप्रैल से एफसीआई गेहूं की सरकारी खरीद शुरू करेगा। इसे देखते हुए सरकार ने गेहूं उठाने की प्रक्रिया को 31 मार्च तक पूरा करने की अनुमति दी है। 5वीं ई-नीलामी तक 28.86 लाख टन गेहूं बेचा गया था जिसमें से 14 मार्च तक 23.30 लाख टन गेहूं का उठान हो चुका है।

गेहूं की नई फसल आने से ई-नीलामी का लक्ष्य रह गया अधूरा, एफसीआई ने 45 लाख टन के मुकाबले बेचा 34 लाख टन
प्रतीकात्मक फोटो

भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) द्वारा की गई छठी ई-नीलामी में 4.91 लाख टन गेहूं की बिक्री हुई। हालांकि, एफसीआई ने 15 मार्च को हुई नीलामी के लिए 10.69 लाख टन गेहूं की पेशकश की थी। यह लगातार चौथी नीलामी है जब पेशकश के मुकाबले आधे से भी कम गेहूं के लिए बोली लगाई गई। इसी के साथ नीलामी खत्म हो गई है क्योंकि अब गेहूं की नई फसल की आवक शुरू हो गई है। नीलामी में कुल 33.77 लाख टन गेहूं की बिक्री हुई है, जबकि लक्ष्य 45 लाख टन का रखा गया था। 1 अप्रैल से एफसीआई गेहूं की सरकारी खरीद शुरू करेगा। इसे देखते हुए सरकार ने गेहूं उठाने की प्रक्रिया को 31 मार्च तक पूरा करने की अनुमति दी है। 5वीं ई-नीलामी तक 28.86 लाख टन गेहूं बेचा गया था जिसमें से 14 मार्च तक 23.30 लाख टन गेहूं का उठान हो चुका है।

गेहूं और आटे की बढ़ती घरेलू कीमतों को थामने के लए सरकार ने केंद्रीय पूले से खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत 50 लाख टन गेहूं बेचने का फैसला किया था। इसमें 45 लाख टन गेहूं की बिक्री ई-नीलामी के जरिये आटा मिलों, गेहूं उत्पाद निर्माताओं जैसे थोक खरीदारों को की जानी थी। जबकि 5 लाख टन गेहूं नेफेड, एनसीसीएफ, केंद्रीय भंडार और राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों की एजेंसियों को बिना नीलामी के जरिये बेची गई थी ताकि आम लोगों को सस्ता आटा मिल सके।

गेहूं की खुली बिक्री का लक्ष्य पूरा न होने के पीछे विशेषज्ञ यह वजह बता रहे हैं कि सरकार द्वारा ई-नीलामी करने का फैसला देर से लिया गया जबकि कीमतें नवंबर 2022 से ही बढ़नी शुरू हो गई थी। बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि गेहूं की नई फसल की आवक मार्च में शुरू हो जाती है। नई फसल का इंतजार करने के लिए  थोक खरीदारों ने नीलामी में अपनी तत्काल जरूरत के मुताबिक ही बोली लगाई। गुणवत्ता एक कारण है जिसकी वजह से उन्होंने ऐसा किया। एफसीआई का गेहूं पुराना होता है जबकि अब वे नई फसल का स्टॉक कर सकते हैं।     

उपभोक्‍ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि 15 मार्च  को गेहूं की छठी ई-नीलामी में एफसीआई के 23 क्षेत्रों के 611 डिपो से कुल 970 बोलीदाताओं को 4.91 लाख टन गेहूं बेचा गया। छठी ई-नीलामी में अखिल भारतीय औसत आरक्षित मूल्य 2,140.46 रुपये प्रति क्विंटल की तुलना में औसत बिक्री मूल्य 2,214.32 रुपये प्रति क्विंटल रहा। इस नीलामी में सबसे अधिक मांग 100 से 499 मीट्रिक टन तक की रही। इसके बाद 500 से 999 मीट्रिक टन की और उसके बाद 50 से 100 मीट्रिक टन मात्रा की रही।

पहली नीलामी 1 और 2 फरवरी को आयोजित की गई थी जिसमें 9.13 लाख टन गेहूं 1,016 बोलीदाताओं को 2,474 रुपये प्रति क्विंटल के औसत मूल्य पर बेचा गया। 15 फरवरी को दूसरी नीलामी में 3.85 लाख टन गेहूं 1,060 बोलीदाताओं को 2,338 रुपये प्रति क्विंटल के औसत मूल्य पर बेचा गया। तीसरी ई-नीलामी के दौरान 875 सफल बोलीदाताओं को 5.07 लाख टन गेहूं 2,173 रुपये प्रति क्विंटल के औसत मूल्य पर बेचा गया। चौथी ई-नीलामी में 5.40 लाख टन गेहूं 1,049 सफल बोलीदाताओं को 2,193.82 रुपये प्रति क्विंटल के औसत मूल्य पर बेचा गया। 5वीं नीलामी में 5.39 लाख टन गेहूं 1,248 बोलीदाताओं को 2,197.91 रुपये प्रति क्विंटल के भारित औसत मूल्य पर बेचा गया।

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