मानसून ने पकड़ी रफ्तार, दो दिन तक 25 राज्यों में भारी बारिश का आईएमडी ने जताया अनुमान

दक्षिण-पश्चिम मानसून ने 17 दिन तक कमजोर रहने के बाद रफ्तार पकड़ ली है। उत्तर, मध्य और पूर्वी भारत के इलाकों में रविवार को मानसून की अच्छी बारिश हुई। हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्यों में कई जगह भारी बारिश की वजह से बादल फटने की खबर है जिससे काफी तबाही हुई है। मौसम विभाग (आईएमएडी) ने सोमवार को बताया कि अगले दो दिन तक 25 राज्यों में भारी से बहुत भारी बारिश होने का अनुमान है।

मानसून ने पकड़ी रफ्तार, दो दिन तक 25 राज्यों में भारी बारिश का आईएमडी ने जताया अनुमान
मानसून की बारिश पर देश की 52 फीसदी खेती निर्भर है।

दक्षिण-पश्चिम मानसून ने 17 दिन तक कमजोर रहने के बाद रफ्तार पकड़ ली है। उत्तर, मध्य और पूर्वी भारत के इलाकों में रविवार को मानसून की अच्छी बारिश हुई। हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्यों में कई जगह भारी बारिश की वजह से बादल फटने की खबर है जिससे काफी तबाही हुई है। मौसम विभाग (आईएमएडी) ने सोमवार को बताया कि अगले दो दिन तक 25 राज्यों में भारी से बहुत भारी बारिश होने का अनुमान है। आईएमडी के मुताबिक, यदि दर्ज की गई बारिश सामान्य से चार गुना अधिक है या व्यापक स्तर पर है तो मानसून की गतिविधि को जोरदार माना जाता है।

मौसम विभाग ने अगले दो दिन तक जिन राज्यों में भारी बारिश का अनुमान जताया है उनमें झारखंड, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर, मध्य प्रदेश, कोंकण व गोवा, छत्तीसगढ़, असम, मेघालय, नगालैंड, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश शामिल हैं। इनके अलावा ओडिशा, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, पूर्वी राजस्थान, गुजरात, मध्य महाराष्ट्र और विदर्भ, तटीय कर्नाटक और केरल में सोमवार और मंगलवार को भारी बारिश हो सकती है। जबकि बिहार में मध्यम बारिश का अनुमान आईएमडी ने जताया है।

अल-नीनो की वजह से अब तक मानसून की स्थिति कमजोर रही है। कमजोर मानसून की वजह से धान और खरीफ की अन्य फसलों की बुवाई में देरी हुई है। इससे खरीफ उत्पादन प्रभावित होने की आशंका जताई जा रही भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) का कहना है कि जून, जुलाई और अगस्त में मानसून की बारिश पर अल-नीनो का असर पड़ने की 70 फीसदी संभावना है।

भारत के कृषि परिदृश्य के लिए मानसून की सामान्य बारिश बहुत महत्वपूर्ण है। देश की कुल खेती योग्य जमीन का 52 फीसदी इस पर निर्भर है। जबिक देश के कुल खाद्य उत्पादन में वर्षा आधारित कृषि का योगदान लगभग 40 फीसदी है जो भारत की खाद्य सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके अलावा, यह पूरे देश में पेयजल और बिजली उत्पादन के लिए आवश्यक जलाशयों को फिर से भरने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

इस साल दक्षिण-पश्चिम मानसून एक हफ्ते की देरी से 8 जून को केरल के तट से टकराया है। इसके बावजूद आईएमडी ने 'सामान्य' मानसून की भविष्यवाणी की है। मगर इसका मतलब यह नहीं है कि देश के प्रत्येक हिस्से में मानसून के दौरान अच्छी वर्षा होगी। इसका मतलब यह है कि कुल वर्षा सामान्य सीमा के भीतर होगी। हालांकि, कुछ स्थानों पर अधिक और कुछ स्थानों पर कम वर्षा हो सकती है।

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