पराली जलाने के लिए किसान नहीं, राज्य सरकारों की नाकामी जिम्मेदारः एनएचआरसी

एनएचआरसी का कहना है कि राज्य सरकारों को पराली से छुटकारा पाने के लिए हार्वेस्ट मशीनें उपलब्ध करानी हैं। लेकिन वे पर्याप्त संख्या में मशीनें और अन्य उपाय उपलब्ध कराने में विफल रही हैं। नतीजतन, किसान पराली जलाने को मजबूर हैं जिससे प्रदूषण फैल रहा है। कोई भी राज्य पराली जलाने के लिए किसानों को दोष नहीं दे सकता है। किसानों की जगह राज्य सरकारों की विफलता इसका कारण है

पराली जलाने के लिए किसान नहीं, राज्य सरकारों की नाकामी जिम्मेदारः एनएचआरसी

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण पर सख्त रुख अपनाया है। आयोग ने कहा है कि राज्य सरकारों की नाकामी की वजह से पराली जलाने की घटनाएं कम नहीं हो रही हैं, किसान मजबूरी में पराली जला रहे हैं। एनएचआरसी ने 10 नवम्बर को दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और यूपी के मुख्य सचिवों के साथ एक बैठक में दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण पर चर्चा की।

एनएचआरसी  का कहना है कि राज्य सरकारों को पराली से छुटकारा पाने के लिए हार्वेस्ट मशीनें उपलब्ध करानी हैं। लेकिन वे पर्याप्त संख्या में मशीनें और अन्य उपाय उपलब्ध कराने में विफल रही हैं। नतीजतन, किसान पराली जलाने को मजबूर हैं जिससे प्रदूषण फैल रहा है। कोई भी राज्य पराली जलाने के लिए किसानों को दोष नहीं दे सकता है। किसानों की जगह राज्य सरकारों की विफलता इसका कारण है।

एनएचआरसी ने चारों राज्यों के मुख्य सचिवों को 18 नवंबर, 2022 को मामले की अगली सुनवाई के लिए व्यक्तिगत रूप से या हाइब्रिड मोड में फिर से उपस्थित रहने के लिए कहा है। इससे पहले चार दिनों के भीतर अपने द्वारा उठाए गए बिंदुओं पर जबाब देने के लिए कहा है।

दिल्ली सरकार से सवाल

एनएचआरसी ने दिल्ली सरकार से जवाब मांगा है कि 5000 एकड़ खेत में से 07.11.2022 तक केवल 2368.5 एकड़ धान में दिल्ली सरकार ने बायो डीकंपोजर का नि:शुल्क छिड़काव किया। शेष क्षेत्र में छिड़काव न करने के कारण पराली जलाई गई है। आयोग ने पूछा है- (1) शेष धान के खेत में बायो डीकंपोजर  कितने समय के भीतर छिड़क दिया जाएगा। (2) मेकैनिकल रोड स्वीपर (एमआरएस) मशीनों पर समय, स्थान और तारीखों के साथ विवरण प्रस्तुत किया जाना चाहिए, (3) विभिन्न सड़कों पर तैनात मोबाइल और स्टैटिक एंटी-स्मॉग गन का विवरण देने को कहा है, (4) दिल्ली में 13 चिन्हित हॉटस्पॉट और एक्यूआई को उचित सीमा के भीतर रखने के लिए किए गए उपाय और साथ ही इससे निपटने के लिए आपातकालीन योजना बनाने के लिए कहा है, (5) लगाए गए पेड़ों का क्षेत्रवार विवरण (6) चल रहे और बंद अवैध उद्योगों की संख्या, मेडिकल अपशिष्ट कैसे एकत्र किया जाता है और खुले क्षेत्र में अपशिष्ट डंप करने वाले अस्पतालों के खिलाफ की गई कार्रवाई का विवरण, (7) जन शिकायत निवारण के लिए ग्रीन दिल्ली एप्लीकेशन और ग्रीन वॉर रूम के संबंध में ग्रीन दिल्ली एप पर कितनी शिकायतें अपलोड की गई हैं और कितनी शिकायतों का निवारण किया गया है।

हरियाणा सरकार से सवाल

एनएचआरसी ने हरियाणा सरकार से पूछा है- (1) बायो-डिग्रेडिंग से कितना क्षेत्र कवर किया गया है, उसका जिला-वार विवरण और उसका परिणाम आये हैं, (2) गांवों में कितने हॉटस्पॉट चिन्हित किए गए हैं और उन्हें दूर करने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं, (3) वायु प्रदूषण संबंधी शिकायतों के निवारण के लिए बल्लभगढ़ में हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, नियंत्रण कक्ष का क्या परिणाम है, (4) निर्माण गतिविधियों को रोकने के लिए उठाए गए कदम और चालान का विवरण (5) उद्योगों द्वारा उत्सर्जन मानदंडों के अनुपालन की जांच करने और उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जांच के लिए कितने निरीक्षण किए जा रहे हैं।

पंजाब सरकार से सवाल

आयोग ने पंजाब सरकार पूछा है कि साल 2021 में 10,5310 सीआरएम मशीनें थीं। उसकी तुलना में इस वर्ष केवल 14,888 मशीनों की बढ़ोतरी हुई है जबकि 2022 के के लिए 30000 मशीनों की खरीद की स्वीकृति दी गई है। स्वीकृत मशीनों की खरीद क्यों नहीं की गई  इसका काऱण बताया जाय, (2) इन सीआरएम मशीनों में से कितनी पंचायतों और सहकारी समितियों के लिए आरक्षित की गई हैं, कितनी मशीनें गरीब किसानों के उपयोग के लिए समर्पित हैं, (3) आई-खेत ऐप पर बुकिंग के लिए उपलब्ध मशीनों की संख्या कितनी है, (4) पराली ना जलाने की जागरूकता के लिए क्या कौन-कौन से अभियान/सेमिनार/प्रदर्शनी/आयोजित किए गए हैं, तिथि, स्थान और लोगों की संख्या के साथ विवरण प्रस्तुत करें, (5) उपयोग किए गए बायो-डीकंपोजर का विवरण, जिला, पंचायत और क्षेत्रवार विवरण तिथियां और उसका प्रभाव, (6) पिछले वर्ष से लेकर आज तक की तिथि-वार आग लगने की घटनाएं।

उत्तर प्रदेश सरकार से सवाल

एनएचआरसी ने उत्तर प्रदेश सरकार से चार सवाल पूछे हैं- (1) फसल अवशेष प्रबंधन में फार्म मशीनरी बैंकों की स्थापना के लिए एफपीओ, सहकारी समितियों और पंचायतों की सब्सिडी का क्या प्रभाव है, (2) कितनी मशीनें पंचायत और सहकारी समितियों को दी गई हैं और गरीब किसानों के लिए आरक्षित हैं, पंचायतें उपकरण का उपयोग करने में गरीब किसानों की कैसे मदद कर रही हैं, (3) बायो सीएनजी/बायो कोल/बायो ब्रिकेट/सीबीजी/2जी इथेनॉल संयंत्रों की स्थापना के लिए क्या समय सीमा तय की गई है, (4) ढंके हुए वाहनों में निर्माण सामग्री के परिवहन के लिए दिशा-निर्देशों का परिणाम/उल्लंघन की घटनाओं का विवरण।

Subscribe here to get interesting stuff and updates!