सितंबर तिमाही में जीडीपी 6.3 फीसदी बढ़ी, कृषि में 4.6 फीसदी की वृद्धि लेकिन मैन्युफैक्चरिंग में 4.3 फीसदी की गिरावट

वित्त वर्ष 2022-23 की दूसरी तिमाही, यानी जुलाई से सितंबर 2022 के दौरान सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) विकास दर 6.3 फीसदी दर्ज हुई है। खास बात यह है कि इस ग्रोथ में कृषि क्षेत्र का बड़ा योगदान रहा है। मैन्युफैक्चरिंग में 4.3 फीसदी और खनन में 2.8 फीसदी गिरावट के विपरीत कृषि और संबद्ध क्षेत्र ने 4.6 फीसदी की वृद्धि दर्ज की है। पहली तिमाही, अर्थात अप्रैल से जून की अवधि में भी कृषि क्षेत्र ने 4.5 फीसदी की मजबूत ग्रोथ दर्ज की थी। पिछले साल पहली तिमाही में कृषि क्षेत्र की विकास दर 2.2 फीसदी और दूसरी तिमाही में 3.2 फीसदी रही थी

सितंबर तिमाही में जीडीपी 6.3 फीसदी बढ़ी, कृषि में 4.6 फीसदी की वृद्धि लेकिन मैन्युफैक्चरिंग में 4.3 फीसदी की गिरावट

वित्त वर्ष 2022-23 की दूसरी तिमाही, यानी जुलाई से सितंबर 2022 के दौरान सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) विकास दर 6.3 फीसदी दर्ज हुई है। खास बात यह है कि इस ग्रोथ में कृषि क्षेत्र का बड़ा योगदान रहा है। मैन्युफैक्चरिंग में 4.3 फीसदी और खनन में 2.8 फीसदी गिरावट के विपरीत कृषि और संबद्ध क्षेत्र ने 4.6 फीसदी की वृद्धि दर्ज की है। पहली तिमाही, अर्थात अप्रैल से जून की अवधि में भी कृषि क्षेत्र ने 4.5 फीसदी की मजबूत ग्रोथ दर्ज की थी। पिछले साल पहली तिमाही में कृषि क्षेत्र की विकास दर 2.2 फीसदी और दूसरी तिमाही में 3.2 फीसदी रही थी।
सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय की तरफ से बुधवार को जारी आंकड़ों के अनुसार जुलाई-सितंबर के दौरान कृषि क्षेत्र का ग्रॉस वैल्यू एडेड (जीवीए) 4.24 लाख करोड़ रुपये (स्थिर मूल्यों पर) रहा। पहली तिमाही में यह 4.93 लाख करोड़ रुपये था। पिछले साल की पहली तिमाही में कृषि जीवीए 4.72 लाख करोड़ और दूसरी तिमाही में 4.05 लाख करोड़ रुपये था।
कमोडिटी के हिसाब से देखें तो चावल के उत्पादन में 20.7 फीसदी गिरावट आई है, जबकि पिछले साल दूसरी तिमाही में इसमें 4.9 फीसदी वृद्धि दर्ज की गई थी। कोयले का उत्पादन 10.3 फीसदी, सीमेंट का 4.6 फीसदी, स्टील खपत 11.3 फीसदी, कॉमर्शियल वाहनों की बिक्री 39.4 फीसदी, निजी वाहनों की बिक्री 16.9 फीसदी बढ़ी है। कच्चे तेल के उत्पादन में 3.2 फीसदी और टेलीफोन सब्सक्राइबर की संख्या में 1.4 फीसदी कमी आई है। बैंक जमा 12.5 फीसदी और बैंक कर्ज 20.2 फीसदी बढ़ा है। वस्तुओं और सेवाओं के निर्यात में 23.7 फीसदी वृद्धि हुई जबकि इनका आयात 39.9 फीसदी बढ़ा है।
जहां तक पूरे जीडपी की बात है तो पिछली तिमाही के 6.3 फीसदी ग्रोथ के मुकाबले पहली तिमाही में यह 13.5 फीसदी रही थी। हालांकि उसमें बेस इफेक्ट का बड़ा योगदान था। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी ग्रोथ रेट 8.4 फीसदी थी। इस तरह इस वर्ष की पहली छमाही में ग्रोथ रेट 7.35 फीसदी रही है। रिजर्व बैंक ने पिछले दिनों 6.1 से 6.3 फीसदी ग्रोथ का अनुमान जताया था। 
इकोनॉमी के अन्य क्षेत्रों में ट्रेड, ट्रांसपोर्ट, होटल आदि ने 14.7 फीसदी की ग्रोथ दर्ज की है। फाइनेंशियल और प्रोफेशनल सर्विसेज में 7.2 फीसदी, कंस्ट्रक्शन में 6.6 फीसदी, जन प्रशासन और रक्षा में 6.5 फीसदी तथा बिजली, गैस, पानी जैसी सेवाओं में 5.6 फीसदी ग्रोथ रही है।

हाल ही में भारत की जीडीपी को लेकर विभिन्न वैश्विक रेटिंग एजेंसियों और विश्व बैंक व आईएमएफ जैसी वैश्विक संस्थानों ने अनुमान में कमी की थी। वहीं रेटिंग एजेंसी इक्रा ने दूसरी तिमाही के लिए जीडीपी की वृद्धि दर के 6.5 फीसदी पर रहने का अनुमान लगाया था। 
इसी माह की शुरुआत में भारतीय रिजर्व बैंक ने दूसरी तिमाही में जीडीपी  की वृद्दि दर के 6.1 से 6.3 फीसदी के बीच रहने का अनुमान लगाया था। 
वहीं वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालालय द्वारा बुधवार को ही आठ आधारभूत क्षेत्रों के अक्तूबर माह के उत्पादन (आईआईपी) के जो आंकड़े जारी किये गये हैं वह बहुत उत्साहजनक नहीं हैं। इनके उत्पादन की वृद्दि दर 0.1 फीसदी रही है। जबकि सितंबर में इन क्षेत्रों की उत्पादन वृद्दि दर 7.8 फीसदी रही थी। इन आठ क्षेत्रों में कोयला, कच्चा तेल, बिजली, प्राकृतिक गैस, सीमेंट, फर्टिलाइजर, स्टील और रिफाइनरी उत्पाद शामिल हैं। पिछले साल अक्तूबर में इनके उत्पादन की वृद्धि दर 15.6 फीसदी रही थी। इस साल अक्तूबर में कच्चे तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पाद और सीमेंट के उत्पादन में गिरावट दर्ज की गई है।

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