सोलहवें वित्त आयोग के लिए टर्म ऑफ रेफरेंस को कैबिनेट की मंजूरी

कैबिनेट ने सोलहवें वित्त आयोग के लिए संदर्भ-शर्तों (टर्म ऑफ रेफरेंस) को मंजूरी दे दी है। बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की हुई बैठक में यह मंजूरी दी गई। यह आयोग 1 अप्रैल, 2026 से शुरू होने वाली पांच साल की अवधि के लिए अपनी रिपोर्ट 31 अक्टूबर, 2025 तक देगा।

सोलहवें वित्त आयोग के लिए टर्म ऑफ रेफरेंस को कैबिनेट की मंजूरी
बुधवार को नई दिल्ली में कैबिनेट के फैसलों की जानकारी देते सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर।

कैबिनेट ने सोलहवें वित्त आयोग के लिए संदर्भ-शर्तों (टर्म ऑफ रेफरेंस) को मंजूरी दे दी है। बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की हुई बैठक में यह मंजूरी दी गई। यह आयोग 1 अप्रैल, 2026 से शुरू होने वाली पांच साल की अवधि के लिए अपनी रिपोर्ट 31 अक्टूबर, 2025 तक देगा।

वित्त मंत्रालय के एक बयान के मुताबिक, सोलहवें वित्त आयोग के लिए संदर्भ-शर्तों को उचित समय पर अधिसूचित किया जाएगा। 16वें वित्त आयोग की सिफारिशें 1  अप्रैल, 2026 से शुरू होने वाली पांच वर्षों की अवधि के लिए होंगी।

संविधान के अनुच्छेद 280(1) में कहा गया है कि संघ और राज्यों के बीच टैक्स से होने वाली शुद्ध आय के वितरण, अनुदान-सहायता और राज्यों के राजस्व और नियत अवधि के दौरान पंचायतों के संसाधनों की पूरकता के लिए आवश्यक उपाय करने तथा आय से संबंधित हिस्सेदारी को राज्यों के बीच आवंटन पर सिफारिश करने के मद्देनज़र एक वित्त आयोग की स्थापना की जाएगी।

पंद्रहवें वित्त आयोग का गठन 27 नवंबर, 2017 को किया गया था। उसने अपनी अंतरिम और अंतिम रिपोर्ट के माध्यम से एक अप्रैल, 2020 से शुरू होने वाली छह वर्षों की अवधि के लिए संबंधित सिफारिशें कीं। पंद्रहवें वित्त आयोग की सिफारिशें वित्त वर्ष 2025-26 तक मान्य हैं।

सोलहवें वित्त आयोग के लिए संदर्भ-शर्तें:

  1. संघ और राज्यों के बीच टैक्स की शुद्ध आय का वितरण, जो संविधान के अध्याय-I, भाग-XII के तहत उनके बीच विभाजित किया जाना है, या किया जा सकता है और ऐसी आय से संबंधित हिस्सेदारी का राज्यों के बीच आवंटन।
  2. वे सिद्धांत जो संविधान के अनुच्छेद 275 के तहत भारत की संचित निधि से राज्यों के राजस्व के सहायता अनुदान और उनके राजस्व के सहायता अनुदान के माध्यम से राज्यों को भुगतान की जाने वाली राशि को नियंत्रित करते हैं। उस अनुच्छेद के खंड (1) के प्रावधानों में निर्दिष्ट उद्देश्यों के अलावा अन्य उद्देश्यों के लिए, और
  3. राज्य के वित्त आयोग द्वारा की गई सिफारिशों के आधार पर राज्य में पंचायतों और नगर पालिकाओं के संसाधनों के पूरक उपाय के लिए राज्य की समेकित निधि को बढ़ाने के लिए आवश्यक उपाय।

बयान में कहा गया है कि यह आयोग आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत गठित निधियों के संदर्भ में, आपदा प्रबंधन पहल के वित्त पोषण पर वर्तमान व्यवस्था की समीक्षा कर सकता है और उस पर उचित सिफारिशें कर सकता है।

वित्त आयोग को अपनी सिफ़ारिशें देने में आम तौर पर लगभग दो साल लगते हैं। संविधान के अनुच्छेद 280 के खंड (1) के अनुसार, वित्त आयोग का गठन हर पांचवें वर्ष या उससे पहले किया जाना है। चूंकि 15वें वित्त आयोग की सिफारिशें 31 मार्च, 2026 तक छह साल की अवधि के बारे में हैं, इसलिए 16वें वित्त आयोग का गठन अब प्रस्तावित है।

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