महाराष्ट्र में मतदान से पहले प्याज निर्यात पर रोक हटी, 40% एक्सपोर्ट ड्यूटी और 550 डॉलर MEP की शर्त

महाराष्ट्र के किसानों की नाराजगी को देखते हुए केंद्र सरकार ने प्याज निर्यात पर प्रतिबंध हटाया, लेकिन दो शर्तें लगा दी

महाराष्ट्र में मतदान से पहले प्याज निर्यात पर रोक हटी, 40% एक्सपोर्ट ड्यूटी और 550 डॉलर MEP की शर्त

केंद्र सरकार ने लोकसभा चुनाव के बीच प्याज के निर्यात पर लगा प्रतिबंध हटाने का फैसला किया है। लेकिन साथ ही दो कड़ी शर्तें भी लगा दी हैं। प्याज का निर्यात 550 डॉलर प्रति टन से कम रेट पर नहीं होगा और निर्यात पर 40 फीसदी एक्सपोर्ट ड्यूटी लागू होगी। 

डीजीएफटी की ओर से जारी नोटिफिकेशन के अनुसार, प्याज के निर्यात पर 550 डॉलर प्रति टन का एमईपी यानी न्यूनतम निर्यात मूल्य लागू रहेगा। कोई भी निर्यातक इससे कम दाम पर प्याज का न‍िर्यात नहीं करेगा। इससे पहले शुक्रवार को केंद्र सरकार ने प्याज पर 40 फीसदी एक्सपोर्ट ड्यूटी लगाने का आदेश भी जारी किया था। इन दोनों शर्तों के साथ लगभग 62 रुपये प्रति किलोग्राम से कम भाव पर प्याज का निर्यात नहीं हो पाएगा। 

खासतौर पर महाराष्ट्र के प्याज किसानों की नाराजगी दूर करने के लिए प्याज निर्यात पर प्रतिबंध हटाने का फैसला किया गया है। पिछले पांच महीने से निर्यात पर लगी रोक की वजह से प्याज उत्पादकों और व्यापारियों को भारी नुकसान उठाना पड़ा। यह महाराष्ट्र में बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन गया है। इसका खामियाजा महाराष्ट्र की प्याज बेल्ट में भाजपा और उसके सहयोगी दलों को उठाना पड़ सकता है। 

प्याज निर्यात पर प्रतिबंध हटाने से किसानों और व्यापारियों को राहत मिलेगी लेकिन साथ ही जो दो शर्तें लगाई गई हैं, उसे लेकर सवाल उठेंगे। महाराष्ट्र की कम से कम एक दर्जन सीटों पर प्याज बड़ा मुद्दा है। 

केंद्र सरकार ने प्याज की कीमतों पर नियंत्रण के ल‍िए 8 द‍िसंबर 2023 को प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगा द‍िया था। इसके बाद 22 मार्च को यह रोक अन‍िश्च‍ितकाल के ल‍िए बढ़ा दी थी। पिछले दिनों केंद्र सरकार ने मुख्यत गुजरात में पैदा होने वाले सफेद प्याज के 2000 टन न‍िर्यात की मंजूरी दी थी जिसे लेकर महाराष्ट्र में काफी नाराजगी सामने आई। आखिरकार सरकार को प्याज के निर्यात से प्रतिबंध हटाने का फैसला लेना पड़ा।

इस बीच, सरकार की तरफ से छह देशों को 99,150 टन प्याज निर्यात की खबर भी आई, जो पुरानी घोषणाएं निकली। इसे लेकर महाराष्ट्र के नेताओं ने भाजपा पर किसानों को गुमराह करने का आरोप लगाया था। 

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