भारत-ईएफटीए व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर, किसे होगा कितना फायदा?

भारत-ईएफटीए व्यापार समझौते के तहत चार यूरोपीय देशों के समूह ने अगले 15 वर्षों में भारत में 100 अरब डॉलर के निवेश का वादा किया है जिससे 10 लाख रोजगार पैदा होंगे। बदले में भारत स्विस घड़ियों, चॉकलेट और डायमंड जैसे कई यूरोपीय उत्पादों को शून्य या कम आयात शुल्क पर अपने बाजार में प्रवेश देगा।

भारत-ईएफटीए व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर, किसे होगा कितना फायदा?

भारत ने रविवार को चार यूरोपीय देशों के संगठन यूरोपिन फ्री ट्रेड एसोसिएशन (ईएफटीए) के साथ एक व्यापार एवं आर्थिक साझेदारी समझौते (टीईपीए) पर हस्ताक्षर किए। ईएफटीए में आइसलैंड, लिकटेंस्टीन, नॉर्वे और स्विटजरलैंड शामिल हैं। समझौते के तहत इन देशों ने अगले 15 वर्षों में भारत में 100 अरब डॉलर के निवेश का वादा किया है जिससे दस लाख रोजगार पैदा होने का अनुमान है। बदले में भारत स्विस घड़ियों, चॉकलेट और डायमंड जैसे कई यूरोपीय उत्पादों को शून्य या कम आयात शुल्क पर अपने बाजार में प्रवेश देगा। इस समझौते पर सहमति बनाने में 16 साल लगे। 

स्विस फेडरल काउंसलर गाइ पार्मेलिन और आइसलैंड, लिकटेंस्टीन और नॉर्वे के उनके समकक्षों ने रविवार को नई दिल्ली में व्यापार मंत्री पीयूष गोयल के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए। समझौते के तहत भारत ईएफटीए के देशों से औद्योगिक उत्पादों पर आयात शुल्क कम करने के लिए प्रतिबद्ध है। इससे इन देशों के उत्पादों की भारतीय बाजार में पहुंच बढ़ेगी। इसकी एवज में चारों देशों के समूह ने भारत में अगले 15 वर्षों में 100 अरब डॉलर के निवेश का वादा किया है। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि यह ऐतिहासिक समझौता आर्थिक प्रगति को बढ़ावा देने तथा हमारे देश के युवाओं के लिए अवसर सृजित करने की हमारी प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है। आने वाला समय और भी अधिक समृद्धि एवं पारस्परिक विकास लाएगा क्योंकि हम ईएफटीए राष्ट्रों के साथ अपने संबंधों को मजबूत करेंगे। 

वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि पहली बार भारत चार विकसित देशों, जो यूरोप में एक महत्वपूर्ण आर्थिक ब्लॉक हैं, के साथ एफटीए पर हस्ताक्षर कर रहा है। एफटीए के इतिहास में पहली बार 100 बिलियन डॉलर के निवेश और दस लाख प्रत्यक्ष रोजगार की बाध्यकारी प्रतिबद्धता जताई गई है। गोयल के अनुसार, यह समझौता मेक इन इंडिया को बढ़ावा देगा तथा युवा एवं प्रतिभाशाली श्रमबल को अवसर प्रदान करेगा। इससे बड़े यूरोपीय तथा वैश्विक बाजारों तक भारतीय निर्यातकों की पहुंच बढ़ेगी। 

भारत-ईएफटीए मुक्त व्यापार समझौते में निवेश प्रोत्साहन, तकनीकी बाधाएं दूर करने, बौद्धिक संपदा, व्यापार और सतत विकास और विवाद निपटान जैसे 14 अध्याय शामिल हैं। मुक्त व्यापार एवं आर्थिक एकीकरण को बढ़ावा देने के लिए 1960 में गठित ईएफटीए एक अंतर-सरकारी संगठन है। यह यूरोप में ईयू और ब्रिटेन के बाद तीसरा सबसे महत्वपूर्ण आर्थिक गुट है। 

ईएफटीएम में भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार स्विट्जरलैंड है, जहां पहले से ही लगभग सभी औद्योगिक वस्तुओं पर शून्य सीमा शुल्क है। इसके कारण, स्विस पक्ष वस्तुओं के मामले में कुछ नई पेशकश करने की स्थिति में नहीं है। जबकि शेष तीन देशों के साथ भारत का व्यापार कम है। भारत को प्रसंस्कृत कृषि उत्पादों पर शुल्क में रियायत मिलेगी। 

ईएफटीए की ओर से स्विस फेडरल काउंसलर गाइ पार्मेलिन ने कहा कि इस समझौते से ईएफटीए देशों को एक प्रमुख ग्रोथ मार्केट तक पहुंच प्राप्त होगी। हमारी कंपनियां अपनी आपूर्ति श्रृंखलाओं में विविधता लाने और उन्हें सुदृढ़ बनाने का प्रयास करती हैं। बदले में, भारत ईएफटीए से अधिक विदेशी निवेश आकर्षित करेगा।

इस समझौते के होने से भारतीय उपभोक्ताओं को उच्च गुणवत्ता वाले स्विस उत्पाद जैसे घड़ियां, चॉकलेट और बिस्कुट कम कीमत पर उपलब्ध होंगी क्योंकि भारत 10 वर्षों में इन वस्तुओं पर सीमा शुल्क को चरणबद्ध तरीके से समाप्त कर देगा। भारत फार्मा, चिकित्सा उपकरणों और प्रसंस्कृत खाद्य जैसे कुछ उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन क्षेत्रों पर शुल्क रियायतें भी प्रदान करेगा। 

ईएफटीए अपनी 92.2 प्रतिशत टैरिफ लाइनों की पेशकश कर रहा है जो भारत के 99.6 प्रतिशत निर्यात को कवर करता है। ईएफटीए के बाजार पहुंच प्रस्ताव में 100 प्रतिशत गैर-कृषि उत्पाद और प्रसंस्कृत कृषि उत्पाद (पीएपी) पर टैरिफ रियायत शामिल है। 

भारत अपनी 82.7 प्रतिशत टैरिफ लाइनों की पेशकश कर रहा है जिसमें 95.3 प्रतिशत ईएफटीए निर्यात शामिल है। इसमें से 80 प्रतिशत से अधिक आयात सोना है। सोने पर प्रभावी शुल्क अछूता रहा है। सीमा शुल्क से छूट देते समय फार्मा, चिकित्सा उपकरणों और प्रसंस्कृत खाद्य आदि क्षेत्रों में पीएलआई से संबंधित संवेदनशीलता को ध्यान में रखा गया है। जबकि डेयरी, सोया, कोयला और संवेदनशील कृषि उत्पाद जैसे क्षेत्रों को समझौते से बाहर रखा गया है। 

समझौते में प्रावधान है कि यदि प्रस्तावित निवेश किन्हीं कारणों से नहीं आएगा, तो भारत चार देशों को शुल्क रियायतों को "पुनः संतुलित या निलंबित" कर सकता है। जिन क्षेत्रों में भारतीय सेवाओं को बढ़ावा मिलेगा उनमें कानूनी, ऑडियो-विज़ुअल, आर एंड डी, कंप्यूटर, अकाउंटिंग और ऑडिटिंग शामिल हैं। जेनेरिक दवाओं में भारत के हितों और पेटेंट की एवरग्रीनिंग से संबंधित चिंताओं को पूरी तरह से संबोधित किया गया है।

वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार, इस समझौते से भारत में निर्मित वस्तुओं के निर्यात को बढ़ावा मिलेगा और साथ ही सेवा क्षेत्र को अधिक बाजारों तक पहुंचने के अवसर मिलेंगे। स्विट्जरलैंड के वैश्विक सेवा निर्यात का 40 प्रतिशत से अधिक यूरोपीय संघ को होता है। भारतीय कंपनियां यूरोपीय संघ तक अपने बाजार की पहुंच बढ़ाने के लिए स्विट्जरलैंड को आधार के रूप में देख सकती हैं। टीईपीए में नर्सिंग, चार्टर्ड अकाउंटेंट, आर्किटेक्ट आदि जैसी व्यावसायिक सेवाओं में पारस्परिक मान्यता समझौतों का भी प्रावधान हैं। 

नॉर्वे के व्यापार और उद्योग मंत्री एन क्रिस्चियन वेस्ट्रे ने कहा कि 113 नॉर्वेजियन कंपनियां भारत में काम कर रही हैं और कई अन्य आने के इच्छुक हैं। क्लाइमेट इन्वेस्टमेंट फंड और सॉवरेन वेल्थ फंड का भारत में पर्याप्त निवेश है। वेस्ट्रे ने कहा, "हम यहां निवेश करने की इच्छुक कंपनियों की सहायता के लिए भारत में एक ईएफटीए कार्यालय खोलेंगे।" टीईपीए के तहत, नॉर्वे अगले पांच से 10 वर्षों में 98 प्रतिशत भारतीय निर्यात पर शुल्क घटाकर शून्य कर देगा।

यह 14वां व्यापार समझौता है जिस पर भारत ने हस्ताक्षर किए हैं। यह पीएम मोदी के नेतृत्व वाली सरकार का चौथा समझौता होगा। भारत ने मॉरीशस, संयुक्त अरब अमीरात और ऑस्ट्रेलिया के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए। एफटीए के लिए यूके, ओमान और पेरू के साथ बातचीत अंतिम चरण में है।

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