कई किसानों की आय दोगुनी से भी अधिक हुई, संसद में कृषि मंत्री का बयान
शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि किसानों को लागत में कम से कम 50% मुनाफा जोड़कर एमएसपी देने का निर्णय इस सरकार ने लिया है, और अब बड़े पैमाने पर एमएसपी पर खरीद की जा रही है।

केंद्रीय कृषि और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज लोक सभा में प्रश्नकाल के दौरान कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में किसानों की आय बढ़ाने का अभियान निरंतर जारी है। जहां तक किसानों की आय का सवाल है, मैं दावे के साथ कहता हूं कि कई किसानों की आय दोगुनी से भी ज्यादा हो गई है।
कृषि मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि जैसी योजना पहले अस्तित्व में ही नहीं थी, लेकिन अब इसका लाभ 10 करोड़ किसानों को मिल रहा है। इसके अतिरिक्त, सरकार उर्वरकों पर लगभग 2 लाख करोड़ रुपये की सब्सिडी दे रही है। जब यूपीए सरकार थी, तब केवल 27 हजार करोड़ रुपये कृषि बजट था, जो अब 1 लाख 27 हजार करोड़ रुपये है।
उन्होंने बताया कि यूपीए शासन में केसीसी और अन्य संस्थागत ऋणों का कुल आंकड़ा 7 लाख करोड़ रुपये था, जो अब बढ़कर 25 लाख करोड़ रुपये हो चुका है। फसल बीमा योजना के तहत 35 हजार करोड़ रुपये के प्रीमियम के मुकाबले 1 लाख 83 हजार करोड़ रुपये का क्लेम किसानों के खातों में डाला है।
शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि किसानों को उत्पादन की लागत में कम से कम 50% मुनाफा जोड़कर एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) देने का निर्णय इस सरकार ने लिया है, और अब एमएसपी पर रिकॉर्ड खरीद हो रही है। जबकि यूपीए सरकार के समय कैबिनेट ने इस प्रस्ताव को यह कहकर खारिज कर दिया था कि यह बाज़ार को विकृत करेगा।
उन्होंने कहा कि दलहन और तिलहन की खरीद के लिए पीएम-आशा योजना बनाई गई है, जिसके तहत तुअर, मसूर और उड़द की 100% खरीद एमएसपी पर की जाएगी। अन्य दलहन और तिलहन फसलों की खरीद के लिए भी उचित व्यवस्था की गई है। सरकार प्रयासरत है कि बिचौलियों की भूमिका समाप्त हो और किसानों को उचित मूल्य मिले।
कृषि मंत्री ने प्रमुख फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में पिछले एक दशक में हुई बढ़ोतरी की विस्तृत जानकारी साझा करते हुए बताया कि फसलों की एमएसपी दोगुनी हुई है और खरीद कई गुना बढ़ी है। उन्होंने कहा कि यूपीए सरकार के 10 वर्षों में केवल 6 लाख टन दलहन खरीदी गई थी, जबकि मोदी सरकार ने अब तक 1.82 करोड़ टन दलहन की खरीद की है।
उन्होंने बताया कि पूर्व की फसल बीमा योजना में कई सुधार किए गए हैं। अब यदि बीमा कंपनी निर्धारित तिथि से 21 दिन के भीतर किसान के क्लेम का भुगतान नहीं करती है तो उसे 12% ब्याज सहित भुगतान करना होगा। राज्य सरकारों की हिस्सेदारी में देर होने पर भी वही नियम लागू होगा।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत फसल क्षति का आंकलन डिजिटली किया जाएगा और उसके आधार पर भरपाई की जाएगी। फसलों में होने वाले नुकसान के आंकलन को अधिक सटीक और पारदर्शी बनाने के लिए केंद्र सरकार ने ‘यस टेक प्रणाली’ अपनाने का निर्णय लिया है। बटाई पर खेती करने वाले किसानों को भी केंद्र सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ देने का प्रयास किया जा रहा है।