गुजरात और महाराष्ट्र की राजनीति में फंसा प्याज, निर्यात की घोषणा पर संशय

सफेद प्याज के निर्यात की छूट को लेकर महाराष्ट्र के किसानों में नाराजगी है तो 99,150 टन प्याज निर्यात की घोषणा पर संशय बना हुआ है।

गुजरात और महाराष्ट्र की राजनीति में फंसा प्याज, निर्यात की घोषणा पर संशय

प्याज निर्यात पर प्रतिबंध को लेकर महाराष्ट्र की राजनीति गरमा गई है। चुनाव के मद्देनजर प्याज की कीमतों पर नियंत्रण रखने के लिए केंद्र सरकार ने 8 दिसंबर को प्याज निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसका महाराष्ट्र के किसानों ने खूब विरोध किया क्योंकि निर्यात पर प्रतिबंध से प्याज के दाम गिर गये और उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ा। अब लोकसभा चुनाव के दौरान प्याज निर्यात पर प्रतिबंध का मुद्दा महाराष्ट्र में तूल पकड़ रहा है। इस बीच, प्याज निर्यात से जुड़े दो फैसलों ने महाराष्ट्र की प्याज राजनीति को और ज्यादा गरमा दिया है।

पिछले सप्ताह केंद्र सरकार ने 2000 टन सफेद प्याज के निर्यात की अनुमति दे दी। सफेद प्याज का उत्पादन मुख्यत: गुजरात में होता है। विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) की अधिसूचना के अनुसार, सफेद प्याज के निर्यात के लिए गुजरात के बागवानी आयुक्त से वस्तु और मात्रा का प्रमाण-पत्र लेना होगा। यह निर्यात गुजरात के मुंद्रा और पिपावाव तथा मुंबई के न्हावा शेवा/जेएनपीटी बंदरगाह से होगा। गुजरात के अमरेली और भावनगर जिले सफेद प्याज की खेती के लिए जाने जाते हैं और दोनों जिलों में सात मई को मतदान होना है।

सफेद प्याज के निर्यात की छूट को गुजरात को फायदा पहुंचाने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। महाराष्ट्र के किसान संगठन स्वाभिमानी शेतकरी संघटना के अध्यक्ष और पूर्व सांसद राजू शेट्टी ने रूरल वॉयस को बताया कि सफेद प्याज के निर्यात की छूट और लाल प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध, यह नीति सरासर गलत है। इसे लेकर महाराष्ट्र के किसानों में बहुत नाराजगी है। गुजरात और महाराष्ट्र के बीच इस तरह का भेदभाव नहीं होना चाहिए। पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार ने भी सफेद प्याज के निर्यात की छूट के मोदी सरकार के फैसले की आलोचना की। 

सफेद प्याज के निर्यात की छूट का मुद्दा महाराष्ट्र में तूल पकड़ने लगा तो केंद्र सरकार ने आनन-फानन में छह देशों को 99,150 टन प्याज निर्यात की विज्ञप्ति जारी कर दी। 27 अप्रैल को जारी विज्ञप्ति के अनुसार, केंद्र सरकार ने बांग्लादेश, संयुक्त अरब अमीरात, भूटान, बहरीन, मॉरीशस और श्रीलंका को 99,150 टन प्याज के निर्यात की अनुमति दी है। इन देशों को प्याज निर्यात के लिए नेशनल कोऑपरेटिव एक्सपोर्ट्स लिमिटेड (एनसीईएल) ने घरेलू प्याज की खरीद और निर्यात की व्यवस्था की है।

केंद्र सरकार द्वारा छह देशों को 99,150 टन प्याज निर्यात की घोषणा शनिवार को महाराष्ट्र के कोल्हापुर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुनावी रैली से पहले की गई। इसे लेकर भाजपा नेताओं में प्रधानमंत्री मोदी को धन्यवाद देने की होड़ मच गई। महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फड़णवीस ने ट्वीट किया, "99,150 टन प्याज के निर्यात की अनुमति हेतु प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बहुत-बहुत धन्यवाद। इसे 6 देशों बांग्लादेश, संयुक्त अरब अमीरात, भूटान, बहरीन, मॉरीशस और श्रीलंका में निर्यात किया जाएगा। इससे सबसे ज्यादा फायदा महाराष्ट्र के प्याज उत्पादकों को मिलेगा।"

केंद्र सरकार की इस घोषणा से लगा कि महाराष्ट्र के किसानों को कुछ राहत मिलेगी। लेकिन जल्द ही इस घोषणा को लेकर संशय पैदा हो गया। शेतकरी संगठन के पूर्व अध्यक्ष और किसान नेता अनिल घनवट ने दावा किया है कि केंद्र सरकार ने 99,150 टन प्याज निर्यात की जो घोषणा की है, वह कोई नई अनुमति नहीं है। सरकार किसानों को गुमराह करने का प्रयास कर रही है। घनवट का कहना है कि गुजरात से सफेद प्याज निर्यात के फैसले के बाद महाराष्ट्र में प्याज उत्पादक नाराज थे। लोकसभा चुनाव पर इसका असर न पड़े, इसलिए केंद्र सरकार भ्रम फैला रही है। नए प्याज निर्यात के लिए कोई आदेश जारी नहीं किया गया है। 

अनिल घनवट का कहना है केंद्र सरकार ने अप्रैल, 2023 से अब तक विभिन्न देशों को कुल 99,150 टन प्याज निर्यात की अनुमति दी है। यह निर्यात एनसीईएल के माध्यम से किया जा रहा है। जबकि नये प्याज निर्यात को लेकर कोई आदेश नहीं है। उन्होंने गुजरात के व्यापारियों को फायदा पहुंचाने के लिए सफेद प्याज के निर्यात की अनुमति देने का भी आरोप लगाया। 

प्याज निर्यात की हालिया घोषणाओं से महाराष्ट्र के किसानों की नाराजगी कम होने की बजाय बढ़ती नजर आ रही है। नासिक से विपक्षी गठबंधन के उम्मीदवार शिवसेना (यूटीबी) के राजाभाऊ वाजे ने छह देशों को प्याज निर्यात के ऐलान को किसानों के आंखों में धूल झोंकने की कोशिश करार दिया है। उनका कहना है कि केंद्र सरकार ने प्याज निर्यात से जुड़े पुराने फैसलों को ही दोबारा जारी कर दिया है। 

27 अप्रैल को जारी प्याज निर्यात संबंधी केंद्र सरकार की विज्ञप्ति में यह स्पष्ट नहीं है कि यह निर्णय कब से लागू होगा। न ही इस बारे में किसी अधिसूचना का कोई जिक्र है। इससे यह संदेह बढ़ता है कि यह प्याज के नए निर्यात के बारे में नहीं है। बल्कि पिछले एक साल में दी गई प्याज निर्यात की छूट से संबंधित है।  

केंद्र सरकार ने प्याज के निर्यात पर 31 मार्च, 2024 तक प्रतिबंध लगाया था जिसे 22 मार्च को अनिश्चित काल के लिए बढ़ा दिया था। प्याज निर्यात पर प्रतिबंध से महाराष्ट्र की थोक मंडियों में प्याज के दाम 65 फीसदी तक गिर चुके हैं जिससे किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है।

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