आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के बढ़ते उपयोग से कृषि में टेक्नोलॉजिकल रेवलूशन

विश्व में कृषि अर्थव्यवस्था का आकार 5 ट्रिलियन डॉलर का है। संपूर्ण खाद्य आपूर्ति श्रृंखला संबंधित कार्य जैसे कृषि में बेहतर फसलों की पैदावार, कीटों को नियंत्रित करना, मिट्टी, परिस्थितियों का आकलन, फसलों की पैदावार की निगरानी  और किसानों के लिए डेटा व्यवस्थित करने, उनके कार्यभार कम करने और कृषि की विस्तृत श्रृंखला में सुधार करने जैसे कार्यों को बेहतर ढंग से करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) तकनीक का उपयोग बढ़ रहा है। जो कृषि क्षेत्र में तकनीकी क्रांति का सूत्रपात कर रहा है

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के बढ़ते  उपयोग से कृषि में टेक्नोलॉजिकल रेवलूशन

दुनिया के सबसे पुराने व्यवसायों में से एक कृषि और खेती सबसे महत्वपूर्ण रहा है। इसमें पौराणिक युग की शुरुआत से लेकर अब तक मानवता के लिए कई तकनीकी बदलाव भी देखे गये जैसे हम कैसे खेती करते है और कैसे फसल उगाते हैं।  जैसे-जैसे दुनिया की आबादी बढ़ती जा रही है और जलवायु परिवर्तन  व  दूसरे कारकों के कारण खेती के लिए भूमि घटती जा रही है खेती को अधिक बदलाव लाने और उसमें कुशलता बनाने की जरूरत है। कैसे कम भूमि का इस्तेमाल कर अधिक से अधिक फसलें उगाना और साथ ही  प्रति एकड़ अधिक उत्पादकता को बढ़ाना है।  

आज के समय में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) तकनीक हर इंडस्ट्री पर अपना प्रभाव डाल रही है क्योंकि  हर इंडस्ट्री कुछ कार्यों को एआई की मदद से आटोमैटिक करने का प्रयास कर रही है जिसका सभी पर प्रभाव पड़ेगा।

आज के समय में दुनिया भर में कृषि अर्थव्यवस्था का आकार 5 ट्रिलियन डॉलर का है, जिसमें संपूर्ण खाद्य आपूर्ति श्रृंखला संबंधित कार्य जैसे कृषि में बेहतर फसलों की पैदावार, कीटों को नियंत्रित करना, मिट्टी, परिस्थितियों का आकलन, फसलों की पैदावार की निगरानी  और किसानों के लिए डेटा व्यवस्थित करने, उनके कार्यभार कम करने और कृषि की एक विस्तृत श्रृंखला में सुधार करने जैसे कार्यों को बेहतर ढंग से करने के लिए एआई तकनीक की तरफ रुख किया जा रहा  है।

आमतौर पर रोज़ाना खेतों से संबंधित हज़ारों डेटा पॉइंट तैयार किए जाते हैं। एआई और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आई ओ टी) सेंसर की मदद से अब वास्तविक समय में कई तरह की चीजों का विश्लेषण किया जा सकता है। जैसे मौसम की स्थिति, तापमान, पानी का उपयोग या खेतों की मिट्टी की  बेहतर जानकारी जैसी तकनीक कृषि में काफी मददगार साबित हो रही हैं। उदाहरण के लिए, किसानों को फसल विकल्प, सर्वोत्तम बीज विकल्प और संसाधन उपयोग का निर्धारण करके अधिक भरपूर पैदावार लेने के लिए योजना बनाने  में  एआई तकनीक काफी मदद कर सकती है। 

एआई सिस्टम से फसल की गुणवत्ता और उत्पादन के सुधार की सटीक जानकारी  के लिए सहायता ली जा रही है। इसका इस्तेमाल खेत औऱ पौधों में पोषक तत्वों की स्थिति, फसल को नुकसान पहुंचाने वाले हानिकारक कीट, फसल की बीमारी इत्यादि की जानकारी के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। एआई सेंसर के माध्यम से खेतों में उगने वाले फसलों के बीच उगने वाले खरपतवारों की सही स्थिति का पता लगाकर सही खरपतवार नाशी का छिड़काव कर सकते हैं। जिससे जरूरत से ज्यादा खरपवार नाशी रसायन का इस्तेमाल करने से बच सकते हैं और फसल के माध्यम से हमारे भोजन में जाने वाले विशाक्त पदार्थ से छुटकारा मिल सकता है।

एआई का इस्तेमाल कृषि के लिए सटीक जानकारी औऱ उत्पादन में वृद्धि के लिए  मौसम के पूर्वानुमान  के अनुसार खेती मॉडल बनाने के लिए भी किया जा रहा है। खेती के लिए आगे का मौसम कैसा रहेगा इसका पहले अनुमान लगने से किसानों को अपने खेतों में क्या बुवाई करनी है वह इसकी योजना बना सकते हैं। विशेष रूप से  विकासशील देशों में छोटे खेतों के लिए मौसम का पूर्वानुमान बहुत ही मायने रखता है क्योंकि उनका डेटा और ज्ञान सीमित होता है। इन छोटे खेतों में लगातार बेहतर पैदावार लेना बेहद जरूरी है क्योकि छोटे खेतों से ही दुनिया की 70 प्रतिशत फसलों का उत्पादन होता है।

जमीनी आंकड़ों की जानकारी केअलावा इसका इस्तेमाल किसान खेत की निगरानी के लिए कर सकते हैं। कंप्यूटर विज़न और डीप लर्निंग एल्गोरिदम खेतों में उड़ने वाले ड्रोन से  कैप्चर किए गए डेटा को प्रोसेस करते हैं। ड्रोन से एआई-इनेबल्ड कैमरे पूरे खेत की तस्वीर को कैप्चर कर सकते हैं। जिस एरिया में समस्या है उसकी तस्वीर के माध्यम से सही समय पर पहचान कर उसका विश्लेषण करके समाधान निकाला जा सकता है। मानव रहित ड्रोन मनुष्यों की तुलना में बहुत कम समय में कहीं अधिक भूमि को कवर करने में सक्षम हैं, इससे बड़े खेतों की अधिक बार निगरानी की जा सकती है।

दुनिया भर में कृषि श्रमिकों यानि वर्कफोर्स की कमी एक बडी चुनौती  है। श्रमिकों की इस कमी को दूर करने का एक उपाय एआई एग्रीकल्चर बॉट हो सकता है। यह बॉट श्रमिकों की जगह काम करते हैं विभिन्न रूपों में उपयोग किए जाते हैं। यह बॉट मानव वर्कफोर्स की तुलना में अधिक मात्रा में चौबीसों घंटे वर्कफोर्स के साथ तेज गति से फसलों की कटाई कर सकते हैं। फसलों में उगने वाले खरपतवारों को सही से पहचान कर उसे खत्म कर सकते हैं और इससे  किसान खेतों में लगने वाली लागत को कम कर सकते हैं। 

हमारे देश में  कई कंपनियां एआई का इस्तेमाल  कर कृषि में  इन्नोवेशन और सुधार के लिए किसानों को रीयल-टाइम सलाहकार सेवाएं प्रदान करने के लिए और एआई-संचालित फसल उपज भविष्यवाणी मॉडल विकसित करने के लिए सरकार के  साथ काम कर रही  हैं। इस सिस्टम से  फसल उत्पादकता बढ़ाने, मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने, कृषि आदानों की बर्बादी को नियंत्रित करने और कीट या बीमारी के प्रकोप की चेतावनी देने में मदद करने के लिए एआई-बेस प्रिडिक्टिव टूल का उपयोग कर रही  हैं ।

यह सिस्टम  भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का रिमोट-सेंसिंग डेटा ,मृदा स्वास्थ्य कार्ड के डेटा, भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी ) की मौसम की भविष्यवाणी की जानकारी का उपयोग करके मिट्टी की नमी और तापमान का विश्लेषण करके डेटा का इस्तेमाल कर किसानों को सटीक जानकारी जानकारी देता है। इस परियोजना को असम, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और उत्तर प्रदेश राज्यों में देश के कई जिलों में लागू किया गया था।

इसी तरह, कृषि में एआई-आधारित समाधानों को लागू करने वाले भारतीय स्टार्ट-अप की संख्या भी बढ़ रही है। एक स्टार्ट-अप ने इसरो के डेटा सेट के साथ-साथ डेटा साइंस, एआई और मशीन लर्निंग एल्गोरिदम का उपयोग फसलों को हुए नुकसान और हुई क्षति के मूल्य के आधार पर देय मुआवजे का आकलन करने के लिए किया है।

( लेखक आई टी प्रोफेशनल हैं और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी)  पर काम करते हैं)

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