स्टिकी ट्रैप केमिकल्स के बिना देता है फसलों को हानिकारक कीटों से छुटकारा

फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले कीटों को खत्म करने के लिए केमिकल पेस्टीसाइड का इस्तेमाल किया जाता है, जिसमें मित्र और शत्रु दोनों तरह के कीट मर जाते हैं । दूसरी तऱफ इसका दुष्प्रभाव पर्यावरण, मिट्टी और लोगों के स्वास्थ्य पर भी पड़ रहा है। इस परेशानी को कम करने के लिए एक यान्त्रिक तरीका स्टिकी ट्रैप विकसित किया गया है जिसका इस्तेमाल कर इन सभी दिक्कतों से बचा जा सकता है। फसल को नुकसान पहुचाने वाले उड़ने वाले हानिकारक कीट किसी न किसी विशेष रंग की ओर आकर्षित होते हैं। उसी रंग की शीट पर कोई चिपचिपा पदार्थ लगाकर फसल की ऊंचाई से करीब एक फीट ऊपर टांग दिया जाए तो कीट रंग से आकर्षित होकर इस शीट पर चिपककर मर जाते हैं

स्टिकी ट्रैप  केमिकल्स के बिना देता है  फसलों को हानिकारक कीटों से  छुटकारा

फ़सलों पर कीटों का प्रकोप होना आम बात है। इन कीटों से निपटने के लिए ज्यादातर किसान रासायनिक कीटनाशकों का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन जिस तरह से दुनिया भर में केमिकल और पेस्टीसाइड का अंधाधुंध प्रयोग हो रहा है उससे खेती और इंसान दोनों को बहुत नुकसान पहुंच रहा है। केयर रेटिंग के अनुसार 1950 में जहां देश में 2000 टन कीटनाशक का इस्तेमाल होता था वहीं अब यह बढ़कर 90 हजार टन पर पहुंच गया है। छठे दशक में देश में जहां 6.4 लाख हेक्टेयर एरिया में कीटनाशकों  का छिड़काव होता है। आज के समय में देश में डेढ़ करोड़  हैक्टेयर में फसलों पर कीटनाशकों का छिड़काव होता है। इसके कारण भारत में खाद्य पदार्थों में  कीटनाशकों का अवशेष 20 प्रतिशत तक रह जाता है। जबकि वैश्विक स्तर पर  खाद्य पदार्थों में यह मात्र दो प्रतिशत तक ही रहता है। देश में 51 प्रतिशत ऐसे खाद्य पदार्थ हैं जिनमें कीटनाशक की मात्रा मिलती है। जबकि वैश्विक स्तर पर  केवल 20 प्रतिशत खाद्य पदार्थों में ही कीटनाशक की मात्रा मिलती है। दुनिया भर में हुए शोध में पता चला है कि मनुष्य की कई बीमारियों के लिए कुछ हद तक यह कीटनाशक जिम्मेदार हैं। जिसके चलते कीटनाशकों के अंधाधुंध प्रयोग पर लगाम लगाने की कोशिशें तेज हुई हैं। फसलों को हानिकारक कीटों से  बचाने के लिए बिना केमिकल कीटनाशक  का छिड़काव किए ही  स्टिकी ट्रेप से फसलों को  कीटों से बचाया जा सकता है ।

कम लागत में पर्यावरण मित्रवत तकनीक

पौध सुरक्षा विशेषज्ञ और कृषि विज्ञान केंद्र नरकटियागंज. बिहार के प्रमुक डॉ. आर. पी. सिहं  के अनुसार फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले कीटों को खत्म करने के लिए  केमिकल पेस्टीसाइड्स  का  इस्तेमाल किया जाता हैजिसमें मित्र और शत्रु दोनों तरह के कीट मर जाते हैं । दूसरी तऱफ इसका दुष्प्रभाव  पर्वयावरण,  मिट्टी और लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है।  इस परेशानी को कम करने के लिए यान्त्रिक तरीका स्टिकी ट्रैप विकसित किया गया है जिसका इस्तेमाल करके इन सभी दिक्कतों से बचा जा सकता है। फसल को नुकसान पहुचाने वाले उड़ने वाले हानिकारक कीट किसी न  किसी विशेष रंग की ओर आकर्षित होते हैं। अगर उसी रंग की शीट पर कोई चिपचिपा पदार्थ लगाकर फसल की ऊंचाई से करीब एक फीट ऊपर टांग दिया जाए तो कीट रंग से आकर्षित होकर इस शीट पर चिपककर मर जाते हैं। एक एकड़ क्षेत्र में चार से छह स्टिकी ट्रैप लगाए जाते हैं। स्टिकी ट्रैप के इस्तेमाल से 65 से रासायनिक कीटनाशकों पर होने वाले खर्च में 70 फीसदी तक की बचत की जा सकती है।

स्टिकी ट्रैप से सफेद मक्खीएफिड ,थ्रिप्स और लीफ माइनर कीट का असानी से नियंत्रण-

डॉ आर. पी. सिहं का कहना है कि वैसे तो किसान बाजार में मिलने वाले स्टिकी ट्रैप का इस्तेमाल कीट नियंत्रण के लिए कर सकते हैं । लेकिन अगर आप इसे अपने घर पर बनाना चाहते हैं,तो रंगीन पॉलीथीन शीट पर रेड़ी का तेल या फिर मोबिल ऑयल लगाकर ट्रैप को तैयार कर सकते हैं। इस तरह एक स्टिकी ट्रैप बनाने में 15 से 20 रुपये का खर्च आता है। पीला स्टिकी ट्रैप सफेद मक्खीएफिड और लीफ माइनर जैसे कीटों से सुऱक्षा के लिए बनाया जाता है। यह ज़्यादातर सब्जियों की फसल में लगाया जाता है। जबकि नीला स्टिकी ट्रैप थ्रिप्स कीट से सुरक्षा के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

सब्जी की खेती वाले किसानों के लिए  बेहद लाभकारी

बिहार पूर्णिया जिले के गांव राधानगर के किसान गौरव कुमार सिंह ने खेत में तरबूज की फ़सल लगाई थी। गौरव बताते हैं कि फसलों में फूल लगते समय हानिकारक कीट लगते थे जिसके लिए हम केमिकल  कीटनाशक का छिड़काव करते थे। लेकिन अब केमिकल कीटनाशक दवाओं की जगह स्टिकी ट्रैप का इस्तेमाल करते हैं जिसका उन्हें अच्छा खासा फायदा मिल रहा है। गौरव ने बताया कि कृषि विज्ञान केन्द्र पूर्णिया  के फल सब्जी  विशेषज्ञ  डॉ. ए. पी.. सिंह के सम्पर्क में आने के बाद  इस तकनीक के बारे में जानकारी मिली जिसके बाद वह अपने सब्जी के खेतों में स्टिकी ट्रैप इस्तेमाल कर रहे हैं । वह बताते है लौकी , बैंगन ,तरबूज  सहित कई सब्जियों में इसका इस्तेमाल करते हैं। गौरव कुमार का कहना है कि सब्जियों में  रस चूसने वाले कीट थ्रीप्स , माईट, और फल छेदक कीट से बहुत नुकसान होता है लेकिन अब स्टिकी से लगभग केमिकल दवाओं का दो-तीन स्प्रे का खर्च बच जाता है। जो फ्रूटिंग का समय होता है उस समय स्प्रे पर ज्यादा खर्च होता था जिसकी अब बचत हो रही है।

डॉ. आर.पी. सिंह कहते हैं कि कीटनाशक रसायनों के मुक़ाबले नई तकनीक वाले यांत्रिक कीट प्रंबधन से आपको एक साथ कई फायदे होते हैं। इससे मित्र कीट और लाभदायक जीवों की संख्या बढ़ती है। खाद्यान्नों और सब्जियों में कीटनाशक के अवशेष की मात्रा बहुत कम या नहीं के बराबर रह जाती है। रसायनिक कीटनाशक के छिड़काव में भारी कटौती से खेत और जेब दोनों को लाभ होता है। 

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