सस्ते पाम ऑयल की वजह से जुलाई में वनस्पति तेलों का आयात 46 फीसदी बढ़ा

अंतरराष्ट्रीय बाजार में पाम ऑयल के दाम घटकर 950 डॉलर प्रति टन तक हो गए हैं। दो महीने पहले तक दाम ज्यादा होने की वजह से इसका उठाव कम हो रहा था। अब इसका भाव सोया और सूरजमुखी तेल की तुलना में करीब 150 डॉलर प्रति टन तक कम है। भाव सस्ता होने की वजह से आयातकों ने पाम ऑयल का आयात बढ़ा दिया जिससे कुल आयात में इतनी बड़ी वृद्धि दर्ज की गई है। अगस्त में भी आयात ज्यादा रहने की संभावना है।

सस्ते पाम ऑयल की वजह से जुलाई में वनस्पति तेलों का आयात 46 फीसदी बढ़ा
वनस्पति तेलों का आयात जुलाई में 17.71 लाख टन रहा है।

पाम ऑयल के आयात में भारी वृद्धि के कारण जुलाई 2023 में वनस्पति तेल का आयात 46 फीसदी बढ़कर 17.71 लाख टन हो गया है। पिछले साल जुलाई में 12.14 लाख टन वनस्पति तेल का आयात हुआ था। खाद्य तेल उद्योग के शीर्ष संगठन सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन (एसईए) की ओर से जारी आंकड़ों में यह जानकारी दी गई है। वनस्पति तेल में खाद्य और गैर-खाद्य दोनों तेल शामिल हैं।

एसईए के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, इस साल जुलाई में खाद्य तेल का आयात 46 फीसदी बढ़कर 17.55 लाख टन पर पहुंच गया, जो एक साल पहले की इसी अवधि में 12.05 लाख टन था। इस दौरान गैर-खाद्य तेल का आयात भी 9,069 टन से बढ़कर 15,999 टन हो गया। इसी तरह, तेल वर्ष 2022-23 (नवंबर-अक्टूबर) के पहले नौ महीनों में वनस्पति तेल का कुल आयात 23 फीसदी बढ़कर 122.54 लाख टन हो गया, जो पिछले साल की समान अवधि में 99.74 लाख टन था।

एशियन पाम ऑयल अलायंस (एपीओए) के चेयरमैन अतुल चतुर्वेदी ने रूरल वॉयस को इसकी वजह बताते हुए कहा, “अंतरराष्ट्रीय बाजार से भारत में आयातित पाम ऑयल के दाम घटकर 950 डॉलर प्रति टन तक हो गए हैं। दो महीने पहले तक दाम ज्यादा होने की वजह से इसका उठाव कम हो रहा था। अब इसका भाव सोया और सूरजमुखी तेल की तुलना में करीब 150 डॉलर प्रति टन तक कम है। भाव सस्ता होने की वजह से आयातकों ने पाम ऑयल का आयात बढ़ा दिया जिससे कुल आयात में इतनी बड़ी वृद्धि दर्ज की गई है। अगस्त में भी आयात ज्यादा रहने की संभावना है।”

यह पूछने पर कि चालू तेल वर्ष में इससे पहले के महीनों में भी वनस्पति तेलों के आयात में किस वजह से वृद्धि दर्ज की जाती रही है, अतुल चतुर्वेदी ने कहा कि तब सूरजमुखी तेल का भाव कम था। आयातकों को इस बात का डर था कि रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से कहीं आपूर्ति फिर से प्रभावित न हो जाए, इसलिए जितनी ज्यादा मात्रा में आयात किया जा सकता है, कर लो।

रूस और यूक्रेन दोनों सूरजमुखी तेल के बड़े निर्यातक हैं। युद्ध की वजह से दोनों देशों से आपूर्ति प्रभावित हुई थी जिससे स्टॉक जमा हो गया था। बाद में एक समझौते के तहत दोनों देशों ने अंतरराष्ट्रीय बाजार में अपने पुराने और नए स्टॉक की आपूर्ति बढ़ा दी जिससे दाम घट गए और इसका फायदा भारतीय आयातकों ने उठाया। एक समय अंतरराष्ट्रीय बाजार में सूरजमुखी ऑयल का भाव पाम ऑयल से भी नीचे चला गया था, जबकि आमतौर पर ऐसा होता नहीं है।     

एसईए के मुताबिक, "आयात में वृद्धि से घरेलू उपलब्धता बढ़ी है जिससे खाद्य तेलों की घरेलू कीमतों में भारी कमी आई है। इससे खाद्य तेलों की मांग वापस लौट आई है।" पहली तीन तिमाहियों में खाद्य तेलों के आयात को देखते हुए संगठन ने कहा है कि अक्टूबर 2023 को समाप्त होने वाले चालू तेल वर्ष में 150 से 155 लाख टन वनस्पति तेलों का "रिकॉर्ड" आयात देखकर आश्चर्य नहीं होगा। फिलहाल देश में लगभग 45 दिनों की जरूरतों के लिए तेल का भारी स्टॉक है और त्योहारी सीजन के दौरान आपूर्ति श्रृंखला सामान्य बनी रहेगी।

भारत मुख्य रूप से इंडोनेशिया और मलेशिया से पाम ऑयल और अर्जेंटीना से सोयाबीन तेल का आयात करता है। सूरजमुखी तेल यूक्रेन और रूस से आयात किया जाता है।

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