कृषि मंत्री शिवराज ने की समीक्षा बैठक, सीमावर्ती जिलों के किसानों के लिए समुचित व्यवस्था के दिए निर्देश
शिवराज ने कहा कि सीमा पर अभी जो परिस्थितियां हैं, उसमें कई किसान भाइयों को सुरक्षा कारणों से उनके खेतों से थोड़ा दूर रखा गया है ताकि उनकी जिंदगी सुरक्षित रहे। लेकिन अब ये जरूरी है कि सीमावर्ती क्षेत्र के हर राज्य के किसान चाहे वो पंजाब के हों, राजस्थान के हों, जम्मू-कश्मीर के हों, या अन्य प्रांतों के हों, उनकी खेती हम कैसे सुरक्षित रख पाएं, ये हमारी जिम्मेदारी है।

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गुजरात, राजस्थान, पंजाब और जम्मू-कश्मीर राज्यों के सीमावर्ती जिलों के किसानों की खेती एवं उनके लिए उपलब्ध खाद-बीज और अन्य संसाधनों के संबंध में समीक्षा बैठक की। बैठक में केंद्रीय मंत्री ने इन जिलों के किसानों के कृषि संबंधी कार्यों की समुचित व्यवस्थाओं के संबंध में आवश्यक दिशानिर्देश दिए।
शिवराज ने कहा कि सीमा पर अभी जो परिस्थितियां हैं, उसमें कई किसान भाइयों को सुरक्षा कारणों से उनके खेतों से थोड़ा दूर रखा गया है ताकि उनकी जिंदगी सुरक्षित रहे। लेकिन अब ये जरूरी है कि सीमावर्ती क्षेत्र के हर राज्य के किसान चाहे वो पंजाब के हों, राजस्थान के हों, जम्मू-कश्मीर के हों, या अन्य प्रांतों के हों, उनकी खेती हम कैसे सुरक्षित रख पाएं, ये हमारी जिम्मेदारी है।
केंद्रीय मंत्री ने आला अधिकारियों को दिशानिर्देश देते हुए कहा कि अभी सीमावर्ती किसान अगर खेती नहीं कर पा रहे हैं तो कल उन्हें किस तरह के सीड्स की जरूरत होगी, विशेषकर खरीफ की फसल के लिए, प्लांटिंग मैटेरियल आदि क्या चाहिए इनकी आवश्यकता का एक बार हम आकलन कर लें। उसके बाद हम इन सभी चीजों को उपलब्ध कराएं ताकि वो खरीफ की बोवनी ठीक कर सकें।
शिवराज ने कहा कि यूरिया, डीएपी, एनपीके जैसे पेट्रोकेमिकल आधारित इनपुट्स और डीजल की आपूर्ति की समीक्षा की जाएगी, हालांकि देश में इनकी अभी कोई कमी नहीं है। आवश्यक वस्तुओं की बफर स्टॉक की उपलब्धता और अन्य उठाए गए मुद्दों की भी समीक्षा की जाएगी। संबंधित मंत्रियों और मुख्यमंत्रियों से बात करके यह जाना जाएगा कि उन्हें कृषि या ग्रामीण विकास विभाग से किस प्रकार का सहयोग चाहिए।
उन्होंने अधिकारियों से कहा है कि सीमा के 10-15 किलोमीटर के दायरे में आने वाले गांवों की पहचान करें और वहां कितनी खेती योग्य जमीन है, इसका आकलन किया जाए। इन गांवों में खरीफ की कौन-कौन सी फसलें बोई जाती हैं, इसका डेटा पंजाब, हरियाणा, गुजरात, राजस्थान, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश के लिए जुटाएं और जिन किसानों की खेतों तक पहुंच नहीं है, उनकी मदद कैसे की जाए, इसका प्लान राज्य सरकारों के साथ मिलकर बनाएं। खरीफ की बोनी प्रभावित न हो, इसके लिए किसानों से संपर्क कर उनकी सहायता की जाएगी।