सरसों के रिकॉर्ड 120 लाख टन उत्पादन का अनुमान, उपज में 35% तक बढ़ोतरी संभव

खाद्य तेल उद्योग के संगठन सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) का अनुमान है कि 2023-24 सीजन में सरसों का उत्पादन 120.90 लाख टन के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच सकता है।

सरसों के रिकॉर्ड 120 लाख टन उत्पादन का अनुमान, उपज में 35% तक बढ़ोतरी संभव

खाद्य तेल उद्योग के संगठन सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) का अनुमान है कि 2023-24 सीजन में सरसों का उत्पादन 120.90 लाख टन के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच सकता है। इस सीजन में सरसों बुवाई का क्षेत्र 100 लाख हेक्टेयर के रिकॉर्ड स्तर को पार कर गया है। जिसे देखते हुए उत्पादन में बढ़ोतरी की संभावना है। हालांकि, इस साल किसानों को सरसों का सही भाव नहीं मिल पा रहा है और दाम एमएसपी से नीचे चले गये हैं। हरियाणा और राजस्थान सरकारी खरीद के जरिए सरसों खरीद शुरू की गई है। लेकिन इसमें भी कई दिक्कतें आ रही हैं।

2020 से सरसों उत्पादन में बढ़ोतरी 

सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) ने कहा कि सरसों का उत्पादन 2020-21 में 86 लाख टन था जो 2022-23 में बढ़कर 113.5 लाख टन हो गया। 2023-24 में सरसों का उत्पादन 120 लाख टन उच्चतम स्तर को छूने की संभावना है। इससे खाद्य तेलों की घरेलू आपूर्ति को बढ़ाने में मदद मिलेगी। फरवरी में सरसों की फसल पर मौसम की मार के बावजूद इस साल सरसों की औसत पैदावार 12.01 क्विंटल प्रति हेक्टेअर रहने का अनुमान है।

एसईए का मानना है कि सरसों के उत्पादन में यह बढ़ोतरी अनुकूल मौसम, अच्छी कीमतों और सरसों मॉडल फार्म परियोजना जैसे प्रयासों से हुए क्षेत्र विस्तार के कारण हुई है। भारत में उत्पादित खाद्य तेल में लगभग एक-तिहाई हिस्सा सरसों का है और यह देश में तिलहन की प्रमुख फसल है।

मौजूदा बीजों से 35 फीसदी बढ़ सकती है सरसों की उपज 

सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) की सरसों मॉडल फार्म परियोजना के तहत पांच वर्षों में सरसों की औसत उपज में 35 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। सरसों की उपज 17.87 क्विंटल प्रति हेक्टेअर से बढ़कर 24.15 क्विंटल प्रति हेक्टेअर हो गई है। एसईए ने कहा कि सरसों मॉडल फार्मों ने नवीन कृषि पद्धतियों, उन्नत तकनीकी और व्यापक किसान सहायता कार्यक्रमों के माध्यम से वर्तमान में उपलब्ध बीजों से ही सरसों की पैदावार बढ़ाने में कामयाबी हासिल की है। इस प्रक्रिया में आनुवंशिक रूप से संशोधित (जीएम) बीज का उपयोग नहीं किया गया।

पांच राज्यों में चल रही है परियोजना 

एसईए के कार्यकारी निदेशक बी.वी. मेहता का कहना है कि खाद्य तेलों के आयात पर देश की निर्भरता घटाने में सरसों सबसे अधिक मददगार साबित हो सकती है। किसानों तक सरसों की बेहतर कृषि पद्धतियों की जानकारी पहुंचाने के प्रयास किए जा रहे हैं, जिससे अच्छे परिणाम आए हैं। 2020-21 में राजस्थान के पांच जिलों में 400 खेतों में शुरू की गई सरसों मॉडल फार्म परियोजना का विस्तार पांच राज्यों में लगभग 3,500 मॉडल फार्मों तक हो चुका है जिससे 125,000 से अधिक किसान जुड़े हैं।

हर साल 60 फीसदी खाद्य तेलों का आयात  

हर साल भारत अपनी घरेलू जरूरत का करीब 60 फीसदी खाद्य तेल आयात करता है। एसईए के अनुसार, 2022-23 (नवंबर से अक्टूबर) में भारत ने लगभग 1.38 लाख करोड़ रुपये मूल्य के लगभग 164.7 लाख टन खाद्य तेलों का आयात किया।

 

 

 

Subscribe here to get interesting stuff and updates!