धान, मोटा अनाज और तिलहन फसलों के बुवाई रकबे में वृद्धि, दालों का रकबा अभी भी 10 लाख हेक्टेयर कम

21 जुलाई तक धान की बुवाई का रकबा बढ़कर 180.20 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया है। पिछले साल की इसी अवधि में तक यह 175.47 लाख हेक्टेयर रहा था। इसी तरह, मोटा अनाज की बुवाई का रकबा पिछले साल के 128.75 लाख हेक्टेयर के मुकाबले 134.91 लाख हेक्टेयर पर पहुंच चुका है। जबकि तिलहन फसलों की बुवाई इस साल 160.41 लाख हेक्टेयर में हुई है। पिछले साल 155.29 लाख हेक्टेयर में बुवाई हुई थी।

धान, मोटा अनाज और तिलहन फसलों के बुवाई रकबे में वृद्धि, दालों का रकबा अभी भी 10 लाख हेक्टेयर कम
धान की बुवाई के रकबे में करीब 5 लाख हेक्टेयर की वृद्धि हुई है।

मानसून की बारिश में कमी के चलते खरीफ सीजन की प्रमुख फसलों की बुवाई दस दिन पहले तक पिछड़ रही थी, मगर अब यह पिछले साल के स्तर को पार कर गई है। केंद्रीय कृषि मंत्रालय के 21 जुलाई तक के आंकड़ों के मुताबिक, खरीफ की प्रमुख फसल धान की बुवाई का रकबा पिछले साल के मुकाबले करीब 5 लाख हेक्टेयर ज्यादा रहा है, जबकि मोटा अनाज के बुवाई रकबे में करीब 6 लाख हेक्टेयर और तिलहन फसलों की बुवाई में करीब 5 लाख हेक्टेयर की वृद्धि दर्ज की गई है। हालांकि, दलहन फसलों की बुवाई अभी भी चिंताजनक स्थिति में है। पिछले साल के स्तर से यह अभी भी 10 लाख हेक्टेयर कम है।

कृषि मंत्रालय की ओर से सोमवार को जारी आंकड़ों में बताया गया है कि 21 जुलाई तक धान की बुवाई का रकबा बढ़कर 180.20 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया है। पिछले साल की इसी अवधि में तक यह 175.47 लाख हेक्टेयर रहा था। इसी तरह, मोटा अनाज की बुवाई का रकबा पिछले साल के 128.75 लाख हेक्टेयर के मुकाबले 134.91 लाख हेक्टेयर पर पहुंच चुका है। जबकि तिलहन फसलों की बुवाई इस साल 160.41 लाख हेक्टेयर में हुई है। पिछले साल 155.29 लाख हेक्टेयर में बुवाई हुई थी।

दलहन फसलों के मामले में अभी भी स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। आंकड़ों के मुताबिक, समीक्षाधीन अवधि तक 85.85 लाख हेक्टेयर में दालों की बुवाई हुई है जो पिछले साल 95.22 लाख हेक्टेयर रही थी। दलहनों फसलों में सबसे ज्यादा कमी अरहर की बुवाई में दर्ज की गई है। पिछले साल इस अवधि तक 33.33 लाख हेक्टेयर में अरहर बोई गई थी जो इस साल 6.13 लाख हेक्टेयर घटकर 27.20 लाख हेक्टेयर रह गई है। इसी तरह, उड़द की बुवाई का रकबा पिछले साल के 25.36 लाख हेक्टेयर के मुकाबले 22.91 लाख हेक्टेयर रहा है। मूंग की बुवाई का रकबा 26.12 लाख हेक्टेयर रहा है जो पिछले साल इसी अवधि तक 26.67 लाख हेक्टेयर था। अन्य दालों की बुवाई 9.62 लाख हेक्टेयर में हुई है जो पिछले साल 9.87 लाख हेक्टेयर रही थी।  

तिलहन फसलों में सबसे ज्यादा 3.17 लाख हेक्टेयर की बढ़ोतरी सोयाबीन के रकबे में हुई है। पिछले साल 111.31 हेक्टेयर में सोयाबीन की बुवाई हुई थी जो अब 114.48 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गई है। मूंगफली के रकबे में मामूली वृद्धि हुई है। यह 34.56 लाख हेक्टेयर के मुकाबले बढ़कर 34.94 लाख हेक्टेयर हो गई है। हालांकि, सूरजमुखी के बुवाई रकबे में 1 लाख हेक्टेयर की कमी आई है। सूरजमुखी खरीफ और रबी दोनों सीजन में बोई जाती है। खरीफ की सूरजमुखी का रकबा 1.46 लाख हेक्टेयर से घटकर 47 हजार हेक्टेयर पर सिमट गया है।

राजस्थान में इस साल सामान्य से करीब दोगुनी बारिश होने के चलते बाजरा के बुवाई रकबे में करीब 6 लाख हेक्टेयर की बढ़ोतरी हुई है। बाजरा का बुवाई रकबा 52.11 लाख हेक्टेयर के मुकाबले 57.99 हेक्टेयर पर पहुंच गया है। जबकि मक्का का रकबा 63 लाख हेक्टेयर रहा है जो पिछले साल 62.89 लाख हेक्टेयर था। ज्वार का रकबा 9.72 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 10.07 लाख हेक्टेयर हो गया है। जबकि रागी की बुवाई 1.69 लाख हेक्टेयर में हुई है जो पिछले साल 1.67 लाख हेक्टेयर रही थी।

कपास की बुवाई की स्थिति पहले अच्छी नहीं थी जो अब सुधर कर पिछले साल के स्तर पर आ गई है। 21 जुलाई तक कपास की बुवाई का रकबा 109.69 लाख हेक्टेयर रहा है जो पिछले साल 109.99 लाख हेक्टेयर था। गन्ने का रकबा 53.34 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 56 लाख हेक्टेयर और जूट का रकबा 6.92 लाख हेक्टेयर की तुलना में 6.36 लाख हेक्टेयर रहा है।  

 

 

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