चीनी पर स्टॉक लिमिट लगा सकती है सरकार

खाद्य उत्पादों की महंगाई को नियंत्रित करने के लिए लगातार कदम उठा रही केंद्र सरकार चीनी के लिए स्टॉक लिमिट लागू कर सकती है। सरकार ने उद्योग और चीनी का कारोबार करने वाले संस्थानों से स्टॉक की जानकारी देने के लिए पिछले माह आदेश जारी किया था। यह जानकारी करीब दस दिन पहले मिल जाने की संभावना था। लेकिन अभी तक कुछ कारोबारियों और संस्थानों ने सरकारी पोर्टल पर जानकारी नहीं दी है और उसको लेकर सरकार सख्ती दिखा रही है जिसके लिए 17 अक्तूबर तक जानकारी साझा करने के लिए कहा गया है। सूत्रों के मुताबिक इस कवायद के पूरा होने के बाद सरकार चीनी पर स्टॉक लिमिट लागू करने का फैसला ले सकती है। इसके पहले सरकार गेहूं और दालों पर स्टॉक लिमिट लागू कर चुकी है।

चीनी पर स्टॉक लिमिट लगा सकती है सरकार

खाद्य उत्पादों की महंगाई को नियंत्रित करने के लिए लगातार कदम उठा रही केंद्र सरकार चीनी के लिए स्टॉक लिमिट लागू कर सकती है। सरकार ने उद्योग और चीनी का कारोबार करने वाले संस्थानों से स्टॉक की जानकारी देने के लिए पिछले माह आदेश जारी किया था। यह जानकारी करीब दस दिन पहले मिल जाने की संभावना था। लेकिन अभी तक कुछ कारोबारियों और संस्थानों ने सरकारी पोर्टल पर जानकारी नहीं दी है और उसको लेकर सरकार सख्ती दिखा रही है जिसके लिए 17 अक्तूबर तक जानकारी साझा करने के लिए कहा गया है। सूत्रों के मुताबिक इस कवायद के पूरा होने के बाद सरकार चीनी पर स्टॉक लिमिट लागू करने का फैसला ले सकती है। इसके पहले सरकार गेहूं और दालों पर स्टॉक लिमिट लागू कर चुकी है।

चीनी उद्योग के अनुमान के मुताबिक चालू पेराई सीजन (2023-24) में चीनी के उत्पादन में करीब दस लाख टन की गिरावट का अनुमान है। इसके साथ ही इस साल महाराष्ट्र और कर्नाटक में बारिश कम होने के चलते गन्ना उत्पादन में जहां कमी आने की आशंका है वहीं फसल में देरी हो रही है जिसके चलते पेराई सीजन अक्तूबर की बजाय नवंबर में ही शुरू सकेगा। वहीं चीनी की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है। खासतौर से उत्तर भारत में दाम महाराष्ट्र और दक्षिण के मुकाबले अधिक बढ़े हैं। त्यौहारी सीजन को देखते हुए सरकार ने चीनी मिलों से अक्तूबर का कोटा 10 तारीख तक ही बेचने के लिए कहा था। इसकी वजह कीमतों में बढ़ोतरी को रोकना है। अक्तूबर के लिए 13 लाख टन चीनी का कोटा जारी किया गया था

चालू पेराई सीजन (अक्तूबर 2023 से सितंबर 2024) में चीनी उत्पादन पिछले सीजन से नौ लाख टन घटकर 317 लाख  टन रहने का अनुमान है। चीनी उद्योग के अनुमानों के मुताबिक 278 लाख टन की घरेलू खपत के बाद चालू सीजन के अंत में चीनी का स्टॉक 97 लाख टन रहने की संभावना है। पिछले सीजन (2022-23) के अंत में चीनी का स्टॉक 58 लाख टन रहा जो पांच साल में सबसे कम है। साल 2022-23 में चीनी उत्पादन 326 लाख टन रहा और खपत 275 लाख टन रही। 2021-22 में चीनी का उत्पादन 357.60 लाख टन रहा था और खपत 273.30 लाख टन रही थी। वहीं बकाया स्टॉक 70 लाख टन रहा था। साल 2021-22 में देश से चीनी का निर्यात 110.70 लाख टन रहा था।

वहीं इस साल अक्तूबर में शुरू हुए चीनी सीजन का ओपनिंग स्टॉक 58 लाख टन रहा जो पिछले पांच साल का सबसे कम है। वहीं अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीनी की कीमत 50 रुपये किलो से अधिक चल रही है। इंटरनेशनल शुगर आर्गनाइजेशन की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक इस साल चीनी का उत्पादन खपत से कम रहेगा। अंतरराष्ट्रीय बाजार में इस समय चीनी की कीमतें काफी तेज बनी हुई हैं। यह कीमतें लंदन व्हाइट के लिए भारत से एफओबी कीमत 691 डॉलर प्रति टन यानी 5420 रुपये प्रति क्विटंल और न्यूयार्क रॉ के लिए 25.93 सेंट जो भारत से एफओबी 4950 रुपये प्रति क्विंटल बैठती है। घरेलू उत्पादन कम रहने और वैश्विक बाजार में उत्पादन कम रहने के चलते घरेलू और वैश्विक बाजार में चीनी के दाम तेज रहेंगे। ऐसे में सरकार नहीं चाहेगी कि चीनी की कीमतों को लेकर कोई भी ढील दी जाए।

सरकार ने इस साल निर्यात को लेकर भी फैसला नहीं लिया है। पिछले साल (2022-23) में 63 लाख टन चीनी का निर्यात किया गया था। सरकार ने पिछले साल चीनी के निर्यात को फ्री से रेस्ट्रिक्टेड लिस्ट में रख दिया था। इसके लिए जारी अधिसूचना 31 अक्तूबर, 2023 को समाप्त हो रही है। सूत्रों के मुताबिक इसकी अवधि बढ़ाकर 31 अक्तूबर, 2024 की जा सकती है। हालांकि अभी सरकार का चीनी के निर्यात पर प्रतिबंध का इरादा नहीं है लेकिन इसके बारे में फैसला फरवरी, 2024 में किये जाने की संभावना है क्योंकि उस समय तक देश में चीनी उत्पादन की स्थिति स्पष्ट हो जाएगी।

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