सल्फर कोटेड यूरिया की अब होगी बिक्री, मार्च 2025 तक नहीं बढ़ेंगे यूरिया के दाम

मिट्टी में सल्फर की कमी को दूर करने और किसानों की इनपुट लागत को कम करने के लिए सरकार ने सल्फर कोटेड यूरिया की शुरुआत करने की घोषणा की है। इसे यूरिया गोल्ड के नाम से जाना जाएगा। इससे पहले सरकार नीम कोटेड यूरिया की बिक्री की शुरुआत कर चुकी है। इसके साथ ही सरकार ने वित्त वर्ष 2024-25 तक यूरिया सब्सिडी को जारी रखने और यूरिया की 45 किलो वाली बोरी की कीमत टैक्स और नीम कोटिंग शुल्कों को छोड़कर 242 रुपये पर स्थिर रखने का फैसला किया है। इसके अलावा मिट्टी की उर्वरता बहाली के लिए गोबरधन संयंत्रों के जैविक उर्वरकों को बढ़ावा देने के तहत बाजार विकास सहायता (एमडीए) योजना के लिए 1451 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं।

सल्फर कोटेड यूरिया की अब होगी बिक्री, मार्च 2025 तक नहीं बढ़ेंगे यूरिया के दाम
नीम कोटेड यूरिया के बाद अब सल्फर कोटेड यूरिया की शुरुआत।

मिट्टी में सल्फर की कमी को दूर करने और किसानों की इनपुट लागत को कम करने के लिए सरकार ने सल्फर कोटेड यूरिया की शुरुआत करने की घोषणा की है। इसे यूरिया गोल्ड के नाम से जाना जाएगा। इससे पहले सरकार नीम कोटेड यूरिया की बिक्री की शुरुआत कर चुकी है। इसके साथ ही सरकार ने वित्त वर्ष 2024-25 तक यूरिया सब्सिडी को जारी रखने और यूरिया की 45 किलो वाली बोरी की कीमत टैक्स और नीम कोटिंग शुल्कों को छोड़कर 242 रुपये पर स्थिर रखने का फैसला किया है। इसके अलावा मिट्टी की उर्वरता बहाली के लिए गोबरधन संयंत्रों के जैविक उर्वरकों को बढ़ावा देने के तहत बाजार विकास सहायता (एमडीए) योजना के लिए 1451 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं।

सरकार की ओर से जारी एक बयान में बताया गया है कि प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) की बैठक में यह फैसला किया गया। बयान के मुताबिक, बैठक में किसानों के लिए 3,70,128.7 करोड़ रुपये के विशेष पैकेज को मंजूरी दी गई। पैकेज में तीन वर्षों के लिए (2022-23 से 2024-25) यूरिया सब्सिडी के लिए 3,68,676.7 करोड़ रुपये आवंटित करने की प्रतिबद्धता जताई गई है।

यह पैकेज अपने आप में विरोधाभासी है क्योंकि सरकार ने इसमें पिछले वित्त वर्ष 2022-23 में दी गई यूरिया सब्सिडी को भी जोड़ दिया है। वित्त वर्ष 2023-24 के बजट दस्तावेजों के मुताबिक, 2022-23 में सरकार ने यूरिया सब्सिडी के रूप में 1,54,097.93 करोड़ रुपये दिए हैं। जब सब्सिडी दी जा चुकी है और वित्त वर्ष खत्म हुए भी तीन महीने हो चुके हैं तो उस सब्सिडी को इस पैकेज में शामिल करना समझ से परे है। इस लिहाज से देखें तो एक तो यह पैकेज सिर्फ 2,14,578.77 करोड़ रुपये का है, दूसरा यह कोई नया पैकेज नहीं बल्कि नियमित सब्सिडी है जो हमेशा से दी जाती रही है और बजट प्रस्तावों में इसकी घोषणा की जाती रही है। वित्त वर्ष 2023-24 के बजट में सरकार ने यूरिया सब्सिडी के लिए 1,31,100.12 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। पैकेज की बजाय यह आंकड़ों की बाजीगरी ज्यादा दिख रही है।  

सरकारी बयान में कहा गया है कि देश में पहली बार सल्फर कोटेड यूरिया (यूरिया गोल्ड) की शुरुआत की जा रही है। यह वर्तमान में उपयोग होने वाले नीम कोटेड यूरिया से अधिक किफायती और बेहतर है। यह मिट्टी में सल्फर की कमी को दूर करेगा और किसानों की इनपुट लागत भी बचाएगा। उत्‍पादन एवं उत्‍पादकता में वृद्धि के साथ इससे किसानों की आय भी बढ़ेगी। साथ ही मिट्टी की उर्वरता बहाली, पोषण और बेहतरी के लिए नवीन प्रोत्साहन तंत्र भी शामिल किया गया है। गोबरधन पहल के तहत स्थापित बायोगैस संयंत्र/संपीड़ित बायो गैस (सीबीजी) संयंत्रों से उप-उत्पाद के रूप में उत्पादित जैविक उर्वरक अर्थात फर्मेंटेड जैविक खाद (एफओएम)/तरल एफओएम /फास्फेट युक्त जैविक खाद (पीआरओएम)  की मार्केटिंग का समर्थन करने के लिए 1500 रुपये प्रति टन के रूप में एमडीए योजना शामिल है।

ऐसे जैविक उर्वरकों को भारतीय ब्रांड एफओएम, एलएफओएम और पीआरओएम के नाम से ब्रांड किया जाएगा। यह एक तरफ फसल के बाद बचे अवशेषों का प्रबंध करने और पराली जलाने की समस्‍याओं का समाधान करने में सुविधा प्रदान करेगा और पर्यावरण को स्‍वच्‍छ एवं सुरक्षित रखने में भी मदद करेगा। साथ ही किसानों को आय का एक अतिरिक्‍त स्रोत भी प्रदान करेगा। ये जैविक उर्वरक किसानों को किफायती कीमतों पर मिलेंगे। एमडीए (बाजार विकास सहायता) के लिए 1451.84 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं।

यूरिया सब्सिडी, पीएम-प्रणाम योजना, जैविक उत्पादों के लिए बाजार विकास सहायता (एमडीए) और वैकल्पिक और संतुलित उर्वरक उपयोग को बढ़ावा देने के 3.68 लाख करोड़ रुपये के पैकेज की कैबिनेट मंजूरी का इफको ने स्वागत किया है। एक बयान जारी कर इफको ने कहा है कि यह आत्मनिर्भर कृषि और आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक साहसी और दृढ़ कदम है जिसके माध्यम से मिट्टी की सेहत और पर्यावरण को बचाने के लिए नैनो यूरिया, नैनो डीएपी, सल्फर लेपित यूरिया (एससीयू), जैविक उर्वरक जैसे वैकल्पिक उर्वरकों को बढ़ावा दिया जाएगा। इससे नैनो उर्वरकों और जैविक उर्वरकों जैसे वैकल्पिक उर्वरकों के लिए अनुकूल वातावरण तैयार होगा।

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