पंजाब के 85 फ़ीसदी घरेलू उपभोक्ताओं को मुफ्त बिजली का तोहफा, आप ने पूरा किया चुनावी वादा

मुफ्त बिजली योजना की घोषणा करते हुए मुख्यमंत्री मान ने कहा कि सामान्य वर्ग के परिवार अगर 2 महीने के चक्र में 600 यूनिट से अधिक बिजली खर्च करते हैं तो उनसे पूरी यूनिट का शुल्क लिया जाएगा। यानी अगर किसी ने 625 यूनिट बिजली खर्च की है तो उसे पूरे 625 यूनिट के पैसे देने पड़ेंगे, सिर्फ 25 यूनिट के नहीं

पंजाब के 85 फ़ीसदी घरेलू उपभोक्ताओं को मुफ्त बिजली का तोहफा, आप ने पूरा किया चुनावी वादा

पंजाब की आम आदमी पार्टी सरकार ने प्रदेश के 85 फ़ीसदी घरेलू उपभोक्ताओं को मुफ्त बिजली का तोहफा दिया है। दरअसल अपने चुनावी वादे को पूरा करते हुए मुख्यमंत्री भगवंत मान ने शनिवार को घरेलू उपभोक्ताओं के लिए हर 2 महीने में 600 यूनिट बिजली मुफ्त करने की घोषणा की, यानी प्रतिमाह औसतन 300 यूनिट। राज्य में घरेलू बिजली उपभोक्ता हैं। इनमें से 85 फ़ीसदी यानी लगभग 62 लाख घरों में प्रतिमाह 300 यूनिट से कम बिजली खर्च होती है। हालांकि नई योजना 1 जुलाई 2022 से लागू होगी। औद्योगिक उपभोक्ताओं के लिए दरों में भी अभी कोई वृद्धि नहीं की जाएगी।

मुफ्त बिजली योजना की घोषणा करते हुए मुख्यमंत्री मान ने कहा कि सामान्य वर्ग के परिवार अगर 2 महीने के चक्र में 600 यूनिट से अधिक बिजली खर्च करते हैं तो उनसे पूरी यूनिट का शुल्क लिया जाएगा। यानी अगर किसी ने 625 यूनिट बिजली खर्च की है तो उसे पूरे 625 यूनिट के पैसे देने पड़ेंगे, सिर्फ 25 यूनिट के नहीं। 

लेकिन अनुसूचित जाति, पिछड़ा वर्ग, गरीबी रेखा से नीचे के लोगों और स्वतंत्रता सेनानियों को इससे छूट दी गई है। अगर यह लोग 600 यूनिट से अधिक बिजली खर्च करते हैं तो उन्हें उस अतिरिक्त यूनिट के लिए ही पैसे देने पड़ेंगे। अभी तक इनके लिए मुफ्त बिजली की सीमा 200 यूनिट थी। मान ने कहा कि जिनका लोड 2 किलो वाट तक है और उनका बिजली बिल बकाया है, तो 31 दिसंबर 2021 तक का बकाया माफ कर दिया जाएगा। हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि ऐसे उपभोक्ताओं की संख्या कितनी है।

2 महीने में 600 यूनिट यानी 300 यूनिट प्रतिमाह बिजली मुफ्त देने से राज्य सरकार पर करीब 5500 करोड़ रुपए का खर्च आएगा। अभी किसानों को जो मुफ्त बिजली दी जा रही है उसका खर्च लगभग 6000 करोड़ रुपए आता है। इसके अलावा अनुसूचित जाति, पिछड़ा वर्ग और गरीबी रेखा से नीचे के करीब 22 लाख परिवारों को मिल रही सब्सिडी करीब 4000 करोड़ रुपए की है।

(प्रकाश चावला सीनियर इकोनॉमिक जर्नलिस्ट है और आर्थिक नीतियों पर लिखते हैं)

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