अंतरराष्ट्रीय बाजार में डीएपी की कीमत 720 डॉलर तक पहुंची, सरकार पर बढ़ेगा सब्सिडी का बोझ
सरकार द्वारा खरीफ 2025 (अप्रैल से सितंबर, 2025) के लिए डीएपी पर दी जाने वाली सब्सिडी को बढ़ाकर 27799 रुपये प्रति टन करने के बावजूद डीएपी का आयात फर्टिलाइजर कंपनियों के लिए घाटे का सौदा बना हुआ है।

यूरिया के बाद देश में सर्वाधिक खपत वाले उर्वरक डाई अमोनियम फॉस्फेड (डीएपी) की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में 720 डॉलर प्रति टन पर पहुंच गई है। इससे सरकार पर सब्सिडी का बोझ बढ़ेगा। हालांकि, अभी डीएपी के दाम बढ़ने की संभावना नहीं है क्योंकि बढ़ी कीमतों का बोझ सरकार वहन करेगी।
सरकार द्वारा खरीफ 2025 (अप्रैल से सितंबर, 2025) के लिए डीएपी पर दी जाने वाली सब्सिडी को बढ़ाकर 27799 रुपये प्रति टन करने के बावजूद डीएपी का आयात फर्टिलाइजर कंपनियों के लिए घाटे का सौदा बना हुआ है। बढ़ती कीमतों के बाद भी कंपनियां डीएपी का लगातार आयात कर रही हैं।
उर्वरक उद्योग से जुड़े सूत्रों के मुताबिक फरवरी में डीएपी की कीमत 640 डॉलर प्रति टन थी। जो पिछले सप्ताह 720 डॉलर प्रति टन पर पहुंच गई। एक भारतीय कंपनी ने इस कीमत पर डीएपी का आयात सौदा किया है। उक्त सूत्र का कहना है कि डीएपी की कीमतों में बढ़ोतरी का यह रुख जारी रह सकता है। वहीं डीएपी के कच्चे माल फॉस्फोरिक एसिड की कीमत 1153 डॉलर प्रति टन चल रही है।
देश में सालाना करीब 100 लाख टन डीएपी की खपत होती है। इसमें से 48 लाख टन का देश में उत्पादन होता है और बाकी मात्रा का आयात किया जाता है। हालांकि घरेलू उत्पादन के लिए भी कच्चे माल रॉक फॉस्फेट और फॉस्फोरिक एसिड का आयात होता है। एक तरह डीएपी के मामले में लगभग पूरी तरह से हम आयात पर ही निर्भर हैं।
चालू खरीफ सीजन के लिए सरकार ने न्यूट्रिएंट आधारित सब्सिडी (एनबीएस) के तहत डीएपी पर सब्सिडी को बढ़ाकर 27799 रुपये प्रति टन कर दिया है। जबकि डीएपी का अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) अभी भी 27 हजार रुपये प्रति टन (1350 रुपये प्रति बैग) है। ऐसे में कंपनियों को सब्सिडी और एमआरपी के आधार पर एक टन डीएपी पर 54799 रुपये की कमाई होती है। जबकि 720 डॉलर प्रति टन की मौजूदा कीमतों पर डीएपी का दाम 61200 रुपये प्रति टन बैठता है। इसके ऊपर सीमा शुल्क, बैगिंग और हैंडलिंग जैसी लागत आती है। जिसके चलते आयात के बाद डीएपी का मूल्य 65000 रुपये प्रति टन को पार कर जाता है।
उद्योग सूत्रों का कहना है कि सरकार ने भरोसा दिया है कि डीएपी के आयात पर जो भी खर्च बढ़ेगा, उसकी भरपाई की जाएगी। हालांकि, इस संबंध में कोई लिखित आदेश की जानकारी नहीं है। हालांकि, कुछ कंपनियों की पुरानी सब्सिडी भी बकाया है। रबी सीजन के लिए 1 अक्तूबर, 2024 से 31 मार्च, 2025 तक के लिए डीएपी पर 21911 रुपये प्रति टन की सब्सिडी निर्धारित की गई थी। इसके अलावा 3500 रुपये प्रति टन का स्पेशल इंसेंटिव भी दिया था। उर्वरक विभाग द्वारा 28 मार्च को जारी नोटिफिकेशन के जरिये चालू खरीफ सीजन में सब्सिडी को बढाकर 27799 रुपये प्रति टन कर दिया गया।
डीएपी आयात को सुगम बनाने के लिए सरकार ने मोरक्को और सऊदी अरब के साथ करीब 20-20 लाख टन सालाना आयात के दीर्घकालिक समझौते किये हैं। मोरक्को की सरकारी कंपनी ओसीपी दुनिया की सबसे बड़ी डीएपी निर्यातक कंपनी है। सऊदी अरब की कंपनी माडेन इसका निर्यात करती है। हालांकि, कुछ आयात चीन और रूस से भी होता है। उद्योग सूत्रों का कहना है कि चीन से आयात अभी खुला नहीं है। इसलिए कीमतों में मजूबती बनी हुई है। चीन से निर्यात शुरू होने के बाद कीमतों पर असर पड़ सकता है।