3 अक्टूबर से रबी फसल के लिए विकसित कृषि संकल्प अभियान, खाद की कालाबाजारी रोकने के निर्देश
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि रबी फसल के लिए ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ की दो दिवसीय कॉन्फ्रेंस नई दिल्ली में 15 और 16 सितंबर को आयोजित होगी और अभियान की औपचारिक शुरुआत 3 अक्टूबर, 2025 विजय पर्व के साथ होगी।

कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि रबी फसल के लिए ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ की दो दिवसीय कॉन्फ्रेंस नई दिल्ली में 15 और 16 सितंबर को आयोजित होगी और अभियान की औपचारिक शुरुआत 3 अक्टूबर, 2025 विजय पर्व के साथ होगी। अभियान 3 अक्टूबर से 18 अक्टूबर धनतेरस के दिन तक चलेगा। उन्होंने कहा कि इस संबंध में वह राज्य के मुख्यमंत्रियों को भी औपचारिक रूप से पत्र लिखेंगे और यह सुनिश्चित करने के लिए कहेंगे कि इस कॉन्फ्रेंस में राज्यों के कृषि मंत्रियों सहित कृषि विभाग के उच्च वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।
केंद्रीय कृषि मंत्री ने राज्य के कृषि मंत्रियों से कहा कि वह रबी फसल के लिए विभिन्न विषयों सहित खाद की आवश्यकता का आंकलन भी इकट्ठा कर लें और आगामी कॉन्फ्रेंस में इस पर गंभीर विचार-विमर्श और मंथन के लिए तैयार रहें।
बैठक में 23 अगस्त को प्रधानमंत्री द्वारा शुरू किए जा रहे राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन की तैयारियों को लेकर भी चर्चा हुई। प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना के तहत 100 जिलों में मिशन की प्रगति को लेकर भी समीक्षा की।
केंद्रीय मंत्री ने दलहन-तिलहन के उत्पादन को लेकर भी विचार-विमर्श किया। साथ ही राज्य के कृषि मंत्रियों से आग्रह किया कि वह अपने राज्यों में इन उपयोगी मिशन, योजनाओं और अभियानों का स्वयं प्रतिनिधितत्व करते हुए इसे आगे बढ़ाएं।
शिवराज सिंह चौहान ने नकली खाद और उर्वरक की कालाबाजारी को लेकर राज्य सरकारों से सख्त कार्रवाई करने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि अब तक मात्र 600 बायोस्टुमिलेंट प्रमाणित पाए गए हैं। इसलिए अधिकारी सुनिश्चित करें कि यह प्रमाणित बायोस्टुमिलेंट ही किसानों तक पहुंचे। केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि यदि कोई खाद के साथ कुछ और दवाई जबर्दस्ती बेचता है, तो यह भी गलत है। जिसके खिलाफ भी सख्त कार्रवाई होगी। उन्होंने राज्यों से भी इस संबंध में कठोर कदम उठाने के लिए कहा।
राज्य की तरफ से अतिरिक्त यूरिया की मांग
बैठक में कृषि मंत्रियों ने जमीनी स्तर पर आ रही समस्याओं के बारे में केंद्रीय मंत्री को जानकारी दी। राजस्थान के कृषि मंत्री भजन लाल, उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही, मध्य प्रदेश के कृषि मंत्री ऐंदल सिंह कंषाना, बिहार के उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, कर्नाटक के कृषि मंत्री एन. चेलुवरायस्वामी, उत्तराखंड के कृषि मंत्री गणेश जोशी, छत्तीसगढ़ के कृषि मंत्री रामविचार नेताम, गुजरात के कृषि मंत्री राघवजीभाई पटेल और पंजाब के कृषि मंत्री गुरमीत सिंह खुड्डियां के प्रतिनिधियों की तरफ से अतिरिक्त यूरिया की मांग की गई।
उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्रियों ने केंद्रीय मंत्री को यूरिया की कमी के साथ-साथ प्राकृतिक आपदा के कारण नुकसान की भी जानकारी दी साथ ही अतिरिक्त सहायता राशि की आवश्यकता जताई।
यूरिया के सही उपयोग पर जोर
केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि यूरिया की अतिरिक्त मांग की मुख्य दो वजह हो सकती हैं, पहला – अच्छी बारिश के कारण चावल और मक्के सहित बुआई में बढ़ोतरी और दूसरा कारण हो सकता है यूरिया का गैर खेती के कामों में अनुचित इस्तेमाल। उन्होंने कहा कि यदि खेती की आवश्यकता के लिए यूरिया की मांग है तो निश्चित रूप से यूरिया उपलब्ध करवाया जाएगा। उन्होंने राज्य के कृषि मंत्रियों से भी आग्रह किया कि वह यह सुनिश्चित करें कि यूरिया का सही इस्तेमाल ही हो। इस संबंध में निगरानी समितियों का गठन करते हुए तंत्र मजबूत करें।
5 साल की कृषि कार्य योजना
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अधिकारियों से प्रगतिशील किसानों, विशेषज्ञों एवं अन्य उपयोगी सुझावों को जोड़ते हुए अगले 5 साल की कृषि कार्य योजना की रूपरेखा तय करने का भी निर्देश दिया। साथ ही जनकल्याण समस्याओं के लिए मंत्रालय के ट्रोल फी नंबर को अधिक से अधिक प्रसारित करने के भी निर्देश दिए।