ज्यादा उपज वाले पर्ल मिलेट की किस्मों के विकास का खुला रास्ता, कोर्टेवा एग्रीसाइंस ने आईसीएआर के सहयोग से किया रिसर्च

बढ़ती वैश्विक आबादी और जलवायु परिवर्तन की चिंताओं के बीच कोर्टेवा एग्रीसाइंस, इंटरनेशनल क्रॉप्स रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर द सेमी-एरिड ट्रॉपिक्स (आईसीआरआईएसएटी) और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने आपसी सहयोग से एक रिसर्च प्रोजेक्ट पूरा किया है। इस रिसर्च ने पर्ल मिलेट जीनोम की रिसिक्वेसिंग कर मील का पत्थर हासिल किया है। इसके जरिये नए मॉलिक्युलर मार्करों के विकास को बढ़ावा मिला है जिससे असाधारण उपज और बेहतर पोषण गुणवत्ता के साथ बाजरा की किस्मों के विकास का रास्ता खुल गया है।

ज्यादा उपज वाले पर्ल मिलेट की किस्मों के विकास का खुला रास्ता, कोर्टेवा एग्रीसाइंस ने आईसीएआर के सहयोग से किया रिसर्च
प्रतीकात्मक फोटो

बढ़ती वैश्विक आबादी और जलवायु परिवर्तन की चिंताओं के बीच कोर्टेवा एग्रीसाइंस, इंटरनेशनल क्रॉप्स रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर द सेमी-एरिड ट्रॉपिक्स (आईसीआरआईएसएटी) और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने आपसी सहयोग से एक रिसर्च प्रोजेक्ट पूरा किया है। इस रिसर्च ने पर्ल मिलेट जीनोम की रिसिक्वेसिंग कर मील का पत्थर हासिल किया है। इसके जरिये नए मॉलिक्युलर मार्करों के विकास को बढ़ावा मिला है जिससे असाधारण उपज और बेहतर पोषण गुणवत्ता के साथ बाजरा की किस्मों के विकास का रास्ता खुल गया है।

अब तक बाजरा की दुनिया में विश्वसनीय डीएनए मार्करों का अभाव था। हालांकि, इस सहयोग से उच्च गुणवत्ता वाली तीन प्लैटिनम-ग्रेड जीनोम असेंबली सामने आई हैं जो सक्रिय वैश्विक प्रजनन जर्मप्लाज्म का प्रतिनिधित्व करती हैं। यह उल्लेखनीय उपलब्धि पहले प्रकाशित आंकड़ों की तुलना में 7000 गुना सुधार दर्शाती है। नए पहचाने गए डीएनए मार्कर वैश्विक स्तर पर बाजरा की उत्पादकता बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण रोडमैप है जिसमें खाद्य सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के दूरगामी प्रभाव हैं।

हाल ही में खाद्य सुरक्षा और पोषण सुरक्षा के समाधान खोजने पर जी20 की बातचीत को देखते हुए इस रिसर्च का समय विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। बाजरा को असाधारण पोषण और जलवायु लचीलेपन के कारण एक प्रमुख फसल के रूप में मान्यता दी गई है। इसके अलावा, संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 2023 को इंटरनेशनल मिलेट ईयर के रूप में मान्यता दिए जाने से वैश्विक जलवायु परिवर्तन के सामने इसके महत्व को और अधिक रेखांकित किया गया है।

यह सहयोगात्मक सफलता स्थायी खाद्य उत्पादन और पोषण सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का वादा करती है। इन प्लैटिनम-ग्रेड जीनोम असेंबलियों द्वारा प्रदान किए गए हैप्लोटाइप्स के बेहतर रिज़ॉल्यूशन से पर्ल मिटेल में वैश्विक हेटेरोटिक जीन पूल की विशेषता वाले जीनोमिक भेदों को समझने में मदद मिलेगी। कोर्टेवा ने एक बयान में कहा है कि यह शोध उन संरचनात्मक विविधताओं की भी पहचान करता है जिनका उपयोग हेटेरोसिस से संबंधित लक्षणों की जांच के लिए किया जा सकता है, जैसे प्रजनन क्षमता बहाली, रोग प्रतिरोध और कृषि विज्ञान।

इसके अलावा, जीन एनोटेशन और संवर्धन विश्लेषण से पता चला है कि मिलेट जीनोम सिस्टीन और मेथियोनीन कोडिंग जीन से समृद्ध है, जो अरहर और काबुली चना जैसी फलियों की तुलना में पर्ल मिलेट में उच्च अमीनो एसिड सांद्रता के पिछले निष्कर्षों के मुताबिक है। यह खोज कुपोषण से निपटने के लिए संतुलित आहार के पूरक घटकों के रूप में बाजरा और फलियों की क्षमता पर प्रकाश डालती है।

जैसे-जैसे हम वैश्विक खाद्य सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपट रहे हैं कोर्टेवा एग्रीसाइंस, आईसीआरआईएसएटी और आईसीएआर के सहयोगात्मक प्रयासों ने आगे बढ़ने का आशाजनक मार्ग प्रशस्त किया है। जीनोमिक्स की शक्ति का उपयोग करके यह शोध वैश्विक स्तर पर टिकाऊ कृषि, स्वस्थ आहार और बढ़ी हुई खाद्य सुरक्षा के लिए नए रास्ते खोलता है।

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