ऑयल मील निर्यात में 37 फ़ीसदी गिरावट, भारतीय सोया मील का महंगा होना मुख्य वजह

मूल्य के लिहाज से भी गिरावट समान है। सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के आंकड़ों के अनुसार पिछले साल 5,600 करोड़ रुपए के आयल मील का निर्यात हुआ जो एक साल पहले की तुलना में 37 फ़ीसदी कम है

ऑयल मील निर्यात में 37 फ़ीसदी गिरावट, भारतीय सोया मील का महंगा होना मुख्य वजह

भारत से ऑयल मील (खली) निर्यात में गिरावट आई है। वित्त वर्ष 2021-22 में 23.73 लाख टन ऑयल मील का निर्यात किया गया, जो एक साल पहले की तुलना में 36 फीसदी कम है। मूल्य के लिहाज से भी लगभग इतनी ही गिरावट आई है। सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के आंकड़ों के अनुसार पिछले साल 5,600 करोड़ रुपए के आयल मील का निर्यात हुआ जो एक साल पहले की तुलना में 37 फ़ीसदी कम है।

एसोसिएशन की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक मार्च 2022 में 2.42 लाख टन ऑयल मील का निर्यात किया गया जबकि मार्च 2021 में 3.23 लाख टन का निर्यात किया गया था। इस तरह मार्च में 25 फ़ीसदी गिरावट आई है।

एसोसिएशन के अनुसार 2021-22 में 23.73 लाख टन ऑयल मील का निर्यात किया गया जबकि 2020-21 में 36.89 लाख टन का निर्यात हुआ था। मूल्य के लिहाज से पिछले वित्त वर्ष में 5,600 करोड़ रुपए का ऑयल मील निर्यात किया गया जबकि उससे एक साल पहले 8,866 करोड़ रुपए का निर्यात हुआ था। निर्यात में गिरावट खासतौर से सोयाबीन मील की मांग में कमी की वजह से आई है। 2020-21 में 15.65 लाख टन सोया मील का निर्यात किया गया था जबकि पिछले वित्त वर्ष में यह घटकर सिर्फ 3.72 लाख टन रह गया।

एसोसिएशन की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि निर्यात के लिहाज से भारतीय सोयाबीन मील की कीमत ज्यादा है। कांडला बंदरगाह पर इसकी कीमत 840 डॉलर प्रति टन है जबकि ब्राज़ील के सोयाबीन की अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत 574 डॉलर और अर्जेंटीना के सोया मील की 586 डॉलर प्रति टन है।

एसोसिएशन के अनुसार निकट भविष्य में भारत का सोयाबीन निर्यात बाजार में प्रतिस्पर्धी होने की उम्मीद कम ही है। पिछले साल किसानों को ज्यादा कीमत मिली थी इसलिए इस बार भी अधिक कीमत की उम्मीद में किसानों ने सोयाबीन का स्टॉक होल्ड कर रखा है। इस वजह से इसकी क्रशिंग कम हो रही है। इस कारण भारत में कच्चे सोयाबीन आयल का आयात भी बढ़ा है।

2020-21 में भारत ने अमेरिका को 2.25 लाख टन ऑर्गेनिक सोयाबीन मील का निर्यात किया था, लेकिन पिछले वित्त वर्ष में यह घटकर सिर्फ 65,000 टन रह गया। भारत सिर्फ नॉन जेनेटिक मॉडिफाइड सोयाबीन मील का उत्पादन करता है, इसलिए भारतीय सोयाबीन ऑयल की यूरोपीय देशों में अच्छी मांग है। इसके बावजूद 2021-22 में भारत से सिर्फ 1.2 लाख टन का निर्यात किया जा सका जबकि एक साल पहले 5 लाख टन का निर्यात किया गया था। दक्षिण कोरिया, थाईलैंड, वियतनाम और बांग्लादेश से कम डिमांड के चलते 2021-22 में रेपसीड मील का निर्यात भी 8.66 लाख टन रह गया, जबकि एक साल पहले 11.13 लाख टन का निर्यात किया गया था।

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