सुप्रीम कोर्ट कमेटी से अलग हुए भूपिंद्र सिंह मान, सरकार के लिए बड़ा झटका

किसान आंदोलन को खत्म करने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई कमेटी से भूपिंद्र सिंह मान अलग हो गए हैं

सुप्रीम कोर्ट कमेटी से अलग हुए भूपिंद्र सिंह मान, सरकार के लिए बड़ा झटका

सुप्रीम कोर्ट द्वारा कृषि कानूनों पर चल रहे विवाद को सुलझाने के लिए मंगलवार को बनाई गई कमेटी से भूपिंद्र सिंह मान अलग हो गए हैं। भूपिंद्र सिंह मान पंजाब में भारतीय किसान यूनियन के एक धड़े के अध्यक्ष हैं। वह इन कानूनों के आने के बाद कृषि मंत्री को इनके पक्ष में अपना समर्थन दे चुके हैं। सुप्रीम  कोर्ट ने 4 सदस्य कमेटी का गठन नए कृषि कानूनों को लेकर किसानों द्वारा चलाए गए आंदोलन को  सुलझाने के लिए किया था। कमेटी में भूपिंद्र सिंह मान के अलावा कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी, डॉ. प्रमोद कुमार जोशी और महाराष्ट्र के किसान संगठन शेतकारी संघटना के नेता अनिल घनावत शामिल हैं। कमेटी के गठन के दो दिन में ही भूपिंद्र मान का इससे अलग होना सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई कमेटी के लिए एक बड़ा झटका है। हालांकि इसके गठन के समय ही किसान संगठनों के संयुक्त किसान मोर्चा ने इसके सदस्यों के कृषि कानूनों को लेकर पक्षधर होने की बात कहकर सवाल खड़े कर दिये थे। वहीं सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई कमेटी के सामने जाने इनकार कर दिया था।

गुरुवार दोपहर को एक प्रेस स्टेटमेंट जारी करते हुए भूपिंद्र सिंह मान ने कहा है कि मैं सुप्रीम कोर्ट को उस चार सदस्यीय कमेटी में रखने के लिए धन्यवाद देता हूं जिसे केंद्र सरकार द्वारा लाये गये तीन कानूनों पर किसान संगठनों के साथ बातचीत करने का जिम्मा दिया गया है। जिस तरह की परिस्थिति बन रही है और किसान यूनियनों और आम जनता के बीच जो संदेह पैदा हो गया उसके चलते मैं किसी भी पद की कुर्बानी करने के लिए तैयार हूं। मैं खुद एक किसान और किसान नेता होने के चलते देश के किसानों और पंजाब के हितों के साथ कोई समझौता नहीं कर सकता हूं। इसलिए मैं खुद को कमेटी से अलग कर रहा हूं और हमेशा अपने किसानों और पंजाब के साथ खड़ा रहूंगा। 

असल में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा तीन कृषि कानूनों के अमल पर अगले आदेश तक रोक लगाने के साथ ही एक चार सदस्यीय समिति गठित की थी। इसे किसान संगठनों के साथ बात इस मुद्दे को सुलझाने के लिए एक रिपोर्ट देने के लिए कहा था। समिति के गठन के साथ ही इसमें शामिल किये गये चारों सदस्यों की पृष्ठभूमि और कृषि कानूनों पर उनके रुख को लेकर सवाल उठाते हुए किसान संगठनों ने कहा था कि इसमें शामिल चारों सदस्य कृषि कानूनों के पक्षधर हैं और इनकी राय जगजाहिर है। हालांकि किसान संगठनों ने समिति के सामने जाने से इनकार कर दिया था। लेकिन दो दिन के भीतर ही मान का कमेटी से बाहर होना किसानों के रुख को मजबूत कर गया है। 

मान के कमेटी से अलग होने पर भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा है कि भूपिंद्र सिंह मान का कमेटी से इस्तीफा किसान आंदोलन की वैचारिक जीत है। मान ने कहा कि जनभावनाओं और किसान हितों को ध्यान रखते हुए वह समिति से अलग हो रहे हैं इससे साफ होता है कि उनके अंदर का किसान जाग गया है। हम उन्हें आमंत्रित करते हैं कि वह किसानों के इस आंदोलन में शामिल हों।

इसके साथ ही शुक्रवार 15 जनवरी को किसान संगठनों के प्रतिनिधियों और सरकार के बीच होने वाली प्रस्तावित बैठक को लेकर भी स्थिति बहुत साफ नहीं हो रही है। तीन कानूनों के अमल पर सर्वोच्च न्यायालय रोक लगा चुका है। ऐसे में अब सरकार का क्या रुख होगा यह काफी अहम होगा। हालांकि किसान संगठनों का कहना है कि वह सरकार द्वारा बुलाई बैठक में शामिल होने के लिए जाएंगे। हमारी मांग इन तीन कानूनों की वापसी और न्यूनतम समर्थन मूूल्य (एमएसपी) को कानूनी गारंटी को देने की है। जब तक हमारी मांग नहीं मानी जाती है हमारा दिल्ली के बार्डरों पर 50 दिन से चल रहा हमारा धरना और आंदोलन जारी रहेगा। 

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