किसानों के लिए बढ़े दूध के दाम लेकिन उपभोक्ताओं पर असर नहीं

किसानों को मिलने वाले दूध के दाम में अच्छी खासी बढ़ोतरी हो गई है। यह बढ़ोतरी दो से चार रुपये प्रति लीटर तक की है और लगभग पूरे देश के किसानें को इसका फायदा मिल रहा है। लेकिन उपभोक्ताओं लिए दूध की कीमत में तुरंत कोई बढ़ोतरी नहीं होने जा रही है। किसानों को मिलने वाली दूध की कीमत में सहकारी क्षेत्र और दूसरे खरीदारों ने दो से चार रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी कर दी है।

किसानों के लिए बढ़े  दूध के दाम लेकिन उपभोक्ताओं पर असर नहीं

अगले कुछ दिनों में ही दूध का लीन सीजन (उत्पादन में कमी की अवधि) शुरू होने वाला है लेकिन उससे पहले ही किसानों को मिलने वाले दूध के दाम में अच्छी खासी बढ़ोतरी हो गई है। यह बढ़ोतरी दो से चार रुपये प्रति लीटर तक की है और लगभग पूरे देश के किसानें को इसका फायदा मिल रहा है। लेकिन उपभोक्ताओं  लिए दूध की कीमत में तुरंत कोई बढ़ोतरी नहीं होने जा रही है। किसानों को मिलने वाली दूध की कीमत में सहकारी क्षेत्र और दूसरे खरीदारों ने दो से चार रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी कर दी है। दूध की आपूर्ति घटने की स्थिति में यह कीमत आने वाले दिनों में और बढ़ सकती है क्योंकि वैश्विक बाजार में भी दूध उत्पादों की कीमतें बढ़ रही है।  

गुजरात कोआपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन (जीसीएमएमएफ), अमूल के मैनेजिंग डायरेक्टर आर. एस. सोढ़ी ने रुरल वॉयस को बताया कि किसानों के लिए दूध की कीमतों में बढ़ोतरी होने के बावजूद उपभोक्ताओं के लिए दूध की कीमत में बढ़ोतरी नहीं होगी क्योंकि दूध के अन्य उत्पादों की बिक्री सामान्य होती जा रही है। उनका कहना है कि दूध के अलावा दूध के ज्यादातर उत्पादों की मांग बढ़ रही है और वह लगभग सामान्य हो रही है। उन उत्पादों में बटर, आइसक्रीम और बेवरेजेज शामिल हैं। पिछले साल इन दिनों कोरोना महामारी के चलते इन उत्पादों की मांग लगभग समाप्त हो गई थी। लेकिन अब इनकी मांग लगभग पटरी पर आ गई है।

असल में दूध से तैयार होने वाले इन मूल्यवर्धित उत्पादों से दूध सहकारी समितियों और कंपनियों को बेहतर कमाई का मौका मिलता है। इसके साथ ही पिछले साल कोरोना महामारी के चलते लॉकडाउन और दूसरी पाबंदियों के चलते होटल, रेस्टोरेंट और आम उपभोक्ता के स्तर पर भारी कमी के चलके जब इन उत्पादों की मांग लगभग समाप्त हो गई थी। इसके साथ ही सहकारी समितियों द्वारा दूध की खरीद जारी रखने के चलते बड़ी मात्रा में दूध से स्किम्ड मिल्क पाउडर बनाना पड़ा था।

सोढ़ी बताते हैं कि अमूल ने किसानों से दूध की खरीद कीमत में दो से तीन रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी की है। इस समय अमूल किसानों को 710 प्रति किलो फैट का दाम दे रहा है। छह फीसदी फैट पर किसानों को 41 से 42 रुपये प्रति लीटर की कीमत मिल रही है। गाय के दूध का दाम 30 से 31 रुपये प्रति लीटर मिल रहा है। इसके अलावा साल के अंत में मिलने वाले बोनस से 8 से 10 फीसदी की अतिरिक्त कीमत किसानों को मिल जाती है। वह कहते हैं इससे किसानों को साल के अंत में एकमुश्त अच्छी खासी राशि मिल जाती है।

पिछले साल कोरोना के चलते दूध की कीमतों में भारी गिरावट दर्ज की गई थी। अप्रैल में उत्तर प्रदेश की डेयरी सहकारी समितियों ने 6.5 फीसदी फैट वाले दूध की कीमत को घटाकर 31 रुपये प्रति लीटर कर दिया था। मथुरा दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ लि. मथुरा ने 20 फरवरी से दूध की कीमत को बढ़ाकर 44 रुपये प्रति लीटर कर दिया है। महाराष्ट्र में 3.5 फीसदी फैट वाले गाय के दूध की कीमत 26 रुपये प्रति लीटर हो गयी है जबकि पिछले साल वहां की डेयरी कंपनियां और सहकारी समितियां इस दूध की कीमत 18 रुपये से 21 रुपये प्रति लीटर ही दे रही थी।

हालांकि इस साल दूध का उत्पादन घट गया है। इस बारे में सवाल करने पर सोढ़ी कहते हैं कि अमूल के पास पिछले साल के मुकाबले करीब 7 से 8 फीसदी दूध ज्यादा आ रहा है। इसकी एक बड़ी वजह असंगठित क्षेत्र के दूध का संगठित क्षेत्र में आना है। किसान संगठित क्षेत्र को ज्यादा दूध दे रहे हैं। वह कहते हैं कि जहां तक दाम बढ़ने की बात है तो वह किसानों के लिए अच्छा है। वहीं दूध की रिटेल कीमत में किसी तरह की बढ़ोतरी से वह इनकार करते हैं। इस समय अमूल के फुल क्रीम का दाम 56 रुपये है। जबकि टोंड दूध का दाम दिल्ली में 46 रुपये प्रति लीटर है।

वैसे  गर्मियों में जब गाय और भैंस दूध देना कम कर देती हैं तो दूध की कीमतें बढ़ने लगती है लेकिन पिछले साल ऐसा नहीं हो सका था बल्कि किसानों को कीमतों में भारी गिरावट का सामना करना पड़ा था। लेकिन इस साल गरमी का सीजन शुरू होने के पहले ही दूध सहकारी समितियों और कंपनियों को कीमत में बढ़ोतरी करनी पड़ी है। इसकी वजह सीजन के पहले ही दूध का उत्पादन घटना रहा है। एक तरह से कहा जाए तो इस साल फ्लश सीजन ( अधिक दूध उत्पादन की अवधि) पूरी तरह से आया ही नहीं और इसीलिए लीन सीजन के पहले ही दूध के दाम बढ़ने लगे हैं।

असल में बेहतर दाम नहीं मिलने के चलते दुधारू पशुओं पर किसानों का निवेश घट गया था। काफी किसानों ने दूध देने वाले पशुओं की संख्या में भी कमी कर दी थी। जिसके चलते दूध उत्पादन पर प्रतिकूल असर पड़ा है। वहीं स्थिति सामान्य होने के चलते दूध और उसके उत्पादों की मांग सामान्य हो रही है। इन दो कारणों के चलते किसानों को मिलने वाली दूध की कीमतों में इजाफा हुआ है। पिछले कुछ माह से देश भर की डेयरियां किसानों के कीमतों में इजाफा कर रही हैं। उत्तर प्रदेश की प्रादेशिक कोआपरेटिव डेयरी फेडरेशन ने 6.5 फीसदी फैट और 9 फीसदी एसएनएफ वाले भैंस के दूध की कीमत को 40 रुपये से बढ़ाकर 44 रुपये प्रति लीटर कर दिया है।

कीमतों में बढ़ोतरी की एक बड़ी वजह अंतरराष्ट्रीय बाजार में दूध उत्पादों और खासतौर से स्किम्ड मिल्क पाउडर (एसएमपी) की कीमतों में बढ़ोतरी होना है। पिछले सप्ताह  अंतरराष्ट्रीय बाजार में एसएमपी की कीमत 3200 डॉलर प्रति टन पर पहुंच गई जो अगस्त 2014 के बाद से सबसे ऊंचा स्तर है।

Subscribe here to get interesting stuff and updates!