सरकार द्वारा एमएसपी व अन्य मुद्दों पर बनाई गई कमेटी में एसकेएम का कोई भी प्रतिनिधि शामिल नहीं होगा

एसकेएम ने भारत सरकार द्वारा एमएसपी व अन्य कई मुद्दों पर बनाई गई कमेटी में कोई भी प्रतिनिधि नामांकित नहीं करने का फैसला लिया है। एसकेएम ने कहा है कि संसद अधिवेशन से पहले इस समिति की घोषणा कर सरकार ने कागजी कार्यवाही पूरी करने की चेष्टा की है। लेकिन नोटिफिकेशन से इस कमेटी के पीछे सरकार की नीयत और कमेटी की अप्रासंगिकता स्पष्ट हो जाती है

सरकार द्वारा एमएसपी व अन्य  मुद्दों पर बनाई गई कमेटी  में  एसकेएम  का कोई भी प्रतिनिधि  शामिल नहीं होगा
एसकेएम की एक बैठक की फाइल फोटो

संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने भारत सरकार द्वारा एमएसपी व अन्य कई मुद्दों पर बनाई गई कमेटी में कोई भी प्रतिनिधि नामांकित नहीं करने का फैसला लिया है। प्रधान मंत्री द्वारा 19 नवंबर को तीन कृषि कानून रद्द करने की घोषणा के साथ जब इस समिति के गठन की घोषणा की गई थी, तभी से मोर्चा ने ऐसी किसी कमेटी के बारे में अपने संदेह सार्वजनिक किए थे।  एसकेएम ने कहा है संसद अधिवेशन से पहले इस समिति की घोषणा कर सरकार ने कागजी कार्यवाही पूरी करने की चेष्टा की है। लेकिन नोटिफिकेशन से इस कमेटी के पीछे सरकार की नीयत और कमेटी की अप्रासंगिकता स्पष्ट हो जाती है। एसकेएम के सदस्य और जय किसान आंदोलन के नेता योगेंद्र यादव ने रूरल वॉयस के साथ एक बातचीत में इस बात की पुष्टि की कि एसकेएम का कोई सदस्य समिति में शामिल नहीं होगा। एसकेएम के इस फैसले की जानकारी से संबंधित बयान उन्होंने ट्वीटर पर जारी किया।

सरकार द्वारा सोमवार को समिति गठित करने संबंधी जारी गजट में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की 12 जुलाई,2022 की अधिसूचना को प्रकाशित किया गया है। पूर्व कृषि सचिव संजय अग्रवाल इस समिति के अध्यक्ष बनाये गये हैं इसके साथ ही  समिति में नीति आयोग के सदस्य (कृषि) प्रोफेसर रमेश चंद, कृषि अर्थशास्त्री सीएससी शेखर, आईआईएम अहमदाबाद के सुखपाल सिंह और कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी) के वरिष्ठ सदस्य नवीन पी सिंह शामिल किए गए हैं। अधिसूचना के मुताबिक संयुक्त किसान मोर्चा के 3 सदस्य समिति में होंगे जिनके नाम मोर्चा उपलब्ध कराएगा। 

एसकेएम ने अपने बयान में कहा है कि हमें मार्च के महीने में जब सरकार ने मोर्चे से इस समिति के लिए नाम मांगे थे तब भी मोर्चा ने सरकार से कमेटी के बारे में स्पष्टीकरण मांगा था, जिसका जवाब कभी नहीं मिला। 3 जुलाई को एसकेएम की राष्ट्रीय बैठक ने सर्वसम्मति से फैसला किया था कि जब तक सरकार इस समिति के अधिकार क्षेत्र और टर्म्स ऑफ रेफरेंस स्पष्ट नहीं करती तब तक इस कमेटी में एसकेएम के प्रतिनिधि का नामांकन करने का औचित्य नहीं है । सरकार द्वारा जारी नोटिफिकेशन से इस कमेटी के बारे में संयुक्त किसान मोर्चा के सभी संदेह सच निकले हैं। जाहिर है ऐसी किसान विरोधी और अर्थहीन कमेटी में संयुक्त किसान मोर्चा के प्रतिनिधि भेजने का कोई औचित्य नहीं है।

एसकेएम ने  कहा है कि सरकार ने मोर्चा से इस समिति के लिए नाम मांगे थे तब उसके जवाब में 24 मार्च 2022 को कृषि सचिव को भेजी ईमेल में मोर्चा ने सरकार से था पूछा  कि  इस कमेटी के टर्म्स आफ रेफरेंस क्या रहेंगे? , इस कमेटी में संयुक्त किसान मोर्चा के अलावा किन और संगठनों, व्यक्तियों और पदाधिकारियों को शामिल किया जाएगा? , कमेटी के अध्यक्ष कौन होंगे और इसकी कार्यप्रणाली क्या होगी? , कमेटी को अपनी रिपोर्ट देने के लिए कितना समय मिलेगा? ,  क्या कमेटी की सिफारिश सरकार पर बाध्यकारी होगी?

सरकार ने इन सवालों का कोई जवाब नहीं दिया। लेकिन कृषि मंत्री लगातार बयानबाजी करते रहे कि संयुक्त किसान मोर्चा के प्रतिनिधियों के नाम न मिलने की वजह से कमेटी का गठन रुका हुआ है।

एसकेएम का कहना है कि कमेटी के अध्यक्ष पूर्व कृषि सचिव संजय अग्रवाल हैं जिन्होंने तीनों किसान विरोधी कानून बनाए। जो इन तीनों कानूनों के मुख्य पैरोकार रहे। विशेषज्ञ के नाते वे अर्थशास्त्री हैं जो एमएसपी को कानूनी दर्जा देने के विरुद्ध रहे हैं।

कमेटी में संयुक्त किसान मोर्चा के तीन प्रतिनिधियों के लिए जगह छोड़ी गई है। लेकिन बाकी स्थानों में किसान नेताओं के नाम पर सरकार ने ऐसे लोगों को सदस्य बनाया है जो तीनों किसान विरोधी कानूनों की वकालत करते रहे थे। 

Subscribe here to get interesting stuff and updates!