प्याज के दाम काबू में रखने को बफर से जारी होंगे स्टॉक, 3 लाख टन प्याज का है बफर स्टॉक

प्याज के दाम भी टमाटर की राह पकड़ने की आशंका को देखते हुए केंद्र सरकार ने पहले से ही तैयारी शुरू कर दी है ताकि कीमतों को नियंत्रित रखा जा सके। केंद्रीय उपभोक्ता मामले विभाग ने इस वर्ष बफर के लिए खरीदे गए 3 लाख टन प्याज से स्टॉक खुले बाजार में जारी करने का निर्णय लिया है। विभाग के सचिव रोहित कुमार सिंह ने बताया कि 10 अगस्‍त को नेफेड और एनसीसीएफ के प्रबंध निदेशकों के साथ हुई बैठक में स्टॉक के निपटान के तौर-तरीकों को अंतिम रूप दिया गया। 

प्याज के दाम काबू में रखने को बफर से जारी होंगे स्टॉक, 3 लाख टन प्याज का है बफर स्टॉक
कीमतें नियंत्रित रखने को सरकार ने उठाया कदम।

प्याज के दाम भी टमाटर की राह पकड़ने की आशंका को देखते हुए केंद्र सरकार ने पहले से ही तैयारी शुरू कर दी है ताकि कीमतों को नियंत्रित रखा जा सके। केंद्रीय उपभोक्ता मामले विभाग ने इस वर्ष बफर के लिए खरीदे गए 3 लाख टन प्याज से स्टॉक खुले बाजार में जारी करने का निर्णय लिया है। विभाग के सचिव रोहित कुमार सिंह ने बताया कि 10 अगस्‍त को नेफेड और एनसीसीएफ के प्रबंध निदेशकों के साथ हुई बैठक में स्टॉक के निपटान के तौर-तरीकों को अंतिम रूप दिया गया। 

रोहित कुमार सिंह के मुताबिक, उन राज्यों या क्षेत्रों के प्रमुख बाजारों को लक्षित करके प्याज के स्टॉक को जारी करने का निर्णय लिया गया है जहां खुदरा कीमतें अखिल भारतीय औसत से ऊपर चल रही हैं और जहां पिछले महीने और वर्ष की तुलना में कीमतों में वृद्धि की दर सीमा स्तर से ऊपर है। ई-नीलामी के माध्यम से निपटान और ई-कॉमर्स प्लेटफार्मों पर खुदरा बिक्री का भी पता लगाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि उपभोक्ताओं को सस्ती कीमतों पर प्याज उपलब्ध कराने के उद्देश्य से निपटान की मात्रा और गति को कीमतों और उपलब्धता स्थितियों के साथ भी समायोजित किया जाएगा।

दरअसल, इस साल सितंबर की बजाय अगस्त के अंत तक खुले बाजार में रबी की प्याज के स्टॉक में गिरावट आने की संभावना है। इसकी वजह यह है कि प्याज उत्पादन क्षेत्रों में इस साल मार्च में बेमौसम बारिश की वजह से फसल की गुणवत्ता प्रभावित हुई। इससे रबी के प्याज की जीवन अवधि 6 महीने से घटकर 4-5 महीने रह गई। इसके अलावा, फरवरी महीने में ज्यादा तापमान के कारण प्रमुख उत्पादक राज्यों महाराष्ट्र (कुल उत्पादन का 49 फीसदी), मध्य प्रदेश (22 फीसदी) और राजस्थान (6 फीसदी) में रबी की प्याज जल्दी पक गई जिसकी वजह से इसकी कटाई जल्दी हो गई।

रबी की प्याज आम तौर पर मार्च में बाजार में आती है। जल्दी कटाई की वजह से फरवरी में ही यह बाजार में उपलब्ध हो गई। रबी का स्टॉक आमतौर पर सितंबर के अंत तक की मांग को पूरा करने के लिए रखा जाता है। इसके बाद की मांग को खरीफ की फसल द्वारा पूरा किया जाता है। मगर इस साल गुणवत्ता प्रभावित होने और फसल की कटाई पहले हो जाने की वजह से प्याज की कम उपलब्धता का समय 15-20 दिन बढ़ गया है जिससे आपूर्ति में कमी और कीमतें बढ़ने की संभावना है। इसे देखते हुए ही सरकार ने यह बफर स्टॉक से आपूर्ति सामान्य रखने का फैसला किया है। कुल प्याज उत्पादन में रबी सीजन के प्याज की हिस्सेदारी 70 फीसदी है।

सामान्य तौर पर सितंबर-अक्टूबर में आपूर्ति घटने की वजह से प्याज के दाम में वृद्धि देखने को मिलती है। त्योहारी सीजन में कीमतों को नियंत्रित रखने के मकसद से सरकार ने पिछले 4 साल में प्याज के बफर स्टॉक को बढ़ाकर तीन गुना किया है। 2020-21 में जहां 1 लाख टन प्याज का बफर स्टॉक रखा जाता है, वहीं 2023-24 में यह बढ़कर 3 लाख टन हो गया है। प्याज बफर ने उपभोक्ताओं को सस्ती कीमतों पर प्याज की उपलब्धता सुनिश्चित करने और कीमतें स्थिर रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

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