सोयाबीन के दाम पिछले साल के मुकाबले कम रहने से किसान निराश, सस्ता खाद्य तेल आयात मुख्य वजह

सोयाबीन की कटाई के बाद किसान अपनी उपज को बाजार में बेचने के लिए बाजार पहुंच रहे हैं लेकिन किसानों का कहना है कि इस साल उन्हें पिछले साल के मुकाबले कम दाम मिल रहे हैं। अधिकतर किसानों का कहना है  कि पिछले साल सोयाबीन का भाव सात हजार से आठ हजार रुपये प्रति क्विंटल था लेकिन  इस साल बाजार में 4000 से 4500 रुपये प्रति क्विंटल ही  दाम मिल रहा है। सोयाबीन की कीमतों में कमी के लिए खाद्य तेलों पर आयात पर शुल्क में कमी और अंतरराष्ट्रीय बाजार में खाद्य तेलों की कीमतों में आई कमी को माना जा रहा है

सोयाबीन के दाम पिछले साल के मुकाबले कम रहने से किसान निराश, सस्ता खाद्य तेल आयात मुख्य वजह

इस समय देश में सोयाबीन की कटाई के बाद किसान अपनी उपज को बाजार में बेचने के लिए बाजार पहुंच रहे हैं लेकिन किसानों का कहना है कि इस साल उन्हें पिछले साल के मुकाबले कम दाम मिल रहे हैं। अधिकतर किसानों का कहना है  कि पिछले साल सोयाबीन का भाव सात हजार से आठ हजार रुपये प्रति क्विंटल था. लेकिन  इस साल बाजार में 4000 से 4500 रुपये प्रति क्विंटल ही  दाम मिल रहा है। व्यापारी से लेकर किसानों तक का मानना हैं कि  पिछले साल की तुलना में इस बार सोयाबीन का भाव कम रहने की संभावना है। सोयाबीन की खेती करने वाले किसानों ने रूरल वॉायस से बातचीत के दौरान कहा कि बाजार में अगेती फसलों की सोयाबीन की उपज कम मात्रा में आ रही है। इसके बावजूद सोयाबीन के भाव में तेजी नहीं आ रही है। किसानों का कहना है कि सोयाबीन की उपज में के 15 से 20 दिन बाद उपज बड़ी मात्रा में पहुंच जाएगी ऐसे में सोयाबीन के भाव में और गिरावट आ सकती है।

चालू खरीफ मार्केटिंग सीजन (2022-23) के लिए सरकार ने इस साल सोयाबीन का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी)  4300 रुपये प्रति क्विटंल तय किया है जो पिछले साल से 350 रुपये अधिक है, पिछले साल सोयाबीन का एमएसपी 3950 रुपये प्रति क्विटंल था। सोयाबीन की कीमतों में कमी की वजह आयात पर शुल्क में कमी और अंतरराष्ट्रीय बाजार में खाद्य तेलों की कीमतों में आई कमी को माना जा रहा है। किसानों का कहना है कि कीमतों में गिरावट को रोकने के लिए सोयाबीन के तेल समेत दूसरे खाद्य तेलों पर आयात शुल्क में बढ़ोतरी की जाए ताकि किसानों को सस्ते आयातित तेल से सुरक्षा मिल सके। वहीं पिछले दिनों सरकार ने खाद्य तेलोें पर आयात शुल्क की रियायती दरों को 31 मार्च, 2023 तक बढ़ा दिया है ताकि घरेलू बाजार में खाद्य तेलों की कीमतों को कम रखा जा सके।

मध्य भारत कंसोर्टियम ऑफ एफपीओ के सीईओ, योगेश द्विवेदी  ने रूरल वॉयस को बताया कि किसान सोयाबीन की उपज लेकर बाजार पहुंच रहे हैं लेकिन इस साल किसानों को 4000 हजार से 4500 रुपये प्रति क्विंटल के भाव मिल रहे हैं जबकि पिछले साल किसानों को  इस समय सात से आठ हजार रुपये प्रति क्विंटल का भाव मिला था जिससे किसानों को अच्छा मुनाफा हुआ था।  इस साल किसानों को पिछले साल की तुलना में कम कीमत पर सोयाबीन बेचने से संतोष करना पड़ रहा है।

योगेश द्विवेदी ने कहा कि सरकार ने खाद्य तेल पर आयात शुल्क कम किया है जिससे विदेशों से बड़ी मात्रा में खाद्य तेल के आयात से किसानों को काफी नुकसान हो रहा है। किसानों के हित में सरकार को खाद्य तेलों पर आयात शुल्क बढ़ाना चाहिए ताकि किसानों को बेहतर दाम मिल सके।

महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले के जयसिंहपुर के किसान सोमेश्वर गोलगिरे ने रूरल वॉयस से बात करते हुए बताया कि इस समय सोयाबीन का भाव बाजार में 4200 से 4500 रुपये प्रति क्विंटल है जबकि किसानों ने पिछले साल मिले बेहतर दाम को देखते हुए अधिक क्षेत्रों में सोयाबीन की खेती की थी लेकिन कीमत कम होने से किसान काफी निराश है। .

मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिले के गुलाई गांव के किसान सुभाष पाटिल ने 35 एकड़ में सोयाबीन की बुवाई की है उनकी अगेती  सोयाबीन की फसल कट गई है। इसके लिए उन्हें प्रति एकड़ औसतन आठ से 10 क्विंटल सोयाबीन की उपज मिली है। उन्होंने कहा कि इस साल बाजार में सोयाबीन के भाव अलग-अलग बाजारों में 3500 से 4500 रुपये तक चल रहे हैं। पिछले साल की तुलना में सोयाबीन की कीमत बहुत कम है। पाटिल ने कहा कि इस साल बेहतर कीमतों की उम्मीद में बुरहानपुर में करीब 25 हजार हेक्टेयर में किसानों ने सोयाबीन की बुआई की है।

जिला रायसेन के नरात्रा के किसान कालूराम विश्वकर्मा ने रूरल वॉयस को बताया कि उन्होंने दस एकड़ में सोयाबीन लगाया है जो अब काटने को तैयार है। उन्होंने कहा कि उनके क्षेत्र के बाजार में सोयाबीन की कीमत 4000 से 5500 रुपये प्रति क्विंटल है जबकि पिछले साल उन्हें 8000 हजार रुपये प्रति क्विंटल तक के दाम मिले थे। कालूराम विश्वकर्मा ने कहा कि अगर सरकार तेल का आयात करती है तो सोयाबीन की कीमतों में और गिरावट आएगी। इसलिए अब सरकार को सोयाबीन तेल का आयात नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि सोयाबीन का निर्यात भी खोला जाए ताकि किसानों को बेहतर दाम मिल सके।

रायसेन कृषि विज्ञान केंद्र के कृषि वैज्ञानिक डॉ. प्रतीक कुमार दुबे ने कहा कि मध्य प्रदेश में सोयाबीन की अगेती फसल कटाई के लिए तैयार है और कुछ फसलों की कटाई की जा रही है। किसान 10 से 15 दिन में बड़ी मात्रा में बाजार पहुंचेंगे।

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