सहकारिता पर रूरल वॉयस की परिचर्चा आज, जानी-मानी हस्तियां करेंगी शिरकत

रूरल वॉयस और सहकार भारती की तरफ से आयोजित यह परिचर्चा सहकारिता को आगे ले जाने की दिशा में पहला कदम है। रूरल वॉयस आगे भी सहारी जगत के घटनाक्रम, नीतिगत बदलावों और जमीनी हकीकत की कवरेज और विश्लेषण को प्रमुखता से लोगों को बीच रखेगा

सहकारिता पर रूरल वॉयस की परिचर्चा आज, जानी-मानी हस्तियां करेंगी शिरकत

कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर फोकस करने वाले मीडिया संस्थान रूरल वॉयस और सहकार भारती ने बुधवार, 15 जून को सहकारिता पर एक परिचर्चा का आयोजन किया है। इसका उद्देश्य उन संभावनाओं को तलाशना है जिनसे सहकारिता को एक जन आंदोलन में बदला जा सके। इस परिचर्चा में सहकारिता क्षेत्र की देश की जानी-मानी हस्तियां शिरकत करेंगी।

भारत में सहकारिता की औपचारिक शुरुआत तो 1904 में हुई थी, लेकिन सौ साल से ज्यादा बीत जाने के बावजूद देश की सिर्फ 20 फीसदी आबादी सहकारिता से जुड़ी है। इसलिए सहकारिता में विकास की प्रचुर संभावनाएं हैं। पिछले साल नए सहकारिता मंत्रालय के गठन से भी इस बात की पुष्टि होती है।

इस परिचर्चा का विषय है ‘सहकार से समृद्धिः मेनी पाथवेज’। परिचर्चा तीन सत्रों में होगी। पहले सत्र का विषय ‘बेहतर आय के लिए कोऑपरेटिव को मजबूत करना’ है। इस सत्र की चर्चा में पूर्व कृषि सचिव सिराज हुसैन, अमूल के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर जयेन मेहता, भारत कृषक समाज के चेयरमैन अजय वीर जाखड़ और सहकार भारती के राष्ट्रीय महासचिव डॉ. उदय जोशी हिस्सा लेंगे।

दूसरे सत्र का विषय है ‘सहकारिता में वैश्विक अनुभवः भारत कैसे फायदा उठाए’। इसमें इंटरनेशनल कोऑपरेटिव एलायंस, एशिया-पैसिफिक के प्रेसिडेंट और कृभको के चेयरमैन डॉ. चंद्रपाल सिंह, खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) के कोंडा रेड्डी चावा, इंटरनेशनल कोऑपरेटिव एलायंस, एशिया-पैसिफिक के सीईओ बालू अय्यर और भारतीय रिजर्व बैंक के डायरेक्टर सतीश मराठे शिरकत करेंगे।

तीसरे और अंतिम सत्र में सहकारिता आंदोलन को आगे बढ़ाने पर चर्चा होगी। इस सत्र का विषय है ‘कोऑपरेटिव को प्रासंगिक कैसे बनाया जाए’। इस सत्र में एनएफसीएसएफ लिमिटेड के एमडी प्रकाश नायकनवरे और सहकार भारती के प्रेसिडेंट डॉ. डीएन ठाकुर समेत कई वक्ता हिस्सा लेंगे।

रूरल वॉयस और सहकार भारती की तरफ से आयोजित यह परिचर्चा सहकारिता को आगे ले जाने की दिशा में पहला कदम है। रूरल वॉयस आगे भी सहारी जगत के घटनाक्रम, नीतिगत बदलावों और जमीनी हकीकत की कवरेज और विश्लेषण को प्रमुखता से लोगों को बीच रखेगा।

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