सफलता के लिए हमें भारतीय तरीके अपनाने की जरूरत हैः डॉ. उदय शंकर अवस्थी

इफको के मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. उदय शंकर अवस्थी ने कहा है कि हमें प्रगति करने के ऐसे प्रभावी तरीकों की तलाश करने की आवश्यकता है जिसमें संसाधन बर्बाद न हों। ग्रामीण समृद्धि को ग्लैमरस खपत से प्रेरित नहीं किया जाना चाहिए। हमें सफलता के लिए भारतीय तरीके को अपनाने की जरूरत है। डॉ. अवस्थी ने यह बातें कृषि और ग्रामीण क्षेत्र को समर्पित डिजिटल मीडिया प्लेटफार्म रूरल वॉयस की पहली वर्षगांठ पर आयोजित कार्यक्रम रूरल वॉयस एग्रीकल्चर कॉन्क्लेव एंड NEDAC अवार्ड्स 2021 के एक सत्र को संबोधित करते हुए यह बातें कहीं

सफलता के लिए  हमें भारतीय तरीके अपनाने की जरूरत हैः डॉ. उदय शंकर अवस्थी

इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर कोऑपरेटिव लिमिटेड (इफको) के मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. उदय शंकर अवस्थी ने कहा है कि हमें प्रगति करने के ऐसे प्रभावी तरीकों की तलाश करने की आवश्यकता है जिसमें संसाधन बर्बाद न हों। ग्रामीण समृद्धि को ग्लैमरस खपत से प्रेरित नहीं किया जाना चाहिए। हमें  सफलता  के लिए भारतीय तरीके को अपनाने की जरूरत है। डॉ. अवस्थी ने यह बातें कृषि और ग्रामीण क्षेत्र को समर्पित डिजिटल मीडिया प्लेटफार्म रूरल वॉयस की पहली वर्षगांठ पर आयोजित कार्यक्रम रूरल वॉयस एग्रीकल्चर कॉन्क्लेव एंड NEDAC अवार्ड्स 2021 के एक सत्र को संबोधित करते हुए यह बातें कहीं ।

डॉ. अवस्थी ने  कहा कि मैंने हमेशा से माना है कि गांवों की भाषा और खेती की भाषा के बारे में बहुत कुछ ऐसा बोला जाता है जो समझ में बहुत कम ही आता है। दुर्भाग्य से आवाज छिपा दी जाती है या दबा दी जाती है। अगर उस दबी हुई आवाज को सुना जा सकता है तो इस दिशा में प्रयास होना चाहिए।

उन्होंने कहा कि प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद पर कारोबार के हिसाब से इफको दुनिया की सबसे बड़ी सहकारी समिति है। हालांकि लोग इसके बारे में कम ही जानते हैं। इफको ग्लैमरस शहरों की बजाय गांवों में अपना ज्यादा काम करती है और यह इसके कामकाज के बारे में लोगों की कम जानकारी की वजह हो सकती है। 

सहकारिता की दुनिया में व्यापक अनुभव रखने वाले डॉ. अवस्थी उन चार सदस्यों में से एक थे जिन्होंने " एग्रीकल्चर एंड रूरल प्रास्परिटी थ्रू कोआपरेटिव एंड फार्मर्स कलेक्टिव्ज" विषय से संबंधित पैनल में हिस्सा लिया। उनके अलावा इस पैनल में नीति आयोग के सदस्य प्रोफेसर रमेश चंद, केंद्रीय सहकारिता मंत्रालय के सचिव देवेंद्र कुमार सिंह और नेशन प्रॉडक्टिव काउंसिल (एनपीसी) के डायरेक्टर जनरल व एनसीडीसी के मैनेजिंग डायरेक्टर संदीप कुमार नायक शामिल थे। डॉ. अवस्थी ने रूरल व़ॉयस  के एडिटर- इन- चीफ हरवीर सिंह को उनके रूरल व़ॉयस  सफलता के लिए बधाई देते हुए कहा कि मुझे खुशी है कि गांव की दबी हुई आवाज  इस मीडिया प्लेटफार्म से उठेगी और रूरल वॉयस इस दिशा में लगातार काम कर रहा है।

उन्होंने कहा कि इफको ने अपने संसाधनों का विकास किया है जो एक अनूठी उपलब्धि है। डॉ. अवस्थी ने कहा कि वर्ल्ड कोऑपरेटिव मॉनिटर ने इफको को नंबर 1 और अमूल को नंबर 2 का दर्जा दिया है।

उन्होंने कहा कि देश को आत्मनिर्भर  बनाने के लिए हमे सोचने के तरीके को बदलने की जरूरत है। हमारे अंदर विभिन्न मॉडलों के साथ प्रयोग करने की इच्छा होनी चाहिए। हर मॉडल सफल नहीं हो सकता लेकिन जो मायने रखता है वह है सोचने का तरीका

अवस्थी ने इफको के नैनो यूरिया के बारे में बताया किअगर नैनो टेक्नोलॉजी का उपयोग दवा और अंतरिक्ष क्षेत्र में हो सकता है तो कृषि में क्यों नहीं ? और इसलिए हमने नैनो यूरिया विकसित किया। इसने देश के 6,000 करोड़ रुपये बचाए हैं। यह इस बात का एक उदाहरण है कि कैसे सहकारी समितियों ने देश की समृद्धि में योगदान दिया है।

डॉ. अवस्थी ने कहा कि इफको ने छह साल पहले रूरल कोआपरेटिव डेलवपमेंट प्लेटफार्म शुरू किया जिसके जरिये  बिना किसी अतिरिक्त ढुलाई खर्च के किसानों को आवश्यक सामान पहुंचाता जाता है। लेकिन यह हम किसी तरह का घाटा सहकर नहीं कर रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि वैल्यूवेशन बढ़ाने की धारणा से काम नहीं करते हैं । हम देश के साथ -साथ आगे बढ़ना है।

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