उत्तराखंड में कांग्रेस ने हरीश रावत समेत कई नेताओं की सीट बदली, कांग्रेस-भाजपा दोनों के सामने बागियों को मनाने की चुनौती

हरीश रावत रामनगर की बजाय लालकुआं और रंजीत रावत सल्ट सीट से लड़ेंगे, रामनगर से पार्टी ने महेंद्र पाल सिंह को टिकट दिया है, जिन्हें पहले कालाढूंगी से प्रत्याशी बनाया गया था

उत्तराखंड में कांग्रेस ने हरीश रावत समेत कई नेताओं की सीट बदली, कांग्रेस-भाजपा दोनों के सामने बागियों को मनाने की चुनौती

कांग्रेस पार्टी ने उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के लिए अपने प्रत्याशियों की नई सूची जारी की है। पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश में पार्टी के चुनाव अभियान प्रमुख हरीश रावत अब रामनगर से नहीं बल्कि लालकुआं सीट से चुनाव लड़ेंगे। दरअसल हरीश रावत के पुराने करीबी रंजीत रावत रामनगर सीट पर दावा कर रहे थे। उन्होंने हरीश रावत को इस सीट से टिकट देने के लिए पार्टी की आलोचना भी की थी। नई सूची के मुताबिक रंजीत रावत सल्ट सीट से लड़ेंगे, जहां से 2012 में वे हार गए थे। लालकुआं में संध्या दलकोटी की जगह हरीश रावत को टिकट दिया गया है। रामनगर से पार्टी ने महेंद्र पाल सिंह को टिकट दिया है, जिन्हें पहले कालाढूंगी से प्रत्याशी बनाया गया था।

पार्टी के प्रदेश मीडिया प्रभारी राजीव माहेश्वरी ने कहा है कि लालकुआं से हरीश रावत के जीतने की संभावना बहुत अच्छी है। रामनगर से भी वे जीत जाते, लेकिन लालकुआं में संभावनाएं ज्यादा हैं। माहेश्वरी के अनुसार रंजीत रावत रामनगर सीट से लड़ना चाहते थे। उन्हें सल्ट सीट दी गई है जहां से वे पहले भी लड़ चुके हैं। पार्टी ने कुल मिलाकर 5 बदलाव किए हैं। इस तरह वह 70 सीटों वाली विधानसभा में से 69 सीटों के लिए अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर चुकी है।

इस बीच भारतीय जनता पार्टी ने भी प्रदेश में अपने प्रत्याशियों की दूसरी सूची जारी की है। पूर्व मुख्यमंत्री बीसी खंडूरी की बेटी रितु भूषण खंडूरी समेत 9 नाम इस सूची में हैं। सुश्री खंडूरी को कोटद्वार से टिकट दिया गया है। पिछले चुनाव में उन्होंने यमकेश्वर से जीत दर्ज की थी। कोटद्वार में वे कांग्रेस प्रत्याशी सुरेंद्र सिंह नेगी को टक्कर देंगी। दरअसल पार्टी ने यमकेश्वर से रेनू बिष्ट को टिकट दिया है क्योंकि पार्टी के अपने सर्वेक्षण में सुश्री खंडूरी के प्रति लोगों में नाराजगी की बात सामने आई थी। भाजपा प्रदेश में अब तक 68 सीटों के लिए प्रत्याशियों के नाम घोषित कर चुकी है।

प्रत्याशियों के ऐलान के बाद सत्तारूढ़ भाजपा और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस दोनों के सामने अब चुनौती यह है कि पार्टी का टिकट पाने की उम्मीद लगाए बैठे नेताओं को बागी बनने से कैसे रोका जाए। जिन नेताओं को टिकट नहीं मिला है उनमें अनेक निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर पर्चा भर सकते हैं। इन नेताओं का अपने इलाके में कुछ न कुछ जनाधार तो है ही, इसलिए वे पार्टी के प्रत्याशियों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। कांग्रेस में तो रामनगर से टिकट ना मिलने पर रंजीत रावत के ही नाराज होने की चर्चा है। इसके अलावा लालकुआं, डोईवाला और ऋषिकेश में भी पार्टी को अपने पुराने नेताओं के विद्रोह का सामना करना पड़ सकता है। इसी तरह, भाजपा को अल्मोड़ा में चुनौती मिल सकती है। यहां पार्टी ने रघुनंदन चौहान की जगह कैलाश शर्मा को टिकट दिया है। पार्टी चौहान को इस बात के लिए मनाने में लगी है कि वे आधिकारिक प्रत्याशी कैलाश शर्मा के पक्ष में प्रचार करें।

 

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