कैबिनेट ने सभी सरकारी योजनाओं में फोर्टिफाइड चावल के वितरण को मंजूरी दी

चावल फोर्टिफिकेशन की पूरी लागत लगभग 2,700 करोड़ रुपये प्रति वर्ष होगी। जून 2024 तक इसका पूरा खर्च केंद्र सरकार वहन करेगी। कैबिनेट की बैठक में यह फैसला किया गया

कैबिनेट ने सभी सरकारी योजनाओं में फोर्टिफाइड चावल के वितरण को मंजूरी दी

आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने 2024 तक चरणबद्ध रूप से फोर्टिफाइड चावल की आपूर्ति के लिए अपनी मंजूरी दे दी है। इस फोर्टिफाइड चावल की आपूर्ति राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत सभी राज्यों और केंद्र-शासित प्रदेशों में लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (टीपीडीएस), समेकित बाल विकास सेवा (आईसीडीएस) और मध्याह्न भोजन योजना के तहत की जाएगी।

चावल फोर्टिफिकेशन की पूरी लागत लगभग 2,700 करोड़ रुपये प्रति वर्ष होगी। जून 2024 तक इसका पूरा खर्च केंद्र सरकार वहन करेगी। शुक्रवार को कैबिनेट की बैठक में यह फैसला किया गया।

कैबिनेट फैसले की जानकारी देते हुए सरकार की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि चावल का फोर्टिफिकेशन खास कर गरीब व्यक्ति को कुपोषण से मुक्ति और महिलाओं, बच्चों, स्तनपान कराने वाली माताओं में आवश्यक पोषक तत्वों की कमी को दूर करने के लिए पोषण प्रदान करेगा। भारतीय खाद्य निगम और राज्य की एजेंसियों ने आपूर्ति एवं वितरण के लिए 88.65 लाख टन फोर्टिफाइड चावल की खरीद की है।

फोर्टिफाइड चावल में विटामिन और खनिज जैसे आवश्यक पोषक तत्व मिलाए जाते हैं। हालांकि फोर्टिफिकेशन का असर करीब 45 दिनों तक रहता है, इसलिए फोर्टिफाइड चावल ज्यादा दिनों तक रखने की सलाह नहीं दी जाती है। फोर्टिफाइड चावल कुपोषण दूर करने का अच्छा माध्यम हो सकता है।

इस पहल के लिए तीन चरण तय किए गए थे। पहले चरण में मार्च 2022 तक पूरे देश में आईसीडीएस और मध्याह्न भोजन योजना को कवर करना था। दूसरे चरण में मार्च 2023 तक सभी आकांक्षी जिलों और स्टंटिंग की समस्या से व्यापक रूप से प्रभावित 291 जिलों में लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली और अन्य कल्याण योजनाएं लागू करना है। तीसरे चरण में मार्च 2024 तक देश के शेष जिलों को कवर करने का लक्ष्य है।

इससे पहले, 2019-20 से सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत चावल के फोर्टिफिकेशन और इसके वितरण पर केंद्र की तरफ से प्रायोगिक योजना तीन साल के लिए लागू की गई थी। ग्यारह राज्यों - आंध्र प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, ओडिशा, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड और झारखंड में प्रायोगिक योजना के तहत चिन्हित जिलों (प्रति राज्य एक जिला) में फोर्टिफाइड चावल का सफलतापूर्वक वितरण किया गया।

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