खरीफ फसलों के एमएसपी की घोषणा , मक्का के लिए 20 रुपये और धान के समर्थन मूल्य में 72 रुपये की वृद्धि
आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने खरीफ फसलों के सरकारी खरीद सीजन 2021-22 के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को मंजूरी दे दी है। बुधवार 9 जून को प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई सीसीईए की बैठक में एमएसपी को मंजूरी दी गई। खरीफ की दो महत्वपूर्ण फसलों धान के समर्थन मूूल्य में केवल 72 रुपये प्रति क्विटंल और मक्का के एमएसपी में 20 रुपये प्रति क्विटंल की बढ़ोतरी की गई है
नई दिल्ली, 9 जून , 2021
बुधवार 9 जून, 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने कृषि उपज के सरकारी खरीद, सीजन 2021-22 के लिए सभी खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में बढ़ोतरी को स्वीकृति दे दी है। खरीफ की सबसे मुख्य फसल धान के एमएसपी में 72 रुपये प्रति क्विटंल की बढ़ोतरी की गई है। नये सीजन के लिए धान की सामान्य किस्म का एमएएसपी 1940 रुपये प्रति क्विटंल होगा जबकि धान की ग्रेड ए किस्म का एमएसपी 1960 रुपये प्रति क्विटंल होगा। खरीफ फसलों के एमएसपी में 20 रुपये प्रति क्विटंल से लेकर 452 रुपये प्रति क्विंटल तक की बढ़ोतरी की गई है। सबसे कम 20 रुपये प्रति क्विटंल की वृधि मक्का के एमएसपी में की गई है जबकि सबसे अधिक 452 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि तिल के एमएसपी में की गई है।
सीसीईए की बैठक के बाद एक संवाददाता सम्मेलन में एमएसपी में वृद्धि के फैसलों की जानकारी देते हुए केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बताया कि सरकार ने किसानों को उनकी उपज के लिए लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करने के उद्देश्य से सरकारी खरीद, सीजन 2021-22 के लिए खरीफ फसलों के एमएसपी में वृद्धि की है। बीते साल की तुलना में सबसे ज्यादा तिल के एमएसपी में 452 रुपये प्रति क्विंटल और उसके बाद तुअर व उड़द के एमएसपी में 300 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की गई है। मूंगफली व नाइजरसीड के मामले में, बीते साल की तुलना में क्रमशः 275 रुपये और 235 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की गई है। मूल्यों में इस अंतर का उद्देश्य फसल विविधीकरण को प्रोत्साहन देना है।
कृषि उपज की सरकारी खरीद, 2021-22 के लिए खरीफ फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य इस प्रकार है:
|
फसल |
एमएसपी 2020-21 |
एमएसपी 2021-22 |
उत्पादन लागत* 2021-22 (रू./ क्विंटल) |
एमएसपी में वृद्धि (पूर्ण) |
लागत पर रिटर्न (प्रतिशत में) |
|
धान (सामान्य) |
1868 |
1940 |
1293 |
72 |
50 |
|
धान (ग्रेड ए)^ |
1888 |
1960 |
- |
72 |
- |
|
ज्वार (हाइब्रिड) (हाइब्रिड) |
2620 |
2738 |
1825 |
118 |
50 |
|
ज्वार (मलडंडी)^ |
2640 |
2758 |
- |
118 |
- |
|
बाजरा |
2150 |
2250 |
1213 |
100 |
85 |
|
रागी |
3295 |
3377 |
2251 |
82 |
50 |
|
मक्का |
1850 |
1870 |
1246 |
20 |
50 |
|
तुअर (अरहर) |
6000 |
6300 |
3886 |
300 |
62 |
|
मूंग |
7196 |
7275 |
4850 |
79 |
50 |
|
उड़द |
6000 |
6300 |
3816 |
300 |
65 |
|
मूंगफली |
5275 |
5550 |
3699 |
275 |
50 |
|
सूरजमुखी के बीज |
5885 |
6015 |
4010 |
130 |
50 |
|
सोयाबीन (पीली) |
3880 |
3950 |
2633 |
70 |
50 |
|
तिल |
6855 |
7307 |
4871 |
452 |
50 |
|
नाइजरसीड |
6695 |
6930 |
4620 |
235 |
50 |
|
कपास (मध्यम रेशा) |
5515 |
5726 |
3817 |
211 |
50 |
|
कपास (लंबा रेशा)^ |
5825 |
6025 |
- |
200 |
- |
कृषि मंत्रालय द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया है कि उपर टेबल में दी गई उत्पादन लागत का मतलब समग्र लागत से है, जिसमें मानव श्रम, बैल श्रम, मशीन श्रम, पट्टे पर ली गई जमीन का किराया, बीज, उर्वरक, खाद जैसी उपयोग की गई सामग्रियों पर व्यय, सिंचाई शुल्क, उपकरण व कृषि भवन पर मूल्यह्रास, कार्यशील पूंजी पर ब्याज, पम्प सेट आदि चलाने के लिए डीजल/बिजली आदि पर व्यय, मिश्रित खर्च व पारिवारिक श्रम के मूल्य को शामिल किया जाता है।
विज्ञप्ति में कहा गया है कि खरीद, सीजन 2021-22 के लिए खरीफ फसलों के एमएसपी में बढ़ोतरी, आम बजट 2018-19 में उत्पादन की अखिल भारतीय भारित औसत लागत (सीओपी) से कम से कम डेढ़ गुने के स्तर पर एमएसपी के निर्धारण की घोषणा के क्रम में की गई है, जिसका उद्देश्य किसानों के लिए तार्किक रूप से उचित लाभ सुनिश्चित करना है। किसानों को उनकी उत्पादन लागत पर सबसे ज्यादा अनुमानित रिटर्न बाजरा (85 प्रतिशत) पर, उसके बाद उड़द (65 प्रतिशत) और तुअर (62 प्रतिशत) होने की संभावना है। बाकी फसलों के लिए, किसानों को उनकी लागत पर कम से कम 50 प्रतिशत रिटर्न होने का अनुमान है।
पिछले कुछ साल के दौरान तिलहनों, दालों व मोटे अनाज के पक्ष में एमएसपी में बदलाव की दिशा में हुए ठोस प्रयासों का उद्देश्य किसानों को अपने खेतों के ज्यादा हिस्से में इन फसलों को लगाने और सर्वश्रेष्ठ तकनीकों व कृषि विधियों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना है, जिससे मांग-आपूर्ति में संतुलन कायम किया जा सके। पोषण संपन्न पोषक अनाजों पर जोर ऐसे क्षेत्रों में इनके उत्पादन को प्रोत्साहन देना है, जहां भूजल पर दीर्घकालिक विपरीत प्रभावों के बिना धान-गेहूं पैदा नहीं किए जा सकते हैं।
इसके अलावा, वर्ष 2018 में सरकार द्वारा घोषित अम्ब्रेला योजना “प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान” (पीएम-आशा) से किसानों को उनकी उपज के लिए लाभकारी रिटर्न में बढ़ोतरी होगी। अम्ब्रेला योजना में प्रायोगिक आधार पर तीन उप-योजनाएं- मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस), मूल्य अंतर भुगतान योजना (पीडीपीएस) और निजी खरीद व भंडारण योजना (पीपीएसएस)- शामिल हैं।
दाल उत्पादन में आत्मनिर्भरता के उद्देश्य से आगामी खरीफ सीजन 2021 में कार्यान्वयन के लिए विशेष खरीफ रणनीति तैयार की गई है। तुअर, मूंग और उड़द के लिए रकबा और उत्पादकता दोनों बढ़ाने के लिए एक विस्तृत योजना तैयार की गई है। इस रणनीति के तहत, बीजों की सभी उपलब्ध अधिक उपज वाली किस्मों (एचवाईवी) को सहरोपण और एकल फसल के माध्यम से रकबा बढ़ाने के लिए मुफ्त वितरित किया जाएगा। इसी प्रकार, तिलहनों के लिए भारत सरकार ने खरीफ सीजन 2021 में किसानों को मिनी किट्स के रूप में बीजों की ऊंची उपज वाली किस्मों के मुफ्त वितरण की महत्वाकांक्षी योजना को मंजूरी दी है। विशेष खरीफ कार्यक्रम से तिलहन के अंतर्गत अतिरिक्त 6.37 लाख हेक्टेयर क्षेत्र आ जाएगा और इससे 120.26 लाख क्विंटल तिलहन व 24.36 लाख क्विंटल खाद्य तेल पैदा होने की संभावना है।

Join the RuralVoice whatsapp group















