गेहूं पर 1 अप्रैल से हटेगी स्टॉक लिमिट, लेकिन हर सप्ताह घोषित करना होगा स्टॉक
सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार, राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में गेहूं की स्टॉक सीमा 31 मार्च 2025 को समाप्त हो रही है। इसके बाद, व्यापारियों को पोर्टल पर गेहूं के स्टॉक का खुलासा करना होगा।
गेहूं पर लागू स्टॉक लिमिट 31 मार्च 2025 को समाप्त होने जा रही है लेकिन उसके बाद भी हर सप्ताह गेहूं के स्टॉक की स्थिति केंद्र सरकार के पोर्टल पर घोषित करनी पड़ेगी। देश में गेहूं के पर्याप्त भंडार और इस साल रिकॉर्ड उत्पादन के अनुमान के बावजूद केंद्र सरकार ने स्टॉक घोषित करने की पाबंदी को जारी रखने का फैसला किया है। सरकार के इस फैसले का असर रबी मार्केटिंग सीजन 2025-26 में निजी व्यापारियों द्वारा गेहूं की खरीद पर पड़ सकता है।
केंद्रीय उपभोक्ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय की ओर से जारी विज्ञप्ति के अनुसार, खाद्य सुरक्षा के प्रबंधन और अटकलों पर अंकुश लगाने के लिए भारत सरकार ने निर्णय लिया है कि सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में व्यापारियों/थोक विक्रेताओं, खुदरा विक्रेताओं, बड़ी श्रृंखला के खुदरा विक्रेताओं और प्रसंस्करणकर्ताओं को एक अप्रैल से अपने गेहूं स्टॉक की स्थिति प्रत्येक शुक्रवार को पोर्टल (https://evegoils.nic.in/wsp/login) पर घोषित करनी होगी। केंद्र सरकार ने सभी व्यापारियों को नियमित और सही ढंग से पोर्टल पर स्टॉक घोषित करने को कहा है।
सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार, राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में गेहूं की स्टॉक सीमा 31 मार्च 2025 को समाप्त हो रही है। इसके बाद, व्यापारियों को पोर्टल पर गेहूं के स्टॉक का खुलासा करना होगा। कोई भी संस्था जो पोर्टल पर पंजीकृत नहीं है, वह स्वयं को पंजीकृत कर सकती है और प्रत्येक शुक्रवार को गेहूं के स्टॉक का खुलासा करना शुरू कर सकती है। खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग का कहना है कि सट्टेबाजी को रोकने, कीमतों को नियंत्रित करने और देश में आसान उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए गेहूं के स्टॉक की स्थिति पर कड़ी नजर रखी जा रही है।
गौरतलब है कि वर्ष 2024-25 में कृषि मंत्रालय ने देश में रिकॉर्ड 1154.30 लाख टन गेहूं उत्पादन का अनुमान लगाया है जबकि केंद्रीय पूल में 1 अप्रैल को लगभग 120 लाख टन गेहूं होगा जो बफर नॉमर्स से अधिक है। ऐसे में स्टॉक घोषित करने की पाबंदी जारी रहने से निजी व्यापारियों द्वारा गेहूं की खरीद पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है जिससे किसानों को एमएसपी से बेहतर दाम मिलने की संभावना कमजोर होगी।

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