जीएम सरसों की जीईएसी की मंजूरी के विरोध और समर्थन का सिलसिला शुरू

जेनेटिकली मोडिफाइड (जीएम) सरसों के इनवायरमेंट रिलीज की जेनेटिक इंजीनियरिंग अप्रेजल कमेटी  (जीईएसी) द्वारा दी गई मंजूरी पर जी एम फ्री इंडिया गठबंधन ने विरोध जताते हुए कहा है कि वह इसके सख्त खिलाफ है और हर स्तर पर इसका विरोध करेगी। वहीं जीईएसी की जीएम सरसों की किस्म को इस मंजूरी की सिफारिश पर अपनी पहली प्रतिक्रिया में नेशनल एकेडमी ऑफ एग्रीकल्चरल साइंसेज (नास) ने कहा है कि वह जीईएसी द्वारा जीएम सरसों के इनवायरमेंट रिलीज की सिफारिश का स्वागत करती है। इस फैसले के चलते देश को खाद्य तेलों में आत्मनिर्भरता हासिल करने में मदद मिलेगी

जीएम सरसों की जीईएसी की मंजूरी के विरोध और समर्थन का सिलसिला शुरू

जेनेटिकली मोडिफाइड (जीएम) सरसों के इनवायरमेंट रिलीज को जेनेटिक इंजीनियरिंग अप्रेजल कमेटी (जीईएसी) द्वारा दी गई मंजूरी पर जी एम फ्री इंडिया गठबंधन ने विरोध जताते हुए कहा है कि वह इसके सख्त खिलाफ है और इस मंजूरी का हर स्तर पर विरोध करेगी। वहीं जीईएसी की जीएम सरसों की किस्म को इस मंजूरी की सिफारिश पर अपनी पहली प्रतिक्रिया में नेशनल एकेडमी ऑफ एग्रीकल्चरल साइंसेज (नास) ने कहा है कि वह जीईएसी द्वारा जीएम सरसों के इनवायरमेंट रिलीज की सिफारिश का स्वागत करती है। इस फैसले के चलते देश को खाद्य तेलों में आत्मनिर्भरता हासिल करने में मदद मिलेगी। बुधवार को देर शाम नास के अध्यक्ष डॉ. त्रिलोचन महापात्र द्वारा जारी आधिकारिक बयान में यह बात कही गई है।

नास अध्यक्ष ने कहा कि इस स्वदेशी जीएम टेक्नोलॉजी के जरिये सरसों की हाइब्रिड किस्मों को विकसित कर देश में खाद्य तेल का उत्पादन बढ़ाया जा सकेगा जिससे इनका आयात घटेगा। इस फैसले के चलते वैज्ञानिकों को नई टेक्नोलॉजी और माडर्न साइंस के जरिये फसलों की नई प्रजातियां विकसित करने में प्रोत्साहन मिलेगा। ऐसी प्रजातियां पर्यावरण के लिए फायदेमंद होने के साथ ही बेहतर पोषकता के साथ फसल उत्पादन पर जलवायु परिवर्तन से होने वाले नुकसान को भी कम कर सकेंगी।

जी एम फ्री इंडिया गठबंधन ने कहा कि, इस फैसले का पूरे भारत के नागरिकों द्वारा गंभीर विरोध किया जाएगा। गठबंधन ने आशा व्यक्त की है कि देश की सही सोच वाली राज्य सरकारें इस मामले में जनहित के पक्ष खड़ी होकर इसका विऱोध करेंगी ।

गठबंधन ने कहा सरकार का यह निर्णय अवैज्ञानिक और गैर जिम्मेदारना है। गठबंधन का कहना है कि साल 2017 से अभी तक कुछ नहीं बदला है, जब जीईएसी ने जीएम सरसों की व्यावसायिक खेती को मंजूरी दी थी। जीईएसी की हरी झंडी देने के बावजूद पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा मंजूरी नहीं दी गई थी। 

गठबंधन द्वारा जारी वक्तव्य में कहा गया है कि इस मंजूरी में सबसे गलत बात यह है कि इस किस्म को विकसित करने वाले एक्सपर्ट ने इसके प्रभावों का अध्ययन नहीं किया है। इस तरह के अध्ययनों के खिलाफ रेगुलेटरी से गुहार भी लगाई गई है। जीएम सरसों इस स्तर पर पहली बार पहुंची है जहां रेगुलेटरी संस्था, इस प्रजाति को विकसित करने वाले लोगों के साथ मिलकर कई तरह के जैव सुरक्षा मूल्यांकन को दरकिनार कर रही है।

गठबंधन ने अपने बयान में कहा है कि जीईएसी ने फसल विकासकर्ता आवेदक के अनुरोध को स्वीकार करने के बाद, अगस्त 2022 में एक तथाकथित विशेषज्ञ समिति का गठन किया। इस विशेषज्ञ समिति के अध्यक्ष इसी क्षेत्र से संबंधित एक वैज्ञानिक थे जो अपने आप में एक आपत्तिजनक हितों का टकराव है। इस समिति में अन्य जीएम फसल डेवलपर्स और समर्थकों को भी शामिल किया गया था। जीएम सरसों के बारे में कई गंभीर चिंताओं को नजरअंदाज करते हुए इस विशेषज्ञ समिति ने सिफारिश की कि जीईएसी द्वारा जीएम सरसों को मंजूरी देने की जरूरत है। यह फैसला गंभीर और आपत्तिजनक तरीकों से जैव सुरक्षा से समझौता करता है। गठबंधन ने पिछले दिनों पर्यावरण वन व जलवायु परिवर्तन मंत्री को जीईएसी द्वारा जीएम सरसों को मंजूरी देने की संभावना जताते हुए उसके विरोध में पत्र भी लिखा था। 

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