फ्री अनाज की आंधी में रियायती भी गया, हर परिवार पर पड़ेगा हर माह करीब 650 रुपये का बोझ

जो मुफ्त खाद्यान्न पीएमजीकेएवाई के तहत मिल रहा था वह अब एनएफएसए के तहत मिलेगा। लेकिन एनएसएफए के तहत जो पांच किलो गेहूं दो रुपये प्रति किलो या तीन रुपये प्रति किलो की दर से चावल दिया जाता था, उसके लिए बाजार से खरीददारी करनी होगी। जिसके चलते पांच सदस्यों के औसत परिवार पर करीब 650 रुपये प्रति माह का बोझ पड़ेगा। नेशनल सैंपल सर्वे ऑर्गनाइजेशन (एनएसएसओ) के 2011-12 के सर्वे के मुताबिक देश में ग्रामीण इलाकों में खाद्यान्न की खपत 11.22 किलो प्रति व्यक्ति प्रति माह है। वहीं शहरी क्षेत्रों में यह 9.28 किलो प्रति व्यक्ति प्रति माह है। इसके बाद कोई सर्वे नहीं हुआ है। ऐसे में इसे ही आधार माना जाए तो एनएफएसए के दायरे में आने वाले लोगों को हर माह औसतन 10 किलो खाद्यान्न की जरूरत होती है। ऐसे में पांच सदस्यों के परिवार को जनवरी, 2023 से 25 किलो खाद्यान्न बाजार से खरीदना होगा। मौजूदा कीमतों के आधार पर पांच सदस्यीय परिवार को 25 किलो खाद्यान्न खरीदने पर करीब 750 रुपये प्रति माह खर्च करने होंगे

फ्री अनाज की आंधी में रियायती भी गया, हर परिवार पर पड़ेगा हर माह करीब 650 रुपये का बोझ

केंद्र की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार ने 23 दिसंबर, 2022 को कैबिनेट में फैसला लिया कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून (एनएफएसए), 2013 के तहत देश के 81.35 करोड़ लोगों को जनवरी 2023 से पांच किलो प्रति व्यक्ति के हिसाब से मुफ्त खाद्यान्न दिया जाएगा। लेकिन इसके साथ ही कोविड के समय शुरू की गई प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) का इसी में विलय कर दिया गया। यानी जो मुफ्त खाद्यान्न पीएमजीकेएवाई के तहत मिल रहा था वह अब एनएफएसए के तहत मिलेगा। लेकिन एनएसएफए के तहत जो पांच किलो गेहूं दो रुपये प्रति किलो या तीन रुपये प्रति किलो की दर से चावल दिया जाता था, उसके लिए बाजार से खरीददारी करनी होगी। जिसके चलते पांच सदस्यों के औसत परिवार पर करीब 650 रुपये प्रति माह का बोझ पड़ेगा। नेशनल सैंपल सर्वे ऑर्गनाइजेशन (एनएसएसओ) के 2011-12 के सर्वे के मुताबिक देश में ग्रामीण इलाकों में खाद्यान्न की खपत 11.22 किलो प्रति व्यक्ति प्रति माह है। वहीं शहरी क्षेत्रों में यह 9.28 किलो प्रति व्यक्ति प्रति माह है। इसके बाद कोई सर्वे नहीं हुआ है। ऐसे में इसे ही आधार माना जाए तो एनएफएसए के दायरे में आने वाले लोगों को हर माह औसतन 10 किलो खाद्यान्न की जरूरत होती है। ऐसे में पांच सदस्यों के परिवार को जनवरी, 2023 से 25 किलो खाद्यान्न बाजार से खरीदना होगा। मौजूदा कीमतों के आधार पर पांच सदस्यीय परिवार को 25 किलो खाद्यान्न खरीदने पर करीब 750 रुपये प्रति माह खर्च करने होंगे। वहीं इस परिवार को एनएफएसए के तहत प्रति व्यक्ति मिलने वाले पांच किलो गेहूं या पांच किलो चावल की बात करें तो पांच सदस्यीय परिवार को गेहूं के लिए 50 रुपये या चावल के लिए 75 रुपये चुकाने होते हैं। बाकी का पांच किलो अनाज प्रति व्यक्ति पीएमजीकेएवाई के तहत मुफ्त मिल रहा है।

सरकार पीएमजीकेएवाई को लगातार विस्तार देते हुए पांच किलो खाद्यान्न प्रति व्यक्ति मुफ्त दे रही थी। राजनीतिक कारणों से इसे बंद करना जोखिम का काम है। इसलिए पूरा जोर यह बताने पर है कि 81.35 करोड़ लोगों को मुफ्त अनाज मिलेगा। एनएफएसए 2013 के तहत 75 फीसदी ग्रामीण आबादी और 50 फीसदी शहरी आबादी को सस्ता अनाज देने का प्रावधान किया गया है। इस फार्मूले के तहत 62.49 करोड़ ग्रामीण नागरिक और 18.86 करोड़ शहरी नागरिक कवर होते हैं। इनके अलावा अंत्योदय अन्न योजना के तहत 2.5 करोड़ परिवारों को प्रति माह 35 किलो अनाज मुफ्त दिया जाता है।

नए फैसले के तहत 81.35 करोड़ लोगों को पांच किलो प्रति माह की दर मुफ्त देने के लिए 488.10 लाख टन खाद्यान्न की सालाना जरूरत होगी। अगर 10 किलो अनाज जारी रहता तो जरूरत 966 लाख टन की होती। यानी सरकार की जरूरत आधी से कुछ ज्यादा रहेगी। सरकार द्वारा चलाई जाने वाली दूसरी योजनाओं की 100 से 150 लाख टन खाद्यान्न की जरूरत को भी शामिल कर लिया जाए तो कुल जरूरत करीब 600 से 650 लाख टन सालाना होगी।

इस तरह सरकार को मुफ्त अनाज देने के बावजूद खाद्य सब्सिडी की भारी बचत होगी। वहीं दूसरा पहलू यह भी है कि अगर पीएमजीकेएवाई योजना जारी रहती तो एनएफएसए की जरूरत समेत सरकार को करीब 10 करोड़ टन खाद्यान्न की आवश्यकता होती जो देश के कुल खाद्यान्न उत्पादन का करीब एक-तिहाई है।

एक खास बात यह है कि 1 दिसंबर, 2022 को केंद्रीय पूल में 554.60 लाख टन खाद्यान्न था जो पिछले साल की इसी अवधि से करीब एक-तिहाई कम है। हो सकता है कि केंद्रीय पूल में घटता खाद्यान्न स्टॉक भी सरकार द्वारा अनाज आवंटन की मात्रा को 10 किलो से पांच किलो प्रति व्यक्ति पर लाने का एक कारण रहा हो।

इस समय सरकार औसतन 9 से 10 करोड़ टन खाद्यान्न की खरीद करती है। इसमें 350 से 400 लाख टन गेहूं और 550 से 600 लाख टन चावल शामिल है। मार्केटिंग सीजन 2022-23 गेहूं के मामले में अपवाद है क्योंकि अधिक तापमान से प्रभावित होने के चलते गेहूं का उत्पादन गिर गया था और उसके चलते सरकारी खरीद 14 साल के निचले स्तर पर अटक गई थी। ऐसे में अब सरकार अधिक खाद्यान्न की खरीद क्यों करेगी। इस बात की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता कि आने वाले दिनों में सरकार खाद्यन्न की सरकारी खरीद की उच्चतम सीमा (कैपिंग) तय कर दे। सरकारी भंडार में अधिक खाद्यान्न होने के बावजूद सरकार इसका निर्यात नहीं कर सकती है क्योंकि पीस क्लॉज के तहत डब्ल्यूटीओ में भारत को खाद्य सुरक्षा के लिए खाद्यान्न की सरकारी खरीद और भंडारण की ही छूट है, निर्यात की नहीं।

हालांकि निजी कारोबारियों के धंधे के लिए यह अच्छी खबर है क्योंकि सरकार द्वारा रियायती अनाज का वितरण कम करने से उपभोक्ताओं को करीब 480 लाख टन खाद्यान्न की खरीददारी बाजार से करनी होगी।

सरकार की मुफ्त योजना का कितना राजनीतिक फायदा होगा, यह तो आने वाले दिनों या चुनावों में ही पता लगेगा लेकिन लोगों पर खाद्यान की जरूरत पूरा करने के लिए पड़ने वाला अतिरिक्त बोझ सरकार लिए नाराजगी भी पैदा कर सकता है।

 

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