गन्ना भुगतान बकाया वाली चीनी मिलों पर उत्तर प्रदेश सरकार की गाज

उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य की पांच चीनी मिलों पर गन्ना किसानों के बकाया को लेकर सख्त रुख अपनाते हुए उनके खिलाफ "वसूली प्रमाण पत्र" यानी "आरसी" जारी की हैं। यह वह चीनी मिलें जो बजाज हिंदुस्थान, मोदी और सिंभावली जैसे बडे़ चीनी मिल समूहों द्वारा संचालित होती हैं

गन्ना भुगतान बकाया वाली चीनी मिलों पर उत्तर प्रदेश सरकार की गाज

लखनऊ,30 जुलाई 2021

 उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य की पांच चीनी मिलों के खिलाफ गन्ना किसानों के बकाया को लेकर सख्त रुख अपनाते हुए उनके खिलाफ "वसूली प्रमाण पत्र" रिकवरी सर्टिफिकेट (आरसी)  जारी किये हैं। यह चीनी मिलें बजाज हिंदुस्थान समूह, मोदी समूह, और सिंभावली जैसे बड़े चीनी उद्योग समूहों द्वारा संचालित होती हैं।

चालू पेराई सीजन  (2020-21) में गन्ना पेराई समाप्त हो चुकी है। राज्य में ज्यादातर चीनी मिले निजी क्षेत्र की हैं। निजी क्षेत्र की चीनी मिलों की संख्या 94 है। इन पर अभी भी लगभग 7,500 करोड़ रुपये का गन्ना मूल्य  भुगतान बकाया है।

उत्तर प्रदेश  के गन्ना विकास और चीनी आयुक्त संजय भूसरेड्डी  द्वारा जारी आरसी के आदेश में कहा गया हैं कि,इन मिलों से संबन्धित जिला प्रशासन गन्ना मूल्य भुगतान को "भू-राजस्व" यानी  "लैंड रेवेन्यू" के रूप में वसूल कर सकता है।  जिसका इस्तेमाल किसानों के गन्ना मूल्य बकाया को चुकाने में किया जाएगा । जो चीनी मिल बार-बार चेतावनी देने के बाद भी किसानों का भुगतान चुकाने में असफल रहीं हैं, उन सभी पर कार्रवाई की गई है। साथ ही कहा गया है कि गन्ना मूल्य भुगतान की नियमित रूप से समीक्षा की जा रही है। जिन पांच चीनी मिलों के लिए आरसी जारी किए गए हैं  उनके भुगतान के प्रति ढीले रवैये को देखते हुए कार्यवाही की गई है। निर्देशों का पालन नहीं करने वाली अन्य मिलों  के खिलाफ भी  सख्त कार्रवाई की जाएगी।

चीनी मिलों पर गन्ना किसानों के बकाया भुगतान के मुद्दे पर रूरल वॉयस पर लगातार कवरेज होती रही है। इस विषय पर रूरल वॉयस द्वारा 27 जुलाई, 2021 को की गई खबर को आप इस लिंक को क्लिक कर पढ़ सकते हैं https://www.ruralvoice.in/states/UP-Sugar-Mills-have-about--Rupees-eight-thousand-crores-sugarcane-arrears.html

 पिछले कुछ वक़्त से किसानों मद्देनजर रखकर किसान आंदोलन, गन्ना बकाया की समस्या और खाद्यान्न की खरीद के मुद्दों को  देखते हुए यूपी सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठा रही है कि 2022 के राज्य विधानसभा चुनावों में यह उनके लिए किसानों की नाराजगी राजनीतिक रूप से घातक साबित न हो।

भूसरेड्डी ने आगे बताया हैं कि किसानों का गन्ना मूल्य भुगतान विभाग की सर्वोच्च प्राथमिकता है और भुगतान की स्थिति की प्रतिदिन  समीक्षा मुख्यालय स्तर पर और जिला स्तर पर की जा रही है। साथ ही उन्होंने कहा कि गन्ना मूल्य भुगतान जल्द से जल्द सुनिश्चित करने के लिए निर्देश जारी किए गए हैं। राज्य की 22 चीनी मिलों ने पेराई सत्र 2020-21 के लिए 100 प्रतिशत गन्ना भुगतान कर  दिया है जबकि 40 चीनी मिलों ने 80 प्रतिशत से अधिक भुगतान किया है जिनमें से 27 मिलों ने 90 प्रतिशत तक भुगतान करने का बंदोबस्त कर लिया है।

भारत के सबसे बड़े गन्ना उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश ने चालू पेराई सीजन (अक्तूबर,2020 से सितंबर,2021) में लगभग 110 लाख  टन चीनी का उत्पादन दर्ज किया है  जो देश के कुल चीनी उत्पादन के 310 लाख  टन का लगभग एक तिहाई है । जबकि 2021-22 सीज़न में, जून 2021 में इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) द्वारा किये गए सैटेलाइट सर्वे के प्रारंभिक अनुमानों के अनुसार राज्य में 23 लाख हेक्टेयर में गन्ना की फसल लगाई गई है। 

 बहरहाल यह कहा जा सकता हैं कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा चीनी मिलों के प्रति कड़ा रुख और किसानों के प्रति उसकी यह सहानुभूति 2022 विधानसभा चुनाव की तैयारी का आगाज़ हैं।

( वीरेंद्र सिंह रावत, लखनऊ में कार्यरत जर्नलिस्ट हैं। वह इकोनॉमी, बजट, एग्रीकल्चर और समसामयिक विषयों पर लिखते हैं।)

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