उत्तर प्रदेश में चीनी मिलों पर गन्ना किसानों का 6000 करोड़ रुपये से ज्यादा बकाया

उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों पर गन्ना किसानों का पेराई सत्र 2022-23 (अक्टूबर-सितंबर) का 6000 करोड़ रुपये से ज्यादा का बकाया है। उत्तर प्रदेश गन्ना विकास विभाग के ताजा आंकड़ों के मुताबिक चालू पेराई सत्र के लिए 3 जुलाई तक चीनी मिलों ने 31,822.38 करोड़ रुपये का भुगतान किया है। जबकि चीनी मिलों द्वारा पूरे सीजन मे पेराई किये गये गन्ने का कुल भुगतान करीब 38,052 करोड़ रुपये बनता है।

उत्तर प्रदेश में चीनी मिलों पर गन्ना किसानों का 6000 करोड़ रुपये से ज्यादा बकाया

उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों पर गन्ना किसानों का पेराई सत्र 2022-23 (अक्टूबर-सितंबर) का 6000 करोड़ रुपये से ज्यादा का बकाया है। उत्तर प्रदेश गन्ना विकास विभाग के ताजा आंकड़ों के मुताबिक चालू पेराई सत्र के लिए 3 जुलाई तक चीनी मिलों ने 31,822.38 करोड़ रुपये का भुगतान किया है। जबकि चीनी मिलों द्वारा पूरे सीजन मे पेराई किये गये गन्ने का कुल भुगतान करीब 38,052 करोड़ रुपये बनता है।

आंकड़ों के मुताबिक, 30 जून, 2023 तक चीनी मिलों ने चालू पेराई सत्र में 1098.82 लाख टन गन्ने की पेराई की है। उत्तर प्रदेश में गन्ने की अगेती किस्म के लिए राज्य परामर्श मूल्य (एसएपी) 350 रुपये प्रति क्विंटल है। यह पिछले पेराई सत्र (2021-22) के बराबर ही है क्योंकि चालू पेराई सीजन में इसमें कोई बढ़ोतरी नहीं की गई थी। राज्य में चीनी मिलों द्वारा खरीदी जाने वाली तीनों श्रेणियों के गन्ने की औसत खरीद लागत 346.3 रुपये प्रति क्विटंल आ रही है। चालू पेराई सीजन में गन्ने की पेराई के आधार पर पूरे सीजन का कुल भुगतान करीब 38,052 करोड़ रुपये बैठता है। इसमें से चीनी मिलों ने 3 जुलाई तक 31,822.38 करोड़ रुपये का भुगतान किया है। इस स्थिति में गन्ना किसानों का अभी भी 6,000 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान चीनी मिलों पर बकाया है। नियमतः किसानों द्वारा चीनी मिलों को गन्ना देने के बाद 14 दिन में भुगतान हो जाना चाहिए। उसके बाद भुगतान की स्थिति में इसे बकाया भुगतान माना जाता है और उस पर ब्याज देना होता है।

राज्य में सभी चीनी मिलों में मई में पेराई बंद हो गई थी। जाहिर है जो भुगतान नहीं हुआ है वह बकाया की श्रेणी में ही आता है। हालांकि अभी तक चीनी मिलें बकाया पर ब्याज नहीं दे रही हैं लेकिन यह मामला लंबे समय से न्यायालय में है। उत्तर प्रदेश इस साल महाराष्ट्र से करीब 10 हजार टन चीनी का अधिक उत्पादन कर देश का सबसे बड़ा चीनी उत्पादक राज्य बना है।

ताजा आंकड़ों के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में चालू पेराई सत्र में 104.82 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ है। पिछले पेराई सत्र 2021-22 में 101.98 लाख टन चीनी का उत्पादन राज्य में हुआ था। पिछले सत्र में 1016.26 लाख टन गन्ने की पेराई हुई थी जिसका भुगतान 35,154.56 करोड़ रुपये किया गया है। यह कुल बकाये का 99.87 फीसदी भुगतान है।

उत्तर प्रदेश सरकार के मुताबिक चालू सीजन के कुल भुगतान का 83 फीसदी गन्ना मूल्य भुगतान हो चुका है। यह जानकारी विभाग की वेबसाइट पर दी गई है लेकिन कुल भुगतान की पूरी गणना की जानकारी नहीं दी गई है। किन चीनी मिलों पर अधिक बकाया है इसकी जानकारी नहीं दी गई है। रूरल वॉयस ने चीनी मिलों को पदाधिकारियों के साथ जो बातचीत की है उसमें यह बात सामने आई है कि कुछ चीनी मिलों ने अधिकांश गन्ना मूल्य का भुगतान कर दिया है। मगर कुछ चीनी मिलें ऐसी हैं जिनका भुगतान का स्तर बहुत कम है और ये शुरुआती एक या दो माह का ही भुगतान कर सकी हैं। ऐसे में इन चीनी मिलों को गन्ना आपूर्ति करने वाले किसानों की आर्थिक स्थिति लगातार प्रभावित हो रही है। इनमें कुछ ऐसे चीनी मिल समूह हैं जिनकी चीनी मिलों की संख्या काफी अधिक है।

2020-21 में राज्य की सभी चीनी मिलों ने 1027.50 लाख टन गन्ने की पेराई की थी और चीनी का उत्पादन 110.59 लाख टन हुआ था। किसानों को इसके लिए 33,010.31 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया जो कुल बकाये का 99.99 फीसदी है।

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